अफसरशाही के सामने घुटने टेकने को मजबूर है मनोहर सरकार!
सरकार द्वारा सर्कुलर जारी करना इस बात का प्रमाण है कि सरकार पर अफसरशाही भारी पड़ रही है.
21 जून 2018
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नया हरियाणा
प्रदेश सरकार द्वारा अधिकारियों को मंत्रियों, सांसदों व विधायकों को उचित मान-सम्मान दिए जाने बारे में एक सर्कुलर जारी किया गया है. जिसे लेकर मनोहर सरकार की विपक्ष खूब आलोचना कर रहा है. ऐसे में सवाल यह बनता है कि मनोहर सरकार को लेकर जनता में जो यह मैसेज जा रहा था कि इस सरकार में अफसरशाही सरकार पर भारी पड़ रही है. हाल में आया यह सर्कुलर इस बात की पुष्टि करता है कि सरकार अफसरशाही के सामने घुटने टेक चुकी है, तभी उसे इस तरह के सर्कुलर जारी करने पड़ रहे हैं. आखिर अफसरशाही के सामने घुटने टेकने की वजह क्या हो सकती है. मनोहर लाल का अनुभवहीन होना या उनकी टीम का अयोग्य होना. खुद को ईमानदार कहने वाले मुख्यमंत्री मनोहर लाल अफसरशाही के सामने बेबस क्यों नजर आते हैं?
मुख्यमंत्री के खुद के ईमानदार होने से व्यवस्था को ईमानदारी का सर्टिफिकेट नहीं दिया जा सकता. जब तक अफसरशाही मनोहर सरकार पर भारी रहेगी, तब तक हरियाणा के भ्रष्टाचार मुक्त होने के सपने ही देखे और दिखाए जा सकते हैं.
इस मुद्दे पर भिवानी महेन्द्रगढ़ के सांसद धर्मवीर सिंह ने कहा है कि संविधान में सबके अलग-अलग काम बांटे गए हैं अगर कार्यपालिका यह माने कि विधायिका तो कमजोर हैं तो ये दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सन 1950 में संविधान लागू हुआ था तथा इसमें विधायिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका के कामों का उल्लेख किया गया था। ये तीनों अपने-अपने काम-काम करती हैं पर यदि कार्यपालिका विधायिका को कमजोर समझे और ये सोचे कि सरकार तो उन्हें ही चलानी है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण ही है यानी उनका इशारा अफसरशाही की तरफ ही था।