रोड बनाओ पर साथ में पेड़ भी लगाते रहे तो जीवन आसान हो जाये।
8 जून 2018
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नया हरियाणा
वन संरक्षण अधिनियम 1980 के अनुसार किसी भी सरकारी या गैर सरकारी प्रोजेक्ट में यदि 1 हैक्टेयर से अधिक वनक्षेत्र को गैर वनक्षेत्र में बदला जाता है तो उसके बदले में प्रयोक्ता एजेंसी से बराबर की निजी भूमि वन विभाग के नाम दर्ज करानी होती है। जिसमें पेड़ लगाए जाते हैं।
क्षेत्र के लगभग 95 प्रतिशत स्टेट-वे सड़कों को हाईवे में बदले जाने के लिए करीब 50 हजार से अधिक पेड़ों की बलि दी जा चुकी है। यह बलि यही नहीं रुकती, बल्कि लगातार जारी है। अंधाधुंध पेड़ कटाई का असर है कि दक्षिण हरियाणा के भिवानी, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, चरखी दादरी आदि जिलों में तापमान साथ ही लगे जिलों (रोहतक, जींद,झज्जर) के तापमान से 2 प्रतिशत अधिक रहने लगा है और साथ ही पीने का पानी भी खारा हो चला है। जमीन भी बंजर होती जा रही है। अधिकारी वन संरक्षण अधिनियम 1980 से भली-भांति परिचित होने के बावजूद भी उसकी अनदेखी करते आ रहे है।
रायमलिकपुर से भिवानी होकर पंजाब जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए लगभग 25000 पेड़ों की कटाई की गई। अभी हाल ही में 2 अन्य नेशनल हाईवे अधिसूचित किये गए हैं, जिनमें से एक एनएच 334B जो दिल्ली को वाया झज्जर-दादरी-लोहारू को राजस्थान के बॉर्डर से मिलाएगा। और दूसरा हाईवे एनएच 709A भिवानी-जींद से होता हुआ पंजाब की सीमा तक जाएगा। इन दोनों प्रोजेक्ट पर जल्द ही काम शुरू किया जाना है। अनुमान है कि ये दोनों प्रोजेक्ट्स भिवानी और दादरी जिलों में सड़क किनारे खड़े लगभग 30000 पेड़ों के अलावा करीब 40 हैक्टेयर वनभूमि को भी लील चुके हैं। बदले में वन-विभाग को कोई भूमि नहीं दी गई है।