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Haryana Assembly Election 2024 : इनेलो का किला रहा घरौंडा विधानसभा का राजनीतिक इतिहास, लगातार 2 बार जीत चुकी है बीजेपी

Haryana Assembly Election 2024


Haryana Assembly Election 2024 : करनाल लोकसभा के अंतर्गत आने वाला घरौंडा विधानसभा क्षेत्र रोचक चुनावी मुकाबलों के लिए जाना जाता है। करनाल के घरौंडा में घरौंडा मुगलसराय गेटवे और  कोस मीनार के कारण ऐतिहासिक नगरी मानी जाती है। मुगलसराय विश्राम गृह का निर्माण 1637 ईस्वी में मुगल सम्राट शाहजहां के शासनकाल के दौरान बनवाया गया था। सभी पक्षों पर कोशिकाओं के साथ आकार में चतुष्कोणीय है। मौजूदा प्रवेशद्वार उत्तरी और दक्षिणी दीवारों का हिस्सा है और इन दोनों में 3 कहानियां हैं और यह लुखर ईटों से बने हैं। इसे पैनलों, बालकनियों, गोल टावरों और कोणीय बांसुरी से सजाया गया है।

तीन बार 17 वोटों से नीचे हार जीत का फैसला 

यहां 3 बार 17 वोटों से नीचे हार जीत का फैसला हुआ है। 1968 में 12 वोटों से भारतीय जनसंघ को जीत मिली थी। 1996 में 11 वोटों से पहली बार यहां भाजपा जीती थी। 2005 में 16 वोटों से इनेलो ने जीत हासिल की थी। खास बात यह रही कि 1996 में 11 वोटर से भाजपा को जीत दिलाने वाले रमेश कश्यप को समता पार्टी के रमेश राणा ने कोर्ट में चुनौती दी थी।  जब तक उनके पक्ष में फैसला आया तब तक रमेश कश्यप का कार्यकाल पूरा हो चुका था। इसके बाद इनेलो ने घरौंडा से जीत की हैट्रिक बनाई। 2014 में भाजपा के हरविंदर कल्याण ने इनेलो के इस किले को ढहाने का काम किया। इसके बाद 2019 में भी एक बार फिर बीजेपी के  हरविंदर कल्याण ने जीत हासिल की। इस चुनावी आंकड़ों में साफ दिखता है कि घरौंडा में हमेशा कड़ा मुकाबला ही रहा है।

इनेलो क़िला कहा जाता था घरौंडा को

अकेले इनेलो के रमेश राणा ऐसे विधायक रहे हैं जिन्होंने 2000 में सर्वाधिक 23770 मतों से जीत हासिल की थी। उसके बाद अकेले हरविंदर कल्याण ऐसे नेता है जो रमेश राणा के बाद दो बार 17 हज़ार से ज़्यादा वोटों से जीते। इससे पहले 1977 में जनता पार्टी के रामपाल सिंह 10952 वोटों से जीतने में सफल रहे थे। उसके बाद 1991 में कांग्रेस के रामपाल 9774 वोटों से विजय हुए। बाकी मुकाबलों में कोई भी विजय उम्मीदवार 5000 वोटों का आंकड़ा भी नहीं छू पाया। 1967 में पहली बार कांग्रेस के मामचंद केवल 1170 वोटों से जीत हासिल कर पाए। 

1972 में नेशनल कांफ्रेंस के रुलिया राम ने 3209 वोटों से जीत हासिल की। 1982 में कांग्रेस के वेदपाल को 748 वोटों से जीत मिली। इसके बाद 1987 में लोक दल के पीरु राम 4086 को विजई हुए। फिर 2009 में नरेंद्र सांगवान भी कड़े मुकाबले में 660 वोटों से ही जीत पाए। इस पूरे चुनावी आंकड़ों का आकलन करें तो घरौंडा की जनता ने हर बार अपना मिजाज बदला है। केवल 2000 से लेकर 2009 तक इनेलो को यहां से हैट्रिक बनाने का मौका मिला। इस हैट्रिक के दौरान सबसे बड़ी जीत हासिल करने वाले पूर्व विधायक रमेश राणा की पत्नी रेखा राणा केवल 16 वोटों से ही जीत पाई थी। इस कड़े मुकाबले में लोगों का मिजाज कुछ अलग ही नजर आया था।

2024 में क्या रहेगा?

घरौंडा क्षेत्र में पहले इनेलो का ग्राफ काफी मजबूत था। 2014-2019 में भाजपा ने इनेलो के विजय रथ को रोका और 5 साल के दौरान यहां कई बड़ी परियोजनाएं स्थापित की गई। वहीं इनेलो का बिखराव भी भाजपा के पक्ष रहा है। हालाँकि अब इनेलो के सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला जेल से बाहर और एक बार फिर पार्टी यहाँ अपने पुराने साथियों को जोड़ रही है। वहीं कांग्रेस ने भी 2019 अच्छी टक्कर दी थी। कांग्रेस के अनिल कुमार ने यहाँ 50 हज़ार के क़रीब वोट लिए थे। 

शहरी वोटर भाजपा के साथ जुड़ चुका है। लोकसभा में भी घरौंडा से भाजपा को अच्छी जीत मिली थी। कई नेता भाजपा में शामिल हो रहे हैं। यहां भी सभी जातियों के मतदाता हैं। रोड राजपूत समुदाय के अच्छे वोटर हैं। इस समय सभी भाजपा के साथ जुड़े हुए हैं। लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रति लोगों का झुकाव बढ़ा है। इस बार विधानसभा चुनाव में यहां से भाजपा को फायदा मिलेगा या नहीं ये देखने वाली बात होगी।


घरौंडा विधानसभा का इतिहास

1967 एम चन्द कांग्रेस
1968 रणधीर सिंह जन संघ
1972 रुलिया राम ने. कांफ्रेस
1977 रामपाल जनता पार्टी
1982 वेदपाल कांग्रेस
1987 पीरु राम लोकदल
1991 रामपाल सिंह कांग्रेस
1996 रमेश कश्यप भाजपा
2000 रमेश राणा इनेलो
2005 रेखा राणा इनेलो
2009 नरेंद्र सांगवान इनेलो
2014 हरविंदर कल्याण भाजपा

2019 हरविंदर कल्याण भाजपा


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