ओम प्रकाश चौटाला की कहानी: थर-थर कांपते थे अधिकारी, डर से तकिये के नीचे रखकर सोते थे डायरी, जानें
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला अपनी कड़ी प्रशासनिक शैली और फैसलों के लिए जाने जाते थे। उनका राजनीतिक जीवन न केवल उतार-चढ़ाव भरा था, बल्कि उन्होंने अपने काम से जनता के बीच गहरी छाप छोड़ी। मुख्यमंत्री के तौर पर उनकी एक घटना आज भी चर्चा का विषय है।
विपक्ष का कटाक्ष और चौटाला की सख्ती
जब ओमप्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री थे, तो विपक्ष के एक नेता ने कटाक्ष करते हुए कहा था कि राज्य के ज्यादातर अधिकारी रात के समय पार्टियों में जाते हैं और शराब के नशे में रहते हैं। इस कारण प्रदेश की कानून-व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है। यह टिप्पणी चौटाला को नागवार गुजरी। उन्होंने तुरंत निर्णय लिया कि वे किसी भी समय अधिकारियों से सीधे संपर्क करेंगे और किसी घटना या प्रोजेक्ट का अपडेट लेंगे।
तकिए के नीचे डायरी रखने थे अधिकारी
ओमप्रकाश चौटाला ने इस कटाक्ष का जवाब अपने काम से दिया। उन्होंने जिला उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों को रात के समय फोन कर रिपोर्ट लेने की आदत डाल दी। इसके चलते अधिकारी तकिए के नीचे अपनी डायरियां रखकर सोने लगे, ताकि मुख्यमंत्री के अचानक फोन करने पर वे तुरंत रिपोर्ट दे सकें। चौटाला की यह कार्यशैली न केवल अधिकारियों को सतर्क रखती थी, बल्कि प्रदेश की कानून-व्यवस्था को भी मजबूत बनाती थी।
चौटाला के निधन पर प्रदेश में शोक
ओमप्रकाश चौटाला के निधन पर हरियाणा सरकार ने तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। उनका अंतिम संस्कार सिरसा में 21 दिसंबर को राजकीय सम्मान के साथ होगा। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री नायब सैनी सहित कई प्रमुख नेता और गणमान्य व्यक्ति उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होंगे। 20 से 22 दिसंबर तक प्रदेश में कोई भी सरकारी मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाएगा, और 21 दिसंबर को पूरे प्रदेश में अवकाश रहेगा।
नेताओं और समर्थकों की भावनाएं
ओमप्रकाश चौटाला के निधन पर हरियाणा के कई नेताओं ने अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा, "ओपी चौटाला मेरे बड़े भाई जैसे थे। उनके साथ बिताई यादें हमेशा जीवित रहेंगी।"
आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर भी दिया टिकट
जींद जिले के नरवाना विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक पिरथी नंबरदार ने चौटाला के प्रति अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि 2009 के चुनाव में जब नरवाना क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गया, तब उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर थी। हालांकि, क्षेत्र के लोगों की मांग पर चौटाला ने उन्हें टिकट दिया। पिरथी ने बताया कि चुनाव में खर्च किसने किया, यह उन्हें कभी पता नहीं चला, लेकिन चौटाला के समर्थन से वे 2009 और 2014 में लगातार दो बार विधायक बने।
जनता के नेता
ओमप्रकाश चौटाला ने अपने कार्यकर्ताओं और जनता के प्रति जो समर्पण दिखाया, वह उन्हें एक आदर्श नेता बनाता है। उन्होंने हमेशा गरीबों, किसानों और समाज के कमजोर वर्गों के हित में काम किया। उनके निधन से हरियाणा ने न केवल एक बड़ा नेता, बल्कि एक संघर्षशील व्यक्तित्व भी खो दिया है। उनकी सादगी, ईमानदारी और जनसेवा की भावना हमेशा याद की जाएगी।