BSd0TSYiGpC7GSG9TpO6TpG7Td==

Nepal Earthquack : नेपाल में भूकंप से भारी तबाही, अब तक 70 लोगों की मौत

Earthquake Nepal


Today Earthquack Nepal : नेपाल में भूकंप से भारी तबाही, अब तक 70 लोगों की मौत

शुक्रवार की रात नेपाल पर कहर बनकर बरपी है। यहां देर रात आए भूकंप ने तबाही मचा दी है. 6.4 तीव्रता के इस भूकंप से कई इमारतें ढह गई हैं। 


भूकंप के बाद अब तक 70 लोगों की मौत हो चुकी है। मलबे में दबने से कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।


बताया जा रहा है कि भूकंप के कारण सबसे ज्यादा लोगों की मौत रुकुम वेस्ट और जाजरकोट में हुई। मृतक के बारे में जानकारी रुकुम पश्चिम डीएसपी नामराज भट्टाराई और जाजरकोट डीएसपी संतोष रोक्का ने दी है।


नेपाल में तबाही मचाने वाले भूकंप की तीव्रता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसका असर दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत में देखा गया। बिहार के पटना और मध्य प्रदेश के भोपाल तक भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए।


नेपाल के राष्ट्रीय भूकंप मापन केंद्र के मुताबिक, भूकंप का केंद्र नेपाल के जाजरकोट जिले के लामिडांडा इलाके में था। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने भूकंप से हुई मौतों पर दुख जताया है। 


उन्होंने बचाव और राहत के लिए 3 सुरक्षा एजेंसियों को तैनात किया है। इस भूकंप का असर यूपी के लखनऊ में भी देखने को मिला, जहां झटके महसूस होने के बाद लोग अपने घरों से बाहर निकल आ।



नेपाल में भूकंप के झटके बढ़ते जा रहे हैं


नेपाल में पिछले कुछ महीनों में भूकंप की घटनाओं में बढ़ोतरी देखी गई है। पिछले महीने 22 अक्टूबर को आए भूकंप का केंद्र भी नेपाल ही था। 


नेपाल में चार बार भूकंप आए। भूकंप का पहला झटका सुबह 7:39 बजे आया। जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.1 मापी गई। इसके बाद 4.2 तीव्रता का दूसरा भूकंप 8:08 मिनट पर आया।


भूकंप का तीसरा झटका सुबह 8:28 बजे महसूस किया गया और इसकी तीव्रता 4.3 थी. इसके बाद 8:59 मिनट पर चौथी बार भूकंप महसूस किया गया।


भूकंप क्यों आते हैं?


पृथ्वी की ऊपरी सतह सात टेक्टोनिक प्लेटों से बनी है। जहां भी ये प्लेटें आपस में टकराती हैं, वहां भूकंप का खतरा होता है। 


भूकंप तब आता है जब ये प्लेटें एक-दूसरे के क्षेत्र में घुसने की कोशिश करती हैं, प्लेटें एक-दूसरे से रगड़ती हैं, इससे अपार ऊर्जा निकलती है और उस घर्षण से ऊपर की धरती हिलने लगती है, कभी-कभी तो धरती फटने तक हो जाती है। 


कभी-कभी हफ्तों तक और कभी-कभी महीनों तक यह ऊर्जा रुक-रुक कर निकलती रहती है और भूकंप आते रहते हैं, इन्हें आफ्टरशॉक कहा जाता है।


तीव्रता के आधार पर क्या प्रभाव हो सकता है?


- 0 से 1.9 रिक्टर स्केल पर आए भूकंप का पता सिस्मोग्राफ से ही लगाया जा सकता है।


- 2 से 2.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर हल्के झटके आते हैं।


- जब 3 से 3.9 रिक्टर स्केल का भूकंप आता है तो इसका असर आपके नजदीक से किसी ट्रक के गुजरने जैसा होता है।


- 4 से 4.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर खिड़कियां टूट सकती हैं। दीवारों पर टंगे फ्रेम गिर सकते हैं।


- 5 से 5.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर फर्नीचर हिल सकता है।


- 6 से 6.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतों की नींव दरक सकती है. ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है।

Comments0

Type above and press Enter to search.