रानियां खंड के गोविंदपुरा के वासियों ने किया सभी दलों का बहिष्कार, नहीं दिया किसी भी सरकार ने ध्यान!
गांव के सरपंच ने कहा कि इस पद की बागडोर संभाले 3 साल के लगभग समय हो चुका है। इस दौरान सरकार की ओर से कोई भी ग्रांट नहीं भेजी गई है।
5 जून 2018
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नया हरियाणा
रानियां खंड का गांव गोविंदपुरा जहां प्रदेश की भाजपा सरकार के कार्यकाल में कोई भी विकास कार्य न करवाए जाने को लेकर गांव के सरपंच के नेतृत्व में सैकड़ों लोगों ने एकत्रित होकर प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। जिसमें महिलाओं ने भी सरकार के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली। जिसके कारण परेशान होकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रकट किया है।
गांव वालों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने के बाद चेतावनी दी है कि गांव में विकास न होने पर किसी भी पार्टी का कोई भी नेता उनके गांव में वोट मांगने न आए और न ही वह आने वाले चुनाव में किसी भी पार्टी को वोट डालेंगे।
गांव के सरपंच ने कहा कि इस पद की बागडोर संभाले 3 साल के लगभग समय हो चुका है। इस दौरान सरकार की ओर से कोई भी ग्रांट नहीं भेजी गई है। लेकिन खंड कार्यालय द्वारा कई बार प्रस्ताव जरूर मांगे गए हैं लेकिन गांव का विकास करवाने के नाम पर कोई भी धनराशि नहीं मिली है। इसलिए गांव की अनेकों गलियां कच्ची हैं जो कि कीचड़ से सनी रहती हैं. गंदे पानी की निकासी का कोई प्रबंध नहीं है। शहर के साथ लगता इलाका जहां पर सीवरेज की व्यवस्था भी नहीं है। यहां तक की पेयजल की सुविधा भी नाम मात्र ही है जबकि रानियां और गोविंदपुरा के बीच में बड़ा जलघर बना हुआ है इसके बावजूद भी गोविंदपुरा में पेयजल की सप्लाई नहीं है।
सतोष देवी ने कहा की गांव के बुजुर्गों की बुढापा, विधवा महिलाएं पेंशन सेवा से वंचित हैं। अनेकों गरीब परिवार ऐसे हैं जिनके पास रहने के लिए मकान नहीं है और न ही प्लाट हैं। बुजुर्ग महिलाओं ने कहा कि उन्हें बुढ़ापा पेंशन गुलाबी और पीले कार्डों की सुविधा सहित किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है।
संदीप कुमार और गोविंदपुरा के शिक्षित बेरोजगार युवाओं ने कहा कि उन्हें किसी प्रकार का रोजगार ऋण व मनरेगा जैसी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि चुनावी दिनों में स्थानीय नेता उनके घर-घर तक आकर लम्बे चौड़े वायदे करते रहे हैं लेकिन सत्ता काबिज होने के बाद उनके दुख दर्द में कोई शरीक नहीं होता है। उन्होंने कहा कि किसी भी पार्टी का कोई भी नेता उनके गांव में वोट मांगने न आए और न ही वह आने वाले चुनाव में किसी भी पार्टी को वोट डालेंगे।