सीएम मनोहर लाल के निशाने पर कुलदीप बिश्नोई ही क्यों?
मनोहर लाल ने कुलदीप बिश्ननोई पर हमला करके कहीं कुलदीप को नया जीवनदान तो नहीं दे दिया.
25 जून 2018
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अमित रूख्या
सीएम मनोहर लाल आमतौर पर अपने राजनीतिक विरोधियों पर निजी हमले करने से बचते नजर आए हैं, लेकिन ऐसे में बिना किसी खास मौके सीधा आदमपुर में जाकर कुलदीप बिश्रोई पर निजी हमला संयोगवश किया गया होगा, ऐसा गले से नीचे नहीं उतरता। लेकिन आमतौर पर ऐसा ना करने वाले सीएम ने ऐसा किया है तो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि ये एक 'प्लानिंगÓ का हिस्सा हो। अगर ये प्लानिंग ही है तो बीजेपी की बजाए इसका फायदा कहीं ना कहीं कुलदीप बिश्रोई को ही मिलने के चांस बन गए हैं।
दरअसल सीएम ने कुलदीप पर हमला उन्हीं के गढ़ आदमपुर में जाकर बोला है, आदमपुर के लोग भजनलाल कुनबे को अपना परिवार ही मानते आए हैं। ऐसे में सीएम का वार बूमरैंग की तरह बीजेपी को ही हिट कर सकता है। इसके अलावा भले ही कुलदीप बिश्रोई के परिजन और समर्थकों ने सीएम द्वारा कुलदीप बिश्रोई पर निजी टिप्पणी पर ऐतराज जताया हो, लेकिन इस सारी कवायद ने एकाएक कुलदीप बिश्रोई को सैंटर आफ अटेंशन में ला खड़ा कर दिया है। सीएम ने ऐसा हमला कभी कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष या पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर नहीं बोला, लेकिन कुलदीप को इसके लिए चुनने के पीछे साफ तौर पर सीएम की गैर जाट की पॉलिटिक्स ही नजर आती है। लगातार झटकों के बावजूद कुलदीप फिलहाल तक गैर जाट नेताओं में सबसे आगे नजर आते हैं, इसी फ्रंट सीट पर सीएम साहब की नजर है।
बिना कुलदीप बिश्रोई को हटाए सीएम के लिए प्रदेश का सबसे बड़ा गैर जाट नेता बनना असंभव है। अभी तक जाट-गैर जाट राजनीति से खुद को अलग बताने वाली पार्टी विद डिफरेेंस भी अब हमाम के नंगों में शामिल होती दिख रही है। कहीं इसकी वजह ये तो नहीं कि सीएम को कुलदीप को किसी बड़े पद की संभावना बनती दिख रही हो और ऐसी स्थिति में कहीं 'बूमरैंगÓ वापिस सीएम साहब को ही अपनी चपेट में ना ले ले।