एक साल से अटकी पड़ी है हिंदी प्रवक्ताओं की भर्ती, पुलिस की नाकामी के कारण भटक रहे हैं दर-दर
पुलिस महकमें की नाकामी के कारण दर-दर भटक रहे हैं हिंदी प्रोफेसर.
18 जुलाई 2018
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नया हरियाणा
10 जुलाई 2017 को हरियाणा कॉलेज हिंदी प्रोफेसर पद के लिए करीब 120 का चयन हुआ. लिखित परीक्षा के समय पंचकूला के एक सेंटर पर एक परीक्षार्थी फोन पर नकल करते हुए पकड़ा गया. जिसको आधार बनाकर कुछ चयन से बाहर रह गए लोगों ने इस भर्ती पर केस कर दिया.
उनका कहना है कि पिछली सरकार में भाईभतीजावाद से लगे गेस्ट प्रोफेसरों ने भी केस करने वालों को आर्थिक व सभी तरह की मदद की. ताकि इन चयनित साथियों को रोका जा सके. यहां तक मामला लोकतांत्रिक लगता है. पर इन चयनित प्रोफेसरों का आरोप है कि पुलिस को जो स्टेट्स रिपोर्ट जमा करवानी है. उसे इन एक्सटेंसन पर लगे हुए प्रोफेसरों की तरफ से प्रभावित एवं विलंबित किया जा रहा है. ताकि भर्ती पर केस चलता रहे. यदि भर्ती हो जाएगी तो उन्हें हटना पड़ेगा. इनकी ज्वाइनिंग न हो इसके लिए वो सभी दाम, साम वाले पैंतरे अपना रहे हैं. हालांकि इन सबके कोई साक्ष्य नहीं है. पर ऐसा होने की संभावनाओं से इंकार भी नहीं किया जा सकता.
बहुत मामूली से चीटिंग के केस के निपटाने में 1 साल से ऊपर हो गया. ऐसे में आदलत और सरकारी एंजेसियों पर सवाल करना लीजिमी बनते हैं. सरकार पर जो अफसरशाही के हावी होने की बात कही जाती है. वह कहीं न कहीं इसे पुष्ट भी करती है. सरकार को इस मामले में संज्ञान लेते हुए मानसिक रूप से प्रताड़ित किए जा रहे इन हरियाणा के हिंदी प्रवक्ताओं के मामले में कार्यवाही को ईमानदारी से चलवाना चाहिए.
पुलिस की लेटलतीफी के कारण ये हिंदी प्रोफेसर दर-दर भटकने को मजबूर हैं. पर इनकी फरियाद सुनने वाला और समझने वाला कोई नहीं है. दूसरी तरफ अगर इनकी बातों में सच्चाई है तो एक्सटेंसन पर लगे हुए शिक्षक किस तरह की शिक्षा देते होंगे, यदि वो खुद भ्रष्ट सिस्टम के पोषक हैं तो. पुलिस आखिर एक चीटिंग केस को सुलझाने में सालभर का समय लगाती है तो पुलिस महकमें पर भी सवाल खड़े लाजिमी है. किसकी गलती की सजा भुगत रहे हैं ये प्रोफेसर?