हरियाणा: नगर निगम वार्डबंदी में अनुसूचित जाति का कोटा घटाने की तैयारी, पानीपत में नई वार्डबंदी का विवाद
चंडीगढ़: हरियाणा में प्रस्तावित नगर निगम, नगर परिषद और नगरपालिका चुनावों से पहले नई वार्डबंदी को लेकर बड़ा बदलाव किया जा रहा है। पानीपत समेत प्रदेश के कई नगर निगमों में एससी (अनुसूचित जाति) के लिए आरक्षित वार्डों की संख्या कम करने की तैयारी चल रही है। इस कदम से अनुसूचित जाति के समाज में चिंता और असंतोष बढ़ रहा है। वहीं, कांग्रेस ने इसे अधिकारों का हनन करार दिया है।
पानीपत में नई वार्डबंदी का विवाद
पानीपत नगर निगम में पहले 28 वार्ड थे, लेकिन नई वार्डबंदी के तहत अब 26 वार्ड बनाए जा रहे हैं। इस प्रक्रिया में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित वार्डों की संख्या घटाई जा रही है।
- 2013: एससी के 4 वार्ड, बीसी के 2 वार्ड
- 2018: एससी के 5 वार्ड, बीसी के 2 वार्ड
- 2024 (प्रस्तावित): एससी के 3 वार्ड, जबकि बीसी वार्ड बढ़ाकर 5 किए जा रहे हैं।
जनसंख्या वृद्धि के बावजूद घट रहा एससी कोटा
नई वार्डबंदी में अनुसूचित जाति का कोटा 2011 की जनगणना को आधार बनाकर घटाया जा रहा है।
- इसके विपरीत, पिछड़ा वर्ग (बीसी) के वार्ड 2023 में फैमिली आईडी के आधार पर बढ़ाए जा रहे हैं।
- यह विरोधाभास अनुसूचित जाति के समुदाय के लिए असमानता का संकेत देता है।
नेताओं और समाज का विरोध
अशोक अरोड़ा का बयान
थानेसर से कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा ने कहा:
"अनुसूचित जाति का कोटा कम करना ठीक नहीं है। यह उनके अधिकारों का हनन है। हमें इसकी गहराई से जांच करनी होगी और समाज को अपनी आवाज उठानी चाहिए।"
समाज में बढ़ती चिंता
अनुसूचित जाति के नेताओं और समाज के लोगों ने इस बदलाव को भेदभावपूर्ण बताया है। उनका मानना है कि यह कदम उनके राजनीतिक प्रतिनिधित्व को कमजोर करेगा।
नए मापदंड पर सवाल
पानीपत नगर निगम के आयुक्त डॉ. पंकज ने कहा कि वार्डबंदी नियमों के अनुसार की जा रही है।
- उन्होंने कहा कि एससी और बीसी वार्डों की संख्या निर्धारित करने के लिए नया मापदंड लागू किया जा रहा है।
- हालांकि, मापदंडों में असमानता को लेकर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि एससी के लिए 2011 की जनगणना और बीसी के लिए 2023 के डेटा का उपयोग किया जा रहा है।
कांग्रेस का आरोप: अधिकारों का हनन
कांग्रेस पार्टी ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित वार्डों को कम करने को अधिकारों का हनन करार दिया है।
- पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि यह फैसला समाज को राजनीतिक रूप से कमजोर करने की कोशिश है।
- कांग्रेस ने इस मुद्दे पर जोरदार विरोध करने और इसे विधानसभा तक ले जाने का संकल्प लिया है।
वार्डबंदी का असर: प्रतिनिधित्व में गिरावट का डर
वार्डबंदी में अनुसूचित जाति के कोटा घटने से इनका राजनीतिक प्रतिनिधित्व कमजोर होगा।
- सर्वेक्षण और आंकड़ों में भेदभाव से समाज में असमानता और असंतोष बढ़ने की आशंका है।
- दूसरी ओर, बीसी वार्डों की संख्या बढ़ाने से अन्य वर्गों में संतुलन बिगड़ने का डर है।
हरियाणा में नगर निगम की नई वार्डबंदी पर उठे सवाल समाज में भेदभाव और असंतुलन की ओर इशारा करते हैं। जनसंख्या वृद्धि के बावजूद एससी का कोटा घटाने से यह समुदाय खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। कांग्रेस समेत अन्य नेताओं ने इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाने की बात कही है। अब यह देखना होगा कि सरकार इन चिंताओं को कैसे दूर करती है।