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किसान आंदोलन के दौरान किसानों और सरकार के बीच हुए समझौते को लागू कराने के लिए 17 दिसंबर को कांग्रेस सिरसा में करेगी किसान-मजदूर आक्रोश रैली

Deepender Hooda Rally


सिरसा: सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने किसान आंदोलन में शहीद हुए 750 किसान-मजदूरों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ऐलान किया कि किसान आंदोलन के दौरान किसानों और सरकार के बीच हुए समझौते को लागू कराने के लिए 17 दिसंबर को कांग्रेस सिरसा में किसान-मजदूर आक्रोश रैली करेगी। 


आक्रोश इस बात का कि 2 साल पहले सरकार और किसान संगठनों के बीच जो समझौता हुआ था उसे अब तक लागू नहीं किया गया। सरकार देश में प्रजातंत्र का गला घोंटने का काम कर रही है। किसान आंदोलन में अपनी किसानी, आजीविका बचाने के लिये 750 किसानों-मजदूरों ने जान की कुर्बानी दे दी। किसान-मजदूर की ताकत ने अहिंसा, अनुशासन व शांति के रास्ते पर चलकर इस सरकार को झुकाने का काम किया। किसान-मजदूर आक्रोश रैली के माध्यम से हम किसानों की आवाज बुलंद करेंगे और सरकार को किसानों के साथ हुआ समझौता लागू करने पर मजबूर करेंगे। हमारे जो किसान-मजदूर शहीद हुए थे उन्हें याद कर हम इस सरकार को किसान आंदोलन में दी गयी कुर्बानियों को भुलाने नहीं देंगे और उनकी शहादत को बेकार जाने नहीं देंगे।


सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने सिरसा में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि 2 वर्ष बीत जाने के बाद भी सरकार ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया, किसान अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। एक साल से ज्यादा समय तक चले किसान आन्दोलन को बदनाम करने की अनेकों साजिश रची गई और आंदोलनरत किसानों की छवि को धूमिल करने की कोशिश होती रही, पर नफरत की आग में झुलसने के बाद भी यह आंदोलन सोने जैसा खरा होता गया। सरकार की नीयत साफ नहीं है इसके खिलाफ देश भर के किसानों और मजदूरों में जबरदस्त आक्रोश है। 


उन्होंने याद दिलाया कि 2 साल पहले आज ही के दिन प्रधानमंत्री ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेकर किसानों की मांगे मानने का एलान किया था। जिसके बाद बनी कमेटी के नाम पर देश के किसान-मजदूरों को धोखा दिया गया। आंदोलन में अपनी जान की कुर्बानी देने वाले 750 किसानों के परिवारों को नौकरी देने की बात पर भी हरियाणा में अमल नहीं हुआ। किसान-मजदूर, आढ़ती को सरकार की अनदेखी का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश की पूरी कृषि अर्थव्यवस्था पर सरकार हमलावर है। समझौते के बाद बनी कमेटी का सभी किसान संगठनों ने बहिष्कार कर दिया, क्योंकि सरकार द्वारा गठित कमेटी में ज्यादातर सदस्य वही लोग लिए गए जो रद्द हो चुके तीन कानूनों के हक में और किसान आंदोलन के खिलाफ थे। उन्होंने कहा कि किसानों के लिये बनी जिस कमेटी में किसान ही नहीं उसका क्या औचित्य है। 


एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उदयपुर और रायपुर में कांग्रेस पार्टी के महाधिवेशन में कृषि और किसानी के मुद्दे पर चौ. भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में बनी कमेटी ने किसान आंदोलन की सारी मांगों को मानने और कांग्रेस सरकार बनने पर उन्हें लागू करने का आश्वासन देश के किसानों को दिया है जिसमें एमएसपी गारंटी सहित कर्ज माफी से लेकर कर्ज मुक्ति तक शामिल किया गया है।


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