पेरिस ओलंपिक डबल मेडलिस्ट मनु भाकर का नाम खेल रत्न के लिए नॉमिनेट न होने पर पिता रामकिशन भाकर का फूटा गुस्सा

Manu bhaker


Haryana News: पेरिस ओलंपिक में डबल मेडल जीतने वाली मनु भाकर का नाम खेल रत्न पुरस्कार के लिए नॉमिनेट नहीं किया गया, जिससे उनके पिता रामकिशन भाकर बेहद नाराज हैं। उन्होंने खुले तौर पर खेल प्रशासन और सिस्टम पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि मनु को ओलंपिक खिलाकर उन्होंने बड़ी गलती की है।

रामकिशन भाकर का फूटा गुस्सा

रामकिशन भाकर ने खेल रत्न के लिए प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा, "पिछले 5 साल में जिन खिलाड़ियों को खेल रत्न मिला है, उन्होंने खुद आवेदन नहीं किया था। नीरज चोपड़ा, लवलीना, विनेश फोगाट या बजरंग पूनिया जैसे खिलाड़ियों ने अप्लाई नहीं किया, फिर मनु से आवेदन करवाने की मांग क्यों की जा रही है?"

उन्होंने कहा कि मनु पिछले चार साल से आवेदन कर रही थीं, लेकिन उनकी एप्लिकेशन को कभी मान्यता नहीं दी गई। उन्होंने खेल प्रशासन पर निशाना साधते हुए कहा, "यहां सब कुछ ब्यूरोक्रेसी के इशारों पर होता है। वे जो चाहते हैं, वही होता है।"

खेल प्रशासन पर कसा तंज

रामकिशन भाकर ने देश में खेलों की मौजूदा स्थिति पर कटाक्ष करते हुए कहा, "ब्यूरोक्रेसी आज कह रही है कि हम 2036 में ओलंपिक कराएंगे। आयोजन कर लेंगे, लेकिन खिलाड़ियों को कहां से लाओगे? क्या इसी तरह से हमारे खिलाड़ियों का मनोबल तोड़ा जाएगा?"

देश के पैरेंट्स से की भावुक अपील

रामकिशन भाकर ने भावुक होकर सभी माता-पिता से अपील की, "मैं सभी पैरेंट्स से कहता हूं कि अपने बच्चों को ओलंपिक गेम्स में मत भेजिए। उन्हें पढ़ाइए और आईएएस, आईपीएस या यूपीएससी की तैयारी करवाइए। अगर वे अधिकारी बनेंगे, तो लाखों खिलाड़ियों के भविष्य के बारे में फैसला करेंगे। खिलाड़ी बनकर बच्चों को इस तरह हतोत्साहित करने का कोई मतलब नहीं है।"

उन्होंने आगे कहा, "अगर पैसा चाहिए तो बच्चों को क्रिकेट खेलाइए। अगर ताकत और पावर चाहिए तो उन्हें प्रशासनिक सेवाओं में भेजिए। यह मेरी गलती थी कि मैंने मनु को ओलंपिक के लिए तैयार किया। लेकिन अब मैं दूसरों को यही सलाह दूंगा कि ऐसा न करें।"

मनु भाकर की उपलब्धियों का अनदेखा होना

मनु भाकर, जिन्होंने पेरिस ओलंपिक में भारत को डबल मेडल दिलाए, जैसी प्रतिभाशाली खिलाड़ी के साथ हुआ यह व्यवहार न केवल उनके परिवार को, बल्कि पूरे खेल जगत को झकझोरने वाला है। यह सवाल खड़ा करता है कि क्या भारत में खेल प्रशासन खिलाड़ियों के हक में काम कर रहा है या नहीं।

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