Farmer Protest Live: किसान आंदोलन को लेकर राकेश टिकैत का बड़ा ऐलान, कहा- "बंटोगे तो लुटोगे"

Rakesh Tikait


चंडीगढ़। किसान नेता राकेश टिकैत ने किसानों को एकता बनाए रखने की सलाह देते हुए आगाह किया कि यदि किसान संगठन आपस में बंटे तो नुकसान उठाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि एकजुटता ही किसानों के आंदोलन की ताकत है और सरकार की नीतियों के खिलाफ अपनी मांगें पूरी करने के लिए किसान संगठनों को मिलकर लड़ना होगा।

"अलग-अलग रास्ते अपनाने से हार होगी। एकता जरूरी है। जब आंदोलन 10 महीने पहले शुरू हुआ था, तब हमने सभी से संयुक्त किसान मोर्चा के तहत एकजुट होकर काम करने की अपील की थी। किसी को अलग से दिल्ली कूच करने की घोषणा नहीं करनी चाहिए। जब तक हम एक नहीं होते, तब तक दिल्ली से दूर रहना बेहतर है। यह 66,000 वॉट के करंट जैसा है, और इसे पार करने के लिए हमें मिलकर आगे बढ़ना होगा," टिकैत ने कहा।

टिकैत यह बयान देने से पहले सिंघरा गांव स्थित ननकसर गुरुद्वारे में पहुंचे थे, जहां उन्होंने बाबा राम सिंह की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की। बाबा राम सिंह ने दिसंबर 2020 में सिंघू बॉर्डर पर किसानों की दुर्दशा के कारण आत्महत्या कर ली थी, जब हजारों किसान कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे।


किसान नेता जगजीत सिंह दलेवाल की हालत पर जताई चिंता

राकेश टिकैत ने किसान नेता जगजीत सिंह दलेवाल की बिगड़ती सेहत पर भी चिंता व्यक्त की, जो 26 नवंबर से खानौरी बॉर्डर पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं। टिकैत ने सरकार से जल्द से जल्द किसान संगठनों से बातचीत शुरू करने की अपील की। उन्होंने कहा,

"सरकार को ऐसे फैसले लेने चाहिए, जो सभी के हित में हों। दिल्ली के लिए तैयारी करने के लिए सभी किसान संगठनों को एकजुट होना होगा। तेज़ी से मोर्चा मजबूत हो और बातचीत आगे बढ़े। हम प्रदर्शनकारियों के साथ खड़े हैं और उनकी मांगों का समर्थन जारी रखेंगे।"


पंजाब तक सीमित आंदोलन पर टिप्पणी

टिकैत ने यह भी कहा कि वर्तमान में किसान आंदोलन केवल पंजाब तक सीमित है, जिससे पंजाब के लोगों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, "पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार होने के कारण यह आंदोलन वहीं तक सीमित हो गया है। इससे स्थानीय लोगों को परेशानी हो रही है। यह आंदोलन आगामी चार से पांच महीने तक जारी रह सकता है।"


गुरनाम सिंह चढूनी पर तंज

इस बीच, राकेश टिकैत ने किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी पर तंज कसते हुए कहा कि उन्हें किसानों के मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए, न कि चुनाव लड़ने पर। टिकैत ने कहा,

"पहले उन्हें चुनाव लड़ने दो। अगर वह चुनाव से मुक्त हो जाते हैं, तो वह फिर से किसानों के साथ जुड़ सकते हैं। लेकिन उन्हें ‘चुनावी बुखार’ छोड़ना होगा। चुनाव एक बड़ी बाधा है।"

अपना अनुभव साझा करते हुए टिकैत ने कहा,

"मैंने बहुत पहले चुनाव लड़ने का विचार छोड़ दिया था। जब चढूनी भी इस बात को समझने के लिए तैयार होंगे, तो मैं अपना अनुभव उनके साथ साझा करूंगा।"


राकेश टिकैत ने किसानों से एकजुट रहने की अपील करते हुए सरकार से तत्काल संवाद शुरू करने की मांग की। साथ ही उन्होंने किसान नेताओं को सलाह दी कि राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं से ऊपर उठकर किसानों के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करें। टिकैत का मानना है कि आंदोलन को सफल बनाने के लिए सामूहिक एकता ही सबसे बड़ा हथियार है।

"बंटे हुए किसान आंदोलन की ताकत खो देंगे, लेकिन एकता से हम हर चुनौती का सामना कर सकते हैं।"

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