Haryana Election 2024: ईवीएम की जांच के लिए कांग्रेस नेता ने दाखिल की सुप्रीम कोर्ट में याचिका
नई दिल्ली: कांग्रेस नेता और पांच बार के विधायक करण सिंह दलाल ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल की गई इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने अपनी याचिका में चुनाव आयोग (ECI) से ईवीएम के चार प्रमुख घटकों—कंट्रोल यूनिट, बैलट यूनिट, VVPAT और सिंबल लोडिंग यूनिट—की मेमोरी और माइक्रोकंट्रोलर की जांच और सत्यापन के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की है।
याचिका में उठाई गई मांगें
- ईवीएम के चारों घटकों की मेमोरी और माइक्रोकंट्रोलर की जांच 8 सप्ताह के भीतर पूरी की जाए।
- जांच और सत्यापन की प्रक्रिया चुनाव आयोग द्वारा पारदर्शी तरीके से संचालित की जाए।
- यह प्रक्रिया लोकतंत्र की पवित्रता और चुनावों की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
याचिका में कहा गया है कि यह मामला देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया और आगामी राज्यों के चुनावों को प्रभावित करता है, इसलिए इसका शीघ्र और निर्णायक हल आवश्यक है।
सुप्रीम कोर्ट के अप्रैल आदेश का हवाला
इस साल अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए निर्देश दिया था कि किसी चुनाव में दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे उम्मीदवारों के अनुरोध पर 5 प्रतिशत ईवीएम की मेमोरी और माइक्रोकंट्रोलर की जांच की जाए। यह प्रक्रिया ईवीएम बनाने वाली कंपनियों के इंजीनियरों द्वारा की जाएगी और इस दौरान उम्मीदवारों तथा उनके प्रतिनिधियों की मौजूदगी सुनिश्चित की जाएगी।
करण सिंह दलाल ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के तहत जांच प्रक्रिया के लिए अब तक कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं। यह चुनाव आयोग की जांच से बचने की मंशा को दर्शाता है।
कांग्रेस का आरोप: ईवीएम में हुई छेड़छाड़
हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस ने आरोप लगाया कि ईवीएम में गड़बड़ी करके भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने चुनाव में जीत हासिल की। 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में बीजेपी को 48 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस केवल 37 सीटों पर सिमट गई। कांग्रेस का दावा है कि वे चुनाव में जीत को लेकर आश्वस्त थे, लेकिन परिणाम उलट आने पर ईवीएम की भूमिका संदिग्ध लगती है।
भविष्य के लिए चिंता
करण सिंह दलाल ने कहा कि ईवीएम की जांच और सत्यापन की मांग सिर्फ हरियाणा के चुनाव तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरी चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए है। अगर इस मामले को समय रहते हल नहीं किया गया, तो भविष्य में होने वाले चुनावों की निष्पक्षता पर भी सवाल उठ सकते हैं।