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हरियाणा शिक्षा विभाग में खुद को टीचर और चपरासी बताकर लिया एसबीआई बैंक से लाखों का लोन, अब बैंक वाले माथा पकड़कर बैठे

Haryana Bank


यमुनानगर: हरियाणा शिक्षा विभाग में खुद को टीचर और चपरासी बताकर कुछ लोगों ने बैंक से लोन ले लिया। शुरुआत में कुछ किश्तें भरीं लेकिन फिर किश्तें देनी बंद कर दीं। इसके बाद बैंक ने अपनी कार्रवाई शुरू की। तब यह बात सामने आई कि इन लोगों का शिक्षा विभाग से कोई लेना-देना नहीं है। अब ऐसे पांच मामलों में केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।


यमुनानगर एसबीआई से लाखों रुपये का लोन लेने के लिए पांच लोगों ने आईडी प्रूफ, सैलरी स्लिप, आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज जमा किए। बैंक ने कागजात देखे, जांचे और इन पांचों लोगों को लोन दे दिया। 


किसी ने 15 लाख रुपये, किसी ने 12 लाख रुपये, किसी ने 10 लाख रुपये, किसी ने 9 लाख रुपये का कर्ज लिया। लोन लेने के बाद इन लोगों ने कुछ किस्तें चुकाईं और फिर किश्तें चुकानी बंद कर दीं। जब बैंक ने फोन पर बात की तो बात टाल दी गई और फिर लोन की रकम चुकाने से इनकार कर दिया गया। 


इस संबंध में एसबीआई प्रबंधक ने अपने अधिकारियों को एकत्रित दस्तावेजों के आधार पर जांच करने का आदेश दिया। जिसमें खुलासा हुआ कि जिन लोगों ने स्कूल प्रमुख के तौर पर वेतन पर्ची पर हस्ताक्षर किए थे। दरअसल उन्होंने ऐसा कोई हस्ताक्षर नहीं किया। न ही उनके पास इस नाम का कोई व्यक्ति शिक्षक या चपरासी के पद पर कार्यरत है। 


इसके बाद बैंक अधिकारियों में खलबली मच गई। मामले की जांच व कार्रवाई के लिए पुलिस अधीक्षक यमुनानगर को पत्र लिखा गया है। पुलिस अधीक्षक ने अक्टूबर माह में मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा को सौंप दी। इसके बाद खुलासा हुआ कि बैंक के साथ धोखाधड़ी हुई है। वो भी लाखों में।


यमुनानगर के डीएसपी अभिलक्ष जोशी ने बताया कि इस संबंध में पांच एफआईआर दर्ज की गई हैं। जिसमें गृहणियों, बिजली मिस्त्रियों और अन्य लोगों ने खुद को शिक्षा विभाग में शिक्षक या चपरासी बताकर लाखों रुपये का लोन ले लिया। जबकि हकीकत में उनका शिक्षा विभाग से कोई लेना-देना नहीं था। 


उन्होंने कहा कि इस मामले की गहनता से जांच की जा रही है। डीएसपी ने यह भी बताया कि इन लोगों ने जो दस्तावेज पेश किए हैं वे अंबाला, लाडवा, कैथल आदि के हैं। उन्होंने बताया कि फिलहाल 5 एफआईआर दर्ज की गई हैं। लेकिन ऐसे और भी मामले और शिकायतें उनके पास आई हैं। जिनकी जांच की जा रही है। खुद को शिक्षा विभाग में शिक्षक और चपरासी बताकर बैंक से लोन लिया गया। 


पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि इसमें बैंक की तरफ से लापरवाही हुई है या उसकी मिलीभगत है। मामले की जांच के बाद जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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