चंडीगढ़: भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की जांच से पता चला है कि रेवाड़ी में एकीकृत सहकारी विकास परियोजना (आईसीडीपी) के तहत आवंटित धन का इस्तेमाल कथित तौर पर आरोपियों द्वारा सिरसा और कुरुक्षेत्र में भूमि पार्सल और जीरकपुर में फ्लैट खरीदने में किया गया था।
100 करोड़ रुपये के घोटाले के केंद्र में सहायक रजिस्ट्रार सहकारी समितियां अनु कौशिश हैं, जो उस समय आईसीडीपी, रेवाड़ी में महाप्रबंधक के पद पर तैनात थीं। मामले के संबंध में अब तक 10 एफआईआर - चार गुरुग्राम में, और तीन-तीन अंबाला और करनाल में दर्ज की गई हैं।
एक अन्य मुख्य आरोपी स्टैलियन जीत बैनब्रिज कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, बैंटम ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड, बैंटम इंडिया लिमिटेड, लोडलिंक सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड और लेबे इंडिया लिमिटेड के निदेशक हैं।
द ट्रिब्यून के भर्तेश सिंह ठाकुर की रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में गुरुग्राम में दर्ज एफआईआर संख्या 21 के अनुसार राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) ने रेवाड़ी में प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पीएसीएस) के विकास के लिए आईसीडीपी के तहत धन स्वीकृत किया था। 2017-18 से 2020-21 तक राज्य सरकार के माध्यम से 22.15 करोड़ रुपये प्राप्त हुए। जिसमें से 15.67 करोड़ रुपये खर्च किये गये। जिन फर्मों को नियमों का उल्लंघन करके काम पर रखा गया था, उन्होंने कौशिश और उसके परिवार को रिश्वत दी।
यह भी पता चला है कि आईसीडीपी रेवाड़ी 31 मार्च, 2022 तक चालू थी, लेकिन 26 जुलाई, 2022 को बैनब्रिज कंस्ट्रक्शन को निर्माण कार्यों के लिए 25 लाख रुपये का भुगतान किया गया था। बैंटम इंडिया को कंप्यूटर, इंटरनेट मॉडेम और प्रिंटर की खरीद के लिए 46.10 लाख रुपये का भुगतान किया गया था। फर्म को पैक्स के सदस्यों को प्रशिक्षण देने के लिए 32.13 लाख रुपये का भुगतान भी किया गया था, जो नहीं दिया गया, हालांकि भुगतान फर्जी बिलों पर किया गया था।
पैक्स के लिए सीसीटीवी कैमरे और लैपटॉप के लिए लेबे इंडिया को 24.82 लाख रुपये का भुगतान किया गया था। लोडलिंक सिस्टम्स को कंप्यूटर और प्रिंटर के लिए 10.97 लाख रुपये मिले। एफआईआर के मुताबिक, कुल मिलाकर, कौशिश परिवार को बैंटम इंडिया, लेबे इंडिया, लोडलिंक सिस्टम्स और बैनब्रिज कंस्ट्रक्शन से उनके बैंक खातों में 55.30 लाख रुपये मिले।
विजय सिंह को नियमों का उल्लंघन कर विकास अधिकारी के पद पर नियुक्त किया गया और उनकी फर्म सरल कोऑपरेटिव को 15 लाख रुपये का भुगतान किया गया। स्वयं सहायता समूहों को बिना अनुमति के लाखों का भुगतान कर दिया गया।
संविदा पर चपरासी के पद पर कार्यरत नरेंद्र सिंह ने कौशिश की मिलीभगत से 2019 से 2022 तक "अनुचित तरीके से" 8.23 लाख रुपये प्राप्त किए। उन्हें अपने परिवार के नाम पर खोली गई मानव उत्थान सोसायटी में 3.60 लाख रुपये भी मिले।
तातारपुर पैक्स में 40.20 लाख रुपये खर्च का कोई रिकार्ड नहीं मिला। आईसीडीपी में टीए/डीए लेने का कोई प्रावधान नहीं है, इसके बावजूद अधिकारी इसे लाखों में हड़प गए। नियमों का उल्लंघन कर अलग-अलग बैंकों में 21.94 करोड़ रुपये की एफडी कराई गई और अधिकारियों ने ब्याज हड़प लिया।
पिछले साल गुरुग्राम में दर्ज एफआईआर संख्या 22 और 23 के अनुसारमें एसीबी ने जीएम आईसीडीपी योगेन्द्र अग्रवाल के नाम पर एसआरके अपार्टमेंट, जीरकपुर में एक फ्लैट खरीदने के लिए आईसीडीपी रेवाड़ी बैंक खाते से 43.08 लाख रुपये के हस्तांतरण का पता लगाया था। भुगतान 2018 में किया गया था।
इसमें अकाउंटेंट सुमित अग्रवाल और विकास अधिकारी नितिन शर्मा भी शामिल थे। 2019 में, नितिन शर्मा और योगेंद्र अग्रवाल की पत्नी रचना अग्रवाल के नाम पर एसआरके अपार्टमेंट में एक फ्लैट खरीदने के लिए आईसीडीपी से 45.50 लाख रुपये ट्रांसफर किए गए थे।
गुरुग्राम में दर्ज एफआईआर संख्या 29 के अनुसार, आईसीडीपी अवधि समाप्त होने के बाद कौशिश ने 4 करोड़ रुपये निकाले। इसे अलग-अलग लोगों को हस्तांतरित किया गया और 54.60 लाख रुपये का हिस्सा कौशिश परिवार को वापस कर दिया गया। इसमें से 1.22 करोड़ रुपये की जमीन कौशिश के लिए सिरसा में खरीदी गई थी। इसके अलावा, सहायक रजिस्ट्रार सहकारी समिति राम कुमार के लिए कुरुक्षेत्र में एक प्लॉट खरीदने के लिए 60 लाख रुपये का इस्तेमाल किया गया।
एफआईआर में कहा गया है कि इसके अलावा, स्टालियन की पहली पत्नी पूनम को 28.93 लाख रुपये, दूसरी पत्नी कंवलजीत को 50 लाख रुपये, जागो प्रिंटिंग प्रेस को 50 लाख रुपये और बैनब्रिज कंस्ट्रक्शन को 45 लाख रुपये मिले।
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