BSd0TSYiGpC7GSG9TpO6TpG7Td==

हरियाणा के इस गांव में युवा बने पूरे देश के लिए प्रेरणा, एक साथ 40 युवाओं ने क्लियर किया ग्रुप-सी का एग्जाम

haryana Risalia Khera


डबवाली: हाईकोर्ट से अड़चनें हटने के बाद एचएसएससी ने ग्रुप-सी सीएटी के परिक्षा परिणाम घोषित किए। इन परिणामों के बाद एक गांव की पूरे देश में चर्चा हो रही है। दरअसल हरियाणा के सिरसा जिले के रिसालियाखेड़ा गांव के 40 से ज्यादा युवाओं का एक साथ चयन हुआ है। जो पूरे देश के लिए नशे के खिलाफ एक बड़ी प्रेरणा का काम कर रहे है।


चयनित युवाओं का कहना है कि खर्ची-पर्ची का नियम चलता तो वे कभी चयनित नहीं होते थे। रिसालियाखेड़ा गौशाला के पूर्व प्रधान अमी लाल पारीक ने बताया कि हरियाणा सरकार ने बिना खर्ची, बिना पर्ची के योग्य युवाओं को रोजगार देने का वायदा किया था। आज जब ग्रुप सी का परिणाम आया तो यह बात साफ हो गई। 


गांव में चयनित हुए 90 प्रतिशत युवा ऐसे हैं, जो गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे थे। उनके पास खर्ची तो दूर की बात सिफारिश तक नहीं थी। ऐसे युवाओं को सरकारी नौकरी मिलना गांव के लिए गर्व की बात है। वहीं रिसालियाखेड़ा के नजदीकी गांव रामगढ़ में आठ युवाओं को नौकरी मिली है। ग्रामीणों का कहना है कि सिफरिश का समय गया। नहीं तो लोग गट्टे में पर्ची डाल के लग जाते थे। आज भी वो समय होता तो कभी भी योग्यता का नंबर नहीं आना था।


शादी के 16 साल बाद मिली नौकरी


गांव रिसालियाखेड़ा निवासी मनोज ने बताया कि शादी के करीब 16 साल बाद उसे पक्की नौकरी मिली है। वह मजदूरी करता था। सुबह तीन बजे उठता था, सात बजे पढ़ता था। उसके बाद मजदूरी करने चला जाता था। रात को आठ से 12 बजे तक पढ़ता था। जब परीक्षा थी तो नजदीकी दिनों में गांव में बनी लाइब्रेरी में जाने लगा था।


शादी के पांच साल बाद मिली नौकरी


गांव रिसालियाखेड़ा के सतबीर सिंह ने बताया कि उसकी शादी को पांच वर्ष हो चुके हैं। उसके दो बच्चे हैं। वह करीब आठ सालों से तैयारी कर रहा था। गांव में डेढ़ वर्ष पूर्व लाइब्रेरी बनी। उसे देर रात तक पढ़ने का साधन मिला। फ्री इंटरनेट की सुविधा के साथ आनलाइन क्लासिज का लाभ मिला। हम करीब 25 से 30 युवा थे, जो एक साथ पढ़ते थे। लगभग सभी कामयाब हो गए हैं। उसके साथी पवन, गांव में पांच युवाओं का नाम राधेश्याम है, सभी को नौकरी मिली है, इसके अलावा रामप्रताप, अर्जुन, रवि, अजय चयनित हुए हैं।


लाइब्रेरी का फायदा मिला


वहीं रामप्रताप ने बताया कि उसकी उम्र करीब 29 वर्ष है। सुबह से दोपहर 12 बजे तक पढ़ता रहता था। सफलता में लाइब्रेरी का काफी योगदान रहा। उसने आनलाइन क्लासिज अटेंड की। इसका फायदा मिला। उसके पास सिफारिश या नौकरी के लिए खर्ची देने का माध्यम नहीं था। बिना खर्ची, बिना पर्ची उसे नौकरी मिली है।


Comments0

Type above and press Enter to search.