शंभू बॉर्डर पर किसानों की दिल्ली कूच की दूसरी कोशिश: संघर्ष, बैरिकेड्स, और सरकार के वादे
शंभू बॉर्डर: पंजाब के किसानों ने 8 दिसंबर को शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच की दूसरी कोशिश की, लेकिन हरियाणा पुलिस ने उन्हें घग्गर नदी के पुल पर रोक दिया। करीब 4 घंटे तक चले संघर्ष और बातचीत के बाद किसानों को वापस लौटना पड़ा। किसान नेता सरवन पंधेर ने कहा कि अगला कदम तय करने के लिए सोमवार को दोनों फोरम विचार करेंगे।
यह घटनाक्रम केवल किसानों और प्रशासन के बीच टकराव नहीं था, बल्कि यह सरकार, कानून व्यवस्था, और किसानों की समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता की परीक्षा भी थी। आइए, पूरे घटनाक्रम को सिलसिलेवार ढंग से समझते हैं।
किसानों का दूसरा प्रयास: क्या हुआ 8 दिसंबर को?
जत्थे की रवानगी और संघर्ष की शुरुआत
- 101 किसानों का जत्था दोपहर 12 बजे शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच के लिए रवाना हुआ।
- जैसे ही किसानों ने हरियाणा की ओर कदम बढ़ाए, उन्हें घग्गर नदी के पुल पर रोक दिया गया।
- हरियाणा पुलिस ने किसानों से दिल्ली जाने का परमिशन लेटर मांगा और कहा कि बिना अनुमति के उन्हें आगे नहीं जाने दिया जाएगा।
- इसके बाद किसान और पुलिस के बीच तीखी बहस हुई।
पुलिस और किसानों के बीच झड़प
- किसानों ने बैरिकेड्स तोड़ने की कोशिश की, जिससे माहौल और तनावपूर्ण हो गया।
- पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया।
- इस झड़प में 8 किसान घायल हो गए, जिनमें से एक किसान की हालत गंभीर बताई गई। उसे चंडीगढ़ के PGI अस्पताल रेफर किया गया।
पुलिस का फूल बरसाना और चाय ऑफर करना
- स्थिति को शांत करने के लिए पुलिस ने किसानों पर फूल बरसाए और चाय-बिस्किट ऑफर किए।
- लेकिन किसानों ने इस कदम को ‘पाखंड’ करार दिया और अपना आंदोलन जारी रखा।
हरियाणा प्रशासन और पंजाब पुलिस की मीटिंग
1 दिन की मोहलत मांगी गई
- शंभू बॉर्डर पर किसानों को रोकने के बाद हरियाणा प्रशासन और पंजाब पुलिस के अधिकारियों ने किसान नेताओं के साथ बैठक की।
- हरियाणा के अधिकारियों ने किसानों से कहा कि 9 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पानीपत दौरे पर हैं।
- इसलिए किसानों को 1 दिन रुकने की सलाह दी गई, जिसके बाद दिल्ली कूच को लेकर प्रशासन आगे की जानकारी देगा।
घटनाक्रम का सिलसिलेवार विवरण
दिनभर की हलचल
- किसानों ने बैरिकेड्स तोड़े और पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े:
- पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए पहले आंसू गैस के गोले छोड़े।
- इस झड़प में कई किसान घायल हुए।
- पुलिस का दोहरा रवैया:
- पुलिस ने पहले किसानों पर फूल बरसाए और चाय ऑफर की।
- फिर आंसू गैस और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया।
- किसानों की नाराजगी:
- किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि पुलिस ने रबर की गोलियां चलाईं और फूलों में केमिकल मिलाया था।
- किसानों का शांतिपूर्ण संघर्ष जारी:
- किसान नेताओं ने अपने जत्थे को वापस बुला लिया, लेकिन 9 दिसंबर के बाद आगे की रणनीति बनाने की बात कही।
किसान नेताओं और पुलिस के बयान
सरवन पंधेर का बयान
- किसान नेता सरवन पंधेर ने कहा,“हम हर कुर्बानी के लिए तैयार हैं। सरकार टकराव की नीति छोड़कर हमारी समस्याओं का समाधान करे। हमने शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन किया है।”
पुलिस का तर्क
- हरियाणा पुलिस ने किसानों से कहा कि बिना परमिशन के प्रदर्शन गैरकानूनी है।
- पुलिस का कहना था कि किसानों को वेरिफिकेशन करवानी चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आंदोलन में शामिल लोग असली किसान हैं।
अन्य किसान नेताओं की प्रतिक्रिया
- किसान नेता मनजीत राय ने आरोप लगाया कि हरियाणा सरकार षड्यंत्र रच रही है।
- उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले फूल बरसाए और फिर आंसू गैस छोड़ी।
पहले प्रयास में क्या हुआ था?
6 दिसंबर की घटना
- 6 दिसंबर को भी किसानों ने दिल्ली कूच की कोशिश की थी।
- पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए बैरिकेड्स, कंटीले तार, और आंसू गैस का इस्तेमाल किया था।
- इस झड़प में 8 किसान घायल हुए थे।
किसानों की मुख्य मांगें
- एमएसपी की गारंटी:
- किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी दर्जा देने की मांग कर रहे हैं।
- पुराने वादों को पूरा करना:
- सरकार ने पिछले आंदोलन के दौरान एमएसपी पर एक कमेटी बनाने का वादा किया था, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
- अन्य समस्याओं का समाधान:
- यूरिया और डीएपी खाद की कमी, फसल बीमा योजना में सुधार, और बिजली की दरों को लेकर भी किसान नाराज हैं।
सरकार और राजनीतिक नेताओं की प्रतिक्रिया
- गुरनाम चढ़ूनी:
- उन्होंने कहा कि हमारा नैतिक समर्थन किसानों के साथ है, लेकिन हम बिना बुलाए आंदोलन में शामिल नहीं होंगे।
- राहुल गांधी:
- राहुल गांधी ने किसानों पर आंसू गैस के गोले दागने की निंदा करते हुए कहा कि सरकार को उनके साथ संवेदनशीलता से पेश आना चाहिए।
- अनिल विज:
- हरियाणा के मंत्री अनिल विज ने कहा कि किसानों के पास दिल्ली जाकर प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं है।
प्रदर्शन की अगली रणनीति
किसान नेता सरवन पंधेर ने कहा कि 9 दिसंबर को प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी।
- पंजाब और हरियाणा के अन्य किसान संगठनों को भी इस आंदोलन से जोड़ने की योजना पर विचार हो रहा है।
शंभू बॉर्डर पर किसानों और प्रशासन के बीच टकराव ने एक बार फिर किसानों की समस्याओं और सरकार की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
- जहां एक ओर किसान शांतिपूर्ण प्रदर्शन के जरिए अपनी आवाज उठा रहे हैं, वहीं प्रशासन का रवैया आलोचनाओं के घेरे में है।
- अब यह देखना होगा कि 9 दिसंबर के बाद सरकार और किसान संगठनों के बीच बातचीत से कोई हल निकलता है या यह आंदोलन और बड़ा रूप ले लेता है।