2019 के चुनाव में दीपेंद्र के लिए मुश्किलें बढ़ती हुई लग रही हैं.
12 जुलाई 2018
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पवन बंसल
रंज दिया बुतो ने तो खुदा याद आया।
चुनाव नजदीक तो हुड्डा को याद आयी छत्तीस बिरादरी।
पहले कहते थे कि मेै जाट पहले और चीफ मिनिस्टर बाद में।
जनाब भूपेंद्र सिंह हुड्डा का या तो ह्रदय परिवर्तन हो गया है या उनकी राजनीतिक मजबूरी है। अब हुड्डा साहिब कह रहे है कि मैं तो छतीस बिरादरी का हितैषी हूँ। मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के दावे की वो यानि खट्टर जाटो के सबसे बड़े हितैषी हैं, का मजाक उड़ाते हुए हुड्डा ने कहा कि मैं तो हर देशवासी और हरियाणा वासी का हितैषी हूँ।
लोग शायद भूल गए होंगे। इन्हीं जनाब ने जाटों का मसीहा बनने के चक्कर में कह दिया कि वे जाट पहले हैं और मुख्यमंत्री बाद में। इसका उन्हें राजनीतिक खमियाजा भी भोगना पड़ा। हुड्डा साहिब ने रोहतक लोकसभा सीट से कदावर जाट नेता देवीलाल को तीन बार हराया। रोहतक शहर और कलानौर के मतदाताओं के दम पर। ग्रामीण हलकों से तो देवीलाल को लीड मिलती थी जो रोहतक और कलानौर में धराशायी हो जाती और हुड्डा के लिए बिल्ली के भाग से छींका टूटने वाली बात होती। हुड्डा के अपने असेंबली हलके में तो जाट मतदाता काफी तादाद में है इसलिए हुड्डा को वहा की चिंता नहीं। उन्हें अपने लाडले दीपेंद्र का चुनाव दिख रहा है। जहां 36 बिरादरी की सबसे ज्यादा जरूरत पड़नी है.