BSd0TSYiGpC7GSG9TpO6TpG7Td==

Haryana News: सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद भी पंजाब हरियाणा को पानी देने के लिए हुआ राजी, एक और बैठक रही बेनतीजा

SYL Conflict


Naya Haryana: हरियाणा लंबे समय से अपने हक के पानी के लिए पंजाब से लड़ाई लड़ रहा है। लेकिन सालों बीत जाने के बाद भी हरियाणा-पंजाब एसवाईएल मुद्दे का हल नहीं निकल पा रहा है। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद भी हरियाणा अपने हिस्से के पानी के लिए तरस रहा है।


गुरुवार को एसवाईएल के मुद्दे को लेकर बार फिर हरियाणा-पंजाब के बीच बैठक हुई। इस बार इस बैठक की मध्यस्ता कर रहे थे केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत। लेकिन बैठक इस बार भी बेनतीजा रही। हालांकि हरियाणा ने अपना पक्ष मजबूती से रखा। लेकिन सरकार अभी इस मसले को सुलझाना नहीं चाहती है।


हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पंजाब सरकार पर गैर-कानूनी तरीके से हरियाणा के हक मारने के आरोप भी लगाए। यहां बता दें कि पंजाब पुनर्गठन अधिनियम-1966 के प्रावधान के अंतर्गत केंद्र सरकार के 24 मार्च, 1976 के आदेश के तहत हरियाणा को रावी-ब्यास के अतिरिक्त पानी में से 3.5 एमएएफ जल का आबंटन किया गया था। एसवाईएल का निर्माण कार्य पूरा न होने की वजह से हरियाणा केवल 1.62 एमएएफ पानी का इस्तेमाल कर रहा है।


पंजाब अपने क्षेत्र में एसवाईएल कैनाल का निर्माण कार्य पूरा न करके हरियाणा के हिस्से के लगभग 1.9 एमएएफ जल का गैर-कानूनी ढंग से उपयोग कर रहा है। पंजाब के इस रवैये के कारण हरियाणा अपने हिस्से का 1.88 एमएएफ पानी नहीं ले पा रहा है। यह पानी नहीं मिलने की वजह से दक्षिणी-हरियाणा में भूजल स्तर भी काफी नीचे जा रहा है। एसवाईएल के न बनने से हरियाणा के किसान महंगे डीजल का प्रयोग करके और बिजली से नलकूप चलाकर सिंचाई करते हैं। इससे उन्हें हर वर्ष 100 करोड़ रुपये से लेकर 150 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ता है। 


पंजाब क्षेत्र में एसवाईएल के न बनने से हरियाणा को उसके हिस्से का पानी नहीं मिल रहा जिसकी वजह से 10 लाख एकड़ क्षेत्र को सिंचित करने के लिए सृजित सिंचाई क्षमता बेकार पड़ी है। हरियाणा को हर वर्ष 42 लाख टन खाद्यान्नों की भी हानि उठानी पड़ती है। यदि 1981 के समझौते के अनुसार, 1983 में एसवाईएल बन जाती, तो हरियाणा 130 लाख टन अतिरिक्त खाद्यान्नों व दूसरे अनाजों का उत्पादन करता। 15 हजार प्रति टन की दर से इस कृषि पैदावार का कुल मूल्य 19 हजार 500 करोड़ रुपये बनता है।


बैठक में हरियाणा का पक्ष रखते हुए मनोहर लाल ने कहा कि एसवाईएल का निर्माण तथा पानी के बंटवारे का विषय अलग अलग है। पंजाब केवल एसवाईएल निर्माण के विषय पर अटक गया है, जबकि हमें सामूहिक रूप से इस विषय पर आगे बढ़ना चाहिए। समझौते के अनुसार हरियाणा को उसके हिस्से का पूरा पानी नहीं मिल रहा है लेकिन हरियाणा अपने स्तर पर पानी की उपलब्धता और मांग को प्रबंधित कर रहा है। इन प्रयासों के बावजूद भी दक्षिण हरियाणा, अरावली क्षेत्र में पर्याप्त पानी नहीं पहुंच रहा है।


बैठक के उपरांत मीडिया से बातचीत में मनोहर लाल ने कहा, आज की बैठक बड़े ही मनोहर माहौल में हुई, लेकिन मान हैं कि माने नहीं। उन्होंने कहा कि एसवाईएल का विषय वर्षों से लंबित है और सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में हुई सुनवाई के दौरान यह कहा गया था कि केंद्र सरकार हरियाणा व पंजाब के साथ मिलकर आपसी सहमति से इस विषय को सुलझाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एसवाईएल का निर्माण होना चाहिए। आज की बैठक में पंजाब सरकार की ओर से एसवाईएल और पानी की स्थिति को लेकर केंद्र सरकार को एक एफिडेविट दिए जाने की बात कही गई है। इस एफिडेविट को अगली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में दायर किया जाएगा। 


उन्होंने कहा कि ज्यादा पानी आने के कारण पंजाब को भी नुकसान होता है। पानी के नेचुरल फ्लो के लिए वैकल्पिक चैनल होना आवश्यक है, इसलिए भी एसवाईएल का निमार्ण जरूरी है। मनोहर लाल ने कहा कि पंजाब व हरियाणा दोनों राज्यों में जल प्रबंधन के विभिन्न विषयों जैसे पानी की उपलब्धता, फसल विविधिकरण, डीएसआर तकनीक इत्यादि विषयों को लेकर एक संयुक्त कमेटी बननी चाहिए। दोनों राज्यों के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एसवाईएल को लेकर एक कमेटी पहले से बनी हुई है, अब उसी कमेटी का दायरा बढ़ाकर इन जल प्रबंधन के विषयों पर भी संयुक्त रूप से कार्य किया जाएगा।


बैठक में हरियाणा के एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, मुख्यमंत्री के सलाहकार (सिंचाई) देवेंदर सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव वी उमाशंकर, सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के आयुक्त एवं सचिव पंकज अग्रवाल, केंद्र के जल शक्ति विभाग की सचिव देबाश्री मुखर्जी और पंजाब सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।


नहर का निर्माण न होने देना सही बात नहीं : मनोहर


मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पंजाब में भी लोग ट्यूबवेल लगाकर भूजल का अत्यधिक दोहन कर रहे हैं। इसी प्रकार हरियाणा में भी दोहन हो रहा है। हम यह मानते हैं कि पानी सबकी जरूरत है और सभी को पानी मिलना चाहिए, लेकिन एसवाईएल का निर्माण न होने देना ये सही बात नहीं है। 


उन्होंने कहा कि समझौते के अनुसार हरियाणा को अपने हिस्से का पूरा पानी नहीं मिल रहा है। आज की बैठक में पंजाब सरकार ने माना है कि कुछ पानी पाकिस्तान में जा रहा है, जिसे वे अपने यहां बांध बनाकर डायवर्ट करेंगे। इस प्रकार देखा जाए तो आज तक हमारे हिस्से का पानी पाकिस्तान को दिया गया। बाढ़ के दौरान पंजाब के मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए बयान-अब हमारे पास पानी है अब ले लो हमसे, के संबंध में पूछे गए सवाल पर प्रतिक्रया देते हुए मनोहर लाल ने कहा कि इस प्रकार का बयान बहुत ही हल्का है। ऐसा बयान नहीं दिया जाना चाहिए।

Comments0