बीरेंद्र सिंह और उनकी पत्नी की जीत को मिलाकर 10 में 5 बार जीत चुके हैं उचाना की सीट.
6 जून 2018
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नया हरियाणा
जींद जिले की उचाना सीट अकेली ऐसी सीट हैं, जो हिसार लोकसभा में आती है. उचाना विधान सभा की सीट को बीरेंद्र सिंह डूमरखां की सीट माना जाता है. बीरेंद्र सिंह ने उचाना विधानसभा सीट पर 1977 से लेकर 2014 तक हुए 10 विधानसभा चुनावों में से 5 बार जीत दर्ज की है. हालांकि 2014 के चुनाव में बीरेंद्र सिंह की पत्नी ने यहां से चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की थी. बीरेंद्र सिंह वर्तमान में राज्य सभा में सांसद हैं.
उचाना लोकसभा के नतीजे (Uchana Vidhan Sabha constituency
1977 में पहली बार उचाना विधान सभा सीट पर चुनाव हुए थे. जिसे बीरेंद्र सिंह ने जीता था और जनता पार्टी के रणबीर सिंह को हराया था. उस समय बीरेंद्र सिंह को 12,120 वोट आए थे और रणबीर सिंह को 10,488 वोट आए थे.
1982 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी से बीरेंद्र सिंह ने निर्दलीय देशराज को हराया. बीरेंद्र सिंह 30,031और देशराज 20,225 वोट मिले थे.
1985 के उपचुनाव में कांग्रेस के सुबे सिंह ने लोकदल के आई सिंह को हराया. कांग्रेस को 34,375 वोट मिले और लोकदल को 24,904 वोट मिले.
1987 के चुनाव में लोकदल के देशराज ने कांग्रेस के सुबे सिंह को हराया. लोकदल 55,361 और कांग्रेस को 10,113 वोट मिले थे.
1991 के चुनाव में कांग्रेस के वीरेंद्र सिंह ने जनता पार्टी के देशराज को हराया. कांग्रेस को 31,937 वोट और जनता पार्टी को 23,093 वोट मिले थे.
1996 के चुनाव में बीरेंद्र सिंह ऑल इंडिया इंदिरा कांग्रेस(तिवारी) की तरफ से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. उन्होंने बाग सिंह को हराया. बीरेंद्र सिंह को 21,755 वोट और बाग सिंह को 17,843 वोट मिले थे. ऑल इंडिया इंदिरा कांग्रेस (तिवारी) पार्टी का गठन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के नाराज नेताओं द्वारा किया गया था. जिसमें नारायण दत्त तिवारी, अर्जुन सिंह, के नटवर सिंह और रंगराजन कुमारमंगलम थे. सोनिया गांधी ने पार्टी संभालने पर इस पार्टी का कांग्रेस पार्टी के साथ विलय कर दिया था.
2000 के चुनाव में इनेलो के बाग सिंह ने बीरेंद्र सिंह को हराया. इनेलो को 39,715 वोट मिले और कांग्रेस को 32,773 वोट मिले.
2005 में बीरेंद्र सिंह ने इनेलो देशराज को हराया. कांग्रेस को 47,590 वोट मिले और इनेलो को 34,758 वोट मिले.
2009 में ओमप्रकाश चौटाला ने बीरेंद्र सिंह को हराया. इनेलो को 62,669 वोट और कांग्रेस को 62,048 वोट मिले.
2014 के चुनाव में बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता ने इनेलो के युवा सांसद दुष्यंत चौटाला को मात दी थी. प्रेमलता को 79,674 वोट मिले थे और दुष्यंत चौटला को 72,194 वोट मिले थे. इस चुनाव में बीरेंद्र सिंह ने कांग्रेस को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था. सबसे चौंकाने वाली घटना यह थी कि उचाना सीट दुष्यंत चौटाला की लोकसभा सीट में आती है और जब वो सांसद बने, उस समय उचाना से जीत दर्ज की थी. एक तरफ लोकसभा चुनाव में वो मोदी लहर होने के बावजूद सीट जीत गए और विधानसभा का चुनाव हार गए. प्रेमलता की जीत में भाजपा लहर का असर बताया जाता है, जबकि बीरेंद्र सिंह का अपना रूतबा या फेस इस जीत का बड़ा कारक रहा है.