साढ़े सात साल बाद भी अधर में लटका पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट, बजट का प्रावधान लेकिन कोई काम नहीं
रोहतक: महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) में पंडित दीनदयाल उपाध्याय युवा उपवन और पंडित दीनदयाल उपाध्याय इंस्टिट्यूट ऑफ एंटरप्रेन्योरशिप एंड स्किल डेवलपमेंट की स्थापना आज भी अधर में लटकी हुई है। यह स्थिति तब है जब इनकी आधारशिला रखे हुए करीब साढ़े सात साल बीत चुके हैं।
5 अप्रैल 2017 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इन प्रोजेक्ट्स की आधारशिला रखी थी। इसके बावजूद, आज तक इनकी स्थापना के लिए धरातल पर कोई ठोस काम नहीं हुआ। हैरानी की बात यह है कि प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की ही सरकार है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट "स्किल डेवलपमेंट" से जुड़ी यह योजना अब तक शुरू नहीं हो पाई है।
बजट का प्रावधान, लेकिन कोई काम नहीं
एमडीयू की 45वीं वार्षिक रिपोर्ट (10 जुलाई 2022 से 30 जून 2023) के अनुसार, इन योजनाओं के लिए 4 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया था। रिपोर्ट की क्रम संख्या 9 और 10 में इस बात का उल्लेख है। इसके बावजूद, जमीन पर काम शुरू नहीं हो पाया। वहीं, विश्वविद्यालय अन्य परियोजनाओं पर करोड़ों रुपये खर्च कर रहा है, लेकिन पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर प्रस्तावित इन दो योजनाओं का मामला ठंडे बस्ते में है।
कमेटी बनी, प्रस्ताव तैयार, लेकिन काम अधूरा
कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने 2021 में पंडित दीनदयाल उपाध्याय युवा उपवन की स्थापना के लिए आठ सदस्यीय कमेटी बनाई थी। 10 जुलाई 2021 को हुई बैठक में कमेटी ने झज्जर रोड और जवाहरलाल नेहरू नहर के बीच खाली पड़ी 40-42 एकड़ जमीन पर उपवन बनाने का निर्णय लिया।
कमेटी ने बॉटनी विभाग के डॉ. सुरेंद्र कुमार भारद्वाज को उपवन की स्थापना के लिए प्रस्ताव तैयार करने का दायित्व सौंपा। डॉ. भारद्वाज ने 16 जुलाई 2021 को यह प्रस्ताव कुलपति कार्यालय और बॉटनी विभाग की अध्यक्ष को सौंप दिया। इसके बावजूद, उपवन की स्थापना का काम आज भी अधर में लटका हुआ है।
बोटैनिकल गार्डन की कमी से बाधित पढ़ाई
दिलचस्प बात यह है कि एमडीयू में लंबे समय से बोटैनिकल गार्डन नहीं है। इसकी कमी के कारण बॉटनी, एनवायरनमेंट, फार्मेसी, बायोटेक, जूलॉजी जैसे विभागों के छात्रों की पढ़ाई और शोध कार्य प्रभावित हो रहे हैं। छात्रों को प्रशिक्षण के लिए अन्य संसाधनों पर निर्भर रहना पड़ रहा है।
अधिकारियों का रुख अस्पष्ट
इस प्रोजेक्ट की स्थिति पर जब बोटैनिकल गार्डन अधीक्षक डॉ. सुरेंद्र भारद्वाज से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि उन्होंने अपना काम पूरा कर लिया था। इसके आगे की जानकारी देने से उन्होंने इनकार कर दिया। वहीं, रजिस्ट्रार डॉ. गुलशन तनेजा ने कहा कि वह फाइल देखने के बाद ही कोई टिप्पणी कर पाएंगे।
सवालों के घेरे में प्रशासन
एमडीयू प्रशासन की इस उदासीनता ने प्रोजेक्ट की प्रासंगिकता और प्राथमिकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर शुरू की गई इन योजनाओं को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन का अस्पष्ट रवैया छात्रों और शिक्षाविदों के बीच चर्चा का विषय बन गया है।