Messiah of Farmers : किसानों के मसीहा कहे जाने वाले सर छोटू राम की आज (9 जनवरी) को पुण्यतिथि है। ब्रिटिश राज के दौरान भारत के किसानों की समस्याओं के निराकरण के लिए अंग्रेजों से भिड़ जाने वाले छोटू राम किसानों के बीच किसी देवता की तरह पूजे जाते हैं। भारतीय राजनीति में आज भी किसानों के हितों को लेकर किए गए उनके कामों की प्रासंगिकता बनी हुई है।
सर छोटू राम ने कहा था कि 'किसान को लोग अन्नदाता तो कहते हैं, लेकिन यह कोई नहीं देखता कि वह अन्न खाता भी है या नहीं। जो कमाता है वही भूखा रहे यह दुनिया का सबसे बड़ा आश्चर्य है।' सर छोटू राम को दीनबंधु के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं कौन थे किसानों के मसीहा कहे जाने वाले सर छोटू राम, जिन्होंने अंग्रेजों को भी झुकने पर मजबूर कर दिया था।
पंजाब में जन्में रिछपाल, यूं बन गए छोटूराम
24 नवंबर 1881 को रोहतक के एक गांव गढ़ी सांपला में चौधरी छोटूराम का जन्म हुआ था। परिजनों ने उनका नाम रिछपाल रखा था, लेकिन घर में सबसे छोटे होने की वजह से सब उन्हें छोटू राम पुकारते थे। प्राथमिक स्कूल में नाम लिखाने के दौरान उनका यही नाम लिख दिया गया। जो आगे चलकर भी छोटू राम ही रहा। 11 साल की उम्र ही उनकी शादी ज्ञानो देवी से कर दी गई। छोटू राम आगे भी पढ़ाई करना चाहते थे, तो दिल्ली के एक ईसाई स्कूल में एडमिशन ले लिया। हालांकि, दिल्ली जाने से पहले हुई एक घटना ने उनके जीवन को एक नया मोड़ दिया।
पिता के अपमान ने बोया क्रांति का बीज!
मुसलमानों के रहबर-ए-आज़म और हिन्दुओं के दीनबंधु सर छोटूराम का जन्म 24 नवम्बर 1881 में झज्जर के छोटे से गाँव गढ़ी सांपला में बहुत ही साधारण किसान परिवार में हुआ (झज्जर तब रोहतक जिले का ही अंग था)। उस समय रोहतक पंजाब का भाग था। उनका असली नाम राम रिछपाल था। अपने भाइयों में से सबसे छोटे थे इसलिए सारे परिवार के लोग इन्हें छोटू कहकर पुकारते थे।
स्कूल रजिस्टर में भी इनका नाम छोटू राम ही लिखा दिया गया और बाद में, ये महापुरुष छोटूराम के नाम से ही विख्यात हुए। उनके दादा जी रामरत्न के पास कुछ बंजर जमीन थी, जिसपर उनके पिता, श्री सुखीराम किसानी करते पर कर्जे और मुकदमों में बुरी तरह से फंसे हुए थे। करते भी क्या, उनके परिवार को किसानी के अलावा और किसी चीज़ का सहारा नहीं था।
छोटू राम की प्रारम्भिक शिक्षा तो गाँव के पास के स्कूल से हो गयी। पर वे आगे भी पढ़ना चाहते थे। इसलिए उनके पिता उनकी आगे की पढ़ाई के लिए साहूकार से कर्जा मांगने गये। पर वहां साहूकार ने उनका बहुत अपमान किया।
जब छोटू राम बन गए 'जनरल रॉबर्ट'
सर छोटू राम ने 1905 में दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज में दाखिल लिया। यहां से ग्रेजुएशन करने के दौरान उन्होंने पहली बार क्रांति की मशाल जलाई। सर छोटू राम ने अन्य छात्रों के साथ मिलकर हॉस्टल के वार्डन के खिलाफ हड़ताल का ऐलान कर दिया। इतना ही नहीं, कॉलेज में छात्रों की सुविधाओं के लिए अब वह हर हड़ताल में आगे से आगे नजर आने लगे। इसकी वजह से कॉलेज में वो 'जनरल रॉबर्ट' के नाम से भी मशहूर हो गए। 1910 में उन्होंने आगरा कॉलेज से एलएलबी की डिग्री हासिल की थी।
समाज सुधारक के तौर पर मिली पहचान
सर छोटू राम ने जाट आर्य-वैदिक संस्कृत हाई स्कूल खुलवाया। कहा जाता है कि अपनी आमदनी का एक बड़ा हिससा वो इस स्कूल में दान किया करते थे। शिक्षा के क्षेत्र में काम करने के साथ ही सर छोटू राम ने 1912 में जाट सभा का गठन किया। 1915 में 'जाट गजट' नाम से अखबार निकाल उसमें किसानों के लिए लेख लिखने के साथ किसानों की समस्याओं के हल के लिए पैरवी शुरू की। इतना ही नहीं, प्रथम विश्व युद्ध के समय उन्होंने रोहतक से 22 हजार से ज्यादा सैनिकों को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित किया।
कांग्रेस में शामिल हुए, फिर बनाई खुद की पार्टी
1916 में सर छोटूराम कांग्रेस में शामिल हो गए और 1920 में रोहतक जिला कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बनाए गए। हालांकि, कांग्रेस के साथ वो ज्यादा दिनों तक नहीं रह सके। दरअसल, महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में किसानों की अनदेखी छोटू राम को मंजूर नहीं थी। उन्होंने सर फजले हुसैन और सर सिकंदर हयात खान के साथ मिलकर जमींदारा पार्टी बनाई, जो बाद में यूनियनिस्ट पार्टी हो गई।
हिंदू, मुस्लिम सभी समुदायों में थी गहरी पकड़
1937 के पंजाब के प्रांतीय चुनाव में सर छोटू राम की पार्टी ने 175 में से 99 सीट पर जीत हासिल की। छोटू राम की हिंदू, मुस्लिम समुदाय में गहरी पैंठ थी और उन्हें जमीदारों का भी समर्थन प्राप्त था। वो पंजाब के विकास और राजस्व मंत्री बने। दीनबंधु छोटू राम ने किसानों के लिए क्रांतिकारी सुधार किए। उन्हें दो महत्वपूर्ण कानून पारित कराने का श्रेय दिया जाता है। इनमें से एक पंजाब रिलीफ इंडेब्टनेस, 1934 और दूसरा द पंजाब डेब्टर्स प्रोटेक्शन एक्ट, 1936 था। इन कानूनों में कर्ज का निपटारा किए जाने, उसके ब्याज और किसानों के मूलभूत अधिकारों से जुड़े हुए प्रावधान थे।
गिरवी जमीनों की मुफ्त वापसी जैसे कई अहम कानून कराए पारित
1938 में सर छोटू राम ने साहूकार रजिस्ट्रेशन एक्ट पारित करवाया। इसके साथ गिरवी जमीनों की मुफ्त वापसी एक्ट-1938, कृषि उत्पाद मंडी अधिनियम- 1938, व्यवसाय श्रमिक अधिनियम- 1940 और कर्जा माफी अधिनियम- 1934 कानून को भी पारित करवाया। 9 जनवरी, 1945 को सर छोटू राम का निधन हुआ था। केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के दौरान भी सर छोटू राम का नाम खूब गूंजा था।
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