चश्मा लगा कर देखोगे तो चौधरी बंसी लाल के लड़के सुरेंद्र का रिवासा काण्ड दिखेगा : ओमप्रकाश चौटाला
राजनीतिक परिवारों में कुछ मुद्दों पर आपसी समझौते हो जाते हैं. इस मामले में भी शायद ऐसा ही हुआ.
16 जून 2018
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नया हरियाणा
अजय सिंह चौटाला ने 1998 -99 में भिवानी से लोकसभा का चुनाव लड़ा था. 1999 के चुनाव में इनेलो को चश्मा चुनाव चिन्ह मिला था जो आजतक है. इस चश्मा चिन्ह को लेकर चौधरी ओमप्रकाश चौटाला ने भिवानी के किरोड़ीमल पार्क में एक घंटा भाषण दिया था. जिसमें उन्होंने रिवासा काण्ड का जिक्र किया था कि चश्मा लगा कर देखोगे तो चौधरी बंसी लाल के लड़के सुरेंदर का रिवासा काण्ड दिखेगा. कहने का मतलब यह हैं कि उस भाषण में चौटाला साहब का सभी वर्कर्स के लिए इशारा था कि लोगो को इस रिवासा काण्ड की भी याद दिलाना. वर्कर्स ने यह काम किया भी परन्तु अजय सिंह की जीत रिवासा कांड जैसे मुद्दों को लेकर नहीं मंडयाली काण्ड को लेकर हुई. जिस क्षेत्र में यह काण्ड हुआ था वहाँ तो सुरेंदर सिंह की जीत हुई. उस रैली के बाद कभी भी चौटाला साहब को इस रिवासा काण्ड का जिक्र करते नहीं सुना गया. शायद बंसीलाल के साथ कुछ साठगांठ हुई हो.
क्या है रिवासा कांड
चौधरी बंसीलाल 21 मई 1968 को हरियाणा के मुख्यमंत्री बने और साढ़े सात साल तक उन्होंने "राज" किया. सचमुच यह राज था. उनकी और उनके बेटे सुरेंद्र सिंह की तूती बोलती थी उन दिनों. सुरेंद्र सिंह भरी जवानी में तो थे ही, साथ ही निरंकुश सत्ता उनके पास थी. भिवानी के छात्र समुदाय में वे अपना एकछत्र राज चाहते थे, लेकिन एक छात्र भंवर सिंह भाटी ने उनके सामने खड़े होने की हिम्मत दिखाई. जिससे सुरेंद्र सिंह बौखला गए और उन्होंने भंवर सिंह को सबक सिखाने की ठान ली. पहले सुरेंद्र सिंह ने झोटा फ्लाइंग भेजकर उस बस पर रेड पड़वा दी जिससे भंवर सिंह व उसके साथी आया -जाया करते थे. बिना टिकट यात्रा कर रहे बाकी छात्र तो रेड में पकडे गए लेकिन भंवर सिंह किसी तरह भाग निकला.
उनके खिलाफ तोशाम थाने में केस दर्ज़ कर लिया गया. भंवर सिंह को पकड़ने के लिए पुलिस उसके मामा के गाँव रिवासा के चक्कर लगाने लगी. जब भंवर सिंह पकड़ा नहीं जा सका तो सुरेंद्र सिंह के दबाव में पुलिस वाले उसकी माँ और मामा को उठाकर थाने में ले आये. कहते हैं कि सुरेंद्र सिंह की हैसियत और भंवर सिंह की औकात बताने के लिए पुलिसियों ने मारपीट के अतिरिक्त थाने में भाई-बहन को एक -दूसरे के सामने बेइज्जत किया. बल्कि यहां तक सुनने में आता है कि उन दोनों को नंगे करके आमन-सामने बैठाया. भंवर सिंह को पकड़ने के लिए पुलिस वालो ने रिवासा गाँव में उसके मामा के छप्पर में आग लगा दी. इस आग में भंवर सिंह की अंधी व बूढी नानी जल कर मर गयी.
यह मामला विधान सभा में भी छाया रहा. मुख्यमंत्री बंसीलाल ने अपने पुत्र को काबू में करने या गलती मानकर क्षमा याचना करने अथवा दण्डित करने की बात कहने के बजाय उलटे चौधरी चांदराम पर व्यक्तिगत टिप्पणियों की बौछार कर दी. कांग्रेस के तमाम मंत्री और विधायक भी सुरेंद्र सिंह के बचाव में कूद पड़े.
राष्ट्रीय स्तर पर जब मुद्दा उछला तो एक जांच कमेटी बैठाकर पूरे मामले को ठिकाने लगा दिया गया. पर जनता की अदालत में रिवासा कांड आज भी कहीं न कहीं बंसीलाल की छवि में दाग की तरह अटका हुआ है.