किसानों के लिए आई बड़ी खुशख़बरी, भारत और जापान मिलकर बनाएंगे BNI तकनीक पर आधारित गेहूं की किस्में, जानें

New Wheat Verity


भारत और जापान के संस्थानों ने मिलकर भारत की पहली बायोलॉजिकल नाइट्रिफिकेशन इनहिबिशन (BNI) तकनीक पर आधारित गेहूं की किस्में विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। इन किस्मों का उद्देश्य यूरिया पर निर्भरता कम करना है, जिससे पर्यावरणीय स्थिरता, कृषि उत्पादकता और यूरिया सब्सिडी के वित्तीय बोझ को कम किया जा सके।

BNI तकनीक के फायदे

  • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और जल प्रदूषण को कम करता है।
  • यूरिया सब्सिडी के वित्तीय बोझ को कम करता है।
  • मिट्टी की उर्वरता और नाइट्रोजन उपयोग दक्षता को बढ़ाता है।

BNI तकनीक क्या है?

बायोलॉजिकल नाइट्रिफिकेशन इनहिबिशन (BNI) तकनीक एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसमें पौधों की जड़ें ऐसे यौगिक छोड़ती हैं जो नाइट्रोजन को नाइट्रेट में बदलने की प्रक्रिया को रोकते हैं। इससे नाइट्रोजन के रिसाव और उत्सर्जन में कमी आती है, पोषक तत्वों का कुशल उपयोग सुनिश्चित होता है और रासायनिक उर्वरकों जैसे यूरिया पर निर्भरता कम होती है।

साझेदारी और परियोजना की जानकारी

यह परियोजना ICAR-Central Soil Salinity Research Institute (CSSRI), Indian Institute of Wheat and Barley Research (IIWBR), Indian Agricultural Research Institute (IARI) और Borlaug Institute for South Asia (BISA) के सहयोग से जापान इंटरनेशनल रिसर्च सेंटर फॉर एग्रीकल्चरल साइंसेज (JIRCAS) के साथ चल रही है। इस परियोजना को जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) द्वारा वित्त पोषित किया गया है।

प्रगति और प्रारंभिक परिणाम

दिसंबर की शुरुआत में, ICAR के उप महानिदेशक (फसल विज्ञान) डॉ. टीआर शर्मा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने JIRCAS का दौरा किया और प्रगति का आकलन किया। ICAR-CSSRI के निदेशक डॉ. आरके यादव ने कहा, "प्रयोगशाला और क्षेत्र परीक्षणों के प्रारंभिक परिणाम उत्साहजनक हैं। हमें जल्द ही ऐसी गेहूं की किस्में पेश करने की उम्मीद है, जिनमें कम यूरिया की आवश्यकता होगी और देश की निर्भरता में उल्लेखनीय कमी आएगी।"

BNI तकनीक के प्रभाव

CSSRI के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार भारद्वाज ने BNI तकनीक की क्षमता को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, "यह तकनीक नाइट्रोजन उर्वरकों की मांग को बिना उत्पादन या गुणवत्ता पर असर डाले कम कर सकती है। यह सतत कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देने के साथ-साथ भूजल में नाइट्रोजन के रिसाव को भी कम करता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता और जल संसाधनों का संरक्षण होता है।"

प्रारंभिक प्रयोग और रणनीति

IIWBR के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सीएन मिश्रा ने बताया कि प्रारंभिक प्रयोगों में 15-20% तक यूरिया की खपत में कमी देखी गई है, जबकि उत्पादन और गुणवत्ता पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा। उन्होंने कहा, "BNI सक्षम गेहूं की किस्में विकसित करने की प्रजनन रणनीति सही दिशा में है।"

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