हरियाणा कांग्रेस में बढ़ती गुटबाजी पर हाईकमान सख्त, हुड्डा गुट पर लगाम लगाया, बाबरिया के हाथों सौंपी पावर!

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चंडीगढ़: हरियाणा कांग्रेस में बढ़ती गुटबाजी और संगठन के कमजोर हालातों को देखते हुए पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व सख्त हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश अध्यक्ष उदयभान को फ्री हैंड बंद करने के बाद, केंद्रीय नेतृत्व ने पार्टी प्रभारी दीपक बाबरिया को पावरफुल बना दिया है।

प्रभारी दीपक बाबरिया ने दिखाया असर

  • दीपक बाबरिया ने जिला स्तर पर नियुक्तियों पर रोक लगाई है।
  • उन्होंने सचिवों के कार्यक्षेत्र में बदलाव करते हुए प्रदेश नेताओं को स्पष्ट संदेश दिया है कि पार्टी की लाइन से हटकर काम करने वालों के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाएंगे।
  • अब हरियाणा कांग्रेस में कोई भी नेता दिल्ली से ऊपर नहीं माना जाएगा।

जिला प्रभारियों की लिस्ट पर रोक

  • 18 दिसंबर को प्रदेश अध्यक्ष उदयभान ने जिला प्रभारियों की लिस्ट जारी की थी।
  • अगले ही दिन प्रभारी दीपक बाबरिया ने इसे रोकते हुए स्पष्ट कर दिया कि सभी निर्णय केंद्रीय नेतृत्व की सहमति से होंगे।
  • यह कदम हुड्डा गुट के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

सचिवों के कार्यक्षेत्र में बदलाव

  • सचिव विनोदराव गुडाधे को अंबाला, कुरुक्षेत्र, सिरसा, हिसार, और करनाल की जिम्मेदारी दी गई है।
  • सचिव जितेंद्र बघेल अब सोनीपत, रोहतक, भिवानी, गुरुग्राम और फरीदाबाद का काम देखेंगे।
  • ये बदलाव भी दीपक बाबरिया के निर्देश पर किए गए हैं।

केंद्रीय नेतृत्व की सख्ती के 4 कारण

  1. विधानसभा चुनाव में हार
    2024 लोकसभा चुनाव के बाद हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली।

    • कांग्रेस को सिर्फ 37 सीटें मिलीं, जबकि भाजपा ने 48 सीटों पर जीत दर्ज की।
    • चुनावों में नेताओं के प्रदर्शन से केंद्रीय नेतृत्व नाराज है।
  2. संगठन का न बन पाना

    • हरियाणा कांग्रेस पिछले 10 साल से संगठन खड़ा नहीं कर पाई है।
    • प्रदेश में तीन बार अध्यक्ष बदले गए, लेकिन गुटबाजी के कारण संगठन मजबूत नहीं हो सका।
    • इस वजह से पार्टी को विधानसभा चुनाव में नुकसान झेलना पड़ा।
  3. गुटबाजी पर नियंत्रण की कमी

    • प्रदेश कांग्रेस में हुड्डा गुट और सैलजा गुट की गुटबाजी जगजाहिर है।
    • गुटबाजी के कारण नेता एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी करते रहते हैं।
    • विपक्षी दल भी इस मुद्दे को भुनाकर कांग्रेस पर हमला करते हैं।
  4. पावर का एक गुट तक सीमित रहना

    • हरियाणा कांग्रेस में पावर अभी भी हुड्डा गुट के पास है।
    • विधानसभा चुनाव में दूसरे गुट के नेता चुनाव प्रचार में सक्रिय नहीं दिखे।
    • अब केंद्रीय नेतृत्व हुड्डा गुट पर नियंत्रण की योजना बना रहा है।

पार्टी का फोकस गुटबाजी खत्म करने पर

कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व हरियाणा में संगठन को मजबूत करने और गुटबाजी खत्म करने पर फोकस कर रहा है।

  • हुड्डा गुट को विधानसभा चुनाव में फ्री हैंड देने के बावजूद कांग्रेस सरकार बनाने में असफल रही।
  • अब पार्टी सभी निर्णय केंद्रीय स्तर पर लेने और गुटबाजी पर सख्ती बरतने की दिशा में कदम उठा रही है।

हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी पर अंकुश लगाने और संगठन को मजबूत करने के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने कड़े कदम उठाए हैं। दीपक बाबरिया को जिम्मेदारी देकर हुड्डा गुट की शक्ति को संतुलित करने की कोशिश की जा रही है। अब देखना होगा कि ये फैसले आगामी चुनावों में पार्टी को कितनी मजबूती देते हैं।

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