हरियाणा में हर सरकार में 'मासूमों' पर चली हैं गोलियां!
मनोहर लाल के राज में सबसे ज्यादा गोली चलने की घटनाएं हुई हैं.
18 जून 2018
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नया हरियाणा
हर मुख्यमंत्री के काम करने की शैली अपनी होती है. पर हम आज बात करेंगे कानून व्यवस्था को लेकर. जिसमें मनोहर लाल खट्टर की सरकार आमजन की हत्या करने के मामले में सबसे ऊपर है. हरियाणा की जनता ने अलग-अलग मुख्यमंत्रियों के दौर देखे हैं और उनके शासन करने के तेवर भी देखे हैं.
मनोहर लाल की सरकार में करीब 75 मौतों का दाग है. पंचकूला उपद्रव में 40, जाट आरक्षण आंदोलन में 30 और रामपाल प्रकरण में 5. मनोहर लाल की सरकार 4 साल के शासन में इस मामले सबसे ज्यादा नाकारा सरकार साबित हुई है. आगजनी, हिंसा और भय का वातावरण इस शासन में सर्वाधिक रहा है. पूर्व मुख्यमंत्रियों बंसी लाल, भजन लाल व ओमप्रकाश चौटाला के शासनकाल में सर्वाधिक हिंसा किसान आंदोलनों के दौरान हुई और कई किसान अकाल मौत का शिकार हुए.
बंसीलाल के कार्यकाल में भिवानी जिले के रिवासा कांड का दाग आज तक नहीं धुला. सतनाली व मंडियाली में पुलिस की गोली से 9 किसान मारे गए व कलायत उपमंडल के गांव कौलेखां में गोपी राम नामक किसान की मौत भी हिंसक घटना में हुई. प्रमुख किसान नेता फतेह सिंह फतवा के बारे में यह अफवाह फैली की पुलिस ने भिवानी में उन्हें तंदूर में जला दिया है जो झूठी निकली लेकिन कलायत में उपद्रव व छुटपुट हिंसात्मक घटनाएं हुईं. सहकारी संस्थाओं का रिकार्ड जलाया गया.
भजन लाल के कार्यकाल में हिसार की अध्यापिका सुशीला की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत के बाद उनके गृह जिले में जबरदस्त विरोध हुआ. इससे पहले 1982 में दादरी में महाबीर सिंह, 1984 में सिसाए में रूपचंद नैन, 7 जनवरी 1993 को निसिंग गोलीकांड में मामचंद और लखपत नामक किसान पुलिस की गोली से मारे गए. इसी प्रकार कादमा गोली कांड में 5 किसान मारे गए. टोहाना में तत्कालीन कृषि मंत्री हरपाल सिंह के निवास का घेराव कर रहे किसानों पर पुलिस ने गोली दागी तो प्यारे लाल खोखर नामक किसान को जान गंवानी पड़ी थी.
ओमप्रकाश चौटाला के कार्यकाल के पहले कार्यकाल में महम कांड हुआ जिसे उस इलाके के लोग आज भी नहीं भूले हैं. झज्जर जिले के दुलीना में पशुओं की खाल के लिए विवाद गहरा गया जब उग्र भीड़ ने पीट-पीट कर कई लोगों की हत्या कर दी थी. जींद के कंडेला में किसानों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया और गोलियां चलाई, जिसमें 12 किसान मारे गए थे. विवश पुलिस को गोली तब चलानी पड़ी जब किसानों ने प्रशासनिक अधिकारियों को बंधक बना लिया था.
लगातार 10 साल शासन करने वाले पूर्व सी.एम. भूपेंद्र हुड्डा के कार्यकाल में बड़ी घटना गुरुग्राम स्थित मारुति कम्पनी में आगजनी व हिंसा की रही. जिसकी वजह से बहुत से सुवा बेरोजगार हुए और कुछ पर केस चल रहा है. गोहाना में दलित युवक राका द्वारा हत्या व बाद उसकी हत्या हुई. यहां हुई जातीय हिंसा से हुड्डा को काफी परेशानी झेलनी पड़ी. इसी प्रकार हिसार के मिर्चपुर व अन्य जगहों पर दलित अत्याचार की घटनाओं ने तो उन्हें हिलाकर रख दिया था. जाट आरक्षण के दौरान मय्यड़ में 3 लोग मारे गए और एक महिला टीचर की मौत से काफी बवाल मचा.