जानिए क्या है कनेक्शन इनेलो और राजकुमार सैनी के लोक सुरक्षा मंच में!
दोनों ही देवीलाल के स्कूल के विद्यार्थी रहे हैं जोगेंद्र सिंह हुड्डा तपासे वाला और राजकुमार सैनी जाटों वाला
25 मई 2018
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नया हरियाणा
आज के दौर में जाट समाज के खिलाफ जहर उगलने वाले कुरुक्षेत्र के सांसद राजकुमार सैनी का इनेलो से पुराना नाता है. एक तो देवीलाल के शार्गिद रहे हैं, दूसरा उनके चेहरे पर जो कालिख पोती गई है, उसका भी पुराना कनेक्शन है इनेलो से. ऐसे में राजनीति फिल्म का डायलॉग याद आ रहा है कि -"राजनीति में मुर्दे कभी दफन नहीं किए जाते उन्हें जिंदा रखा जाता है ताकि वक्त आने पर वो बोलें." चलिए आज ऐसे ही एक गड़े मुद्दे ओह मुर्दे को उखाड़ते हैं.
कर्नाटक में राज्यपाल ने हरियाणा के राज्यपाल तापसे की याद तो ताजा कर ही दी. साथ उनके साथ हुई घटनाएं भी फिर से ‘हरी’ हो गई। देवीलाल के साथ हुए अन्याय का बदला लेने के लिए जोगिंद्र सिंह हुड्डा ने राज्यपाल के मुहं पर कालिख पोत दी थी. जिसके कारण जोगिंद्र सिंह हुड्डा का नाम जोगिंद्र तापसे हो गया. यह महज संयोग ही है कि देवीलाल के दो शिष्यों का काली स्याही से नाता जुड़ गया है. जोगिंद्र तापसे और राजकुमार सैनी दोनों ही देवीलाल के शार्गिद रहे हैं और जोगेंद्र तापसे वाले ने एक संगठन बहुत साल से बना रखा था. जिसका नाम था- ‘लोकतंत्र रक्षा मंच’. जबकि आज कल सांसद राजकुमार सैनी जो जाटों का हर बात पर विरोध करता है ने भी एक संगठन बनाया उसका नाम भी है-‘लोकतंत्र सुरक्षा मंच’.
दोनों ही देवीलाल के स्कूल के विद्यार्थी रहे हैं, जोगेंद्र सिंह हुड्डा तापसे वाला और राजकुमार सैनी जाटों वाला. एक और भी कनेक्शन है दोनों में, जोगेंद्र हुड्डा ने गवर्नर तापसे का मुंह काला किया और जाटों ने सैनी का. राजनीति में इस तरह के रोचक संयोग होते रहते हैं और राजनीति को कभी नीरस नहीं होने देते. तापसे और तपासे- हरियाणा में ज्यादातर लोगों की जुबान पर तपासे शब्द चढ़ा हुआ है और लिखा हुआ भी तपासे ही मिलता है, जबकि नेशनल मीडिया व अन्य स्रोतों पर तपासे शब्द मिलता है. तापसे के मुहं पर पोती कालिख
सन् 1982 के चुनाव में देवीलाल के पास 47 विधायकों का समर्थन था, पर राज्यपाल जीडी तपासे ने भजनलाल को शपथ लेने के लिए निमंत्रण दे दिया। बहादुरगढ़ निवासी जोगेंद्र सिंह हुड्डा तब देवीलाल के साथ रहते थे। देवीलाल इस घटना को भुलकर फिर से लोगों के बीच पहुंच गए। लेकिन जोगेंद्र सिंह की आंखों से भजनलाल के शपथ ग्रहण समारोह की तस्वीर नहीं हट रही थी। जोगेंद्र ने भास्कर को बताया कि वह उस घटना के लिए राज्यपाल का ही कसूर मानते थे। करीब एक साल बाद 26 जनवरी का दिन राज्यपाल से बदला लेने के लिए तय कर दिया था। उसने काली स्याही अपने हाथों पर लगाई और फरीदाबाद में चल रहे गणतंत्र दिवस समारोह के समाप्त होने का इंतजार करने लगे।
जैसे ही राज्यपाल अपनी कार के पास पहुंचे तो उन्होंने दोनों हाथ से उनके चेहरे पर कालिख पोत दी। तब पुलिस ने उन्हें एक सप्ताह जेल में बंद रखा था। राज्यपाल द्वारा कोई शिकायत नहीं करने पर उसे बाद में छोड़ दिया गया। जोगेंद्र सिंह ने बताया कि वह जानते हैं कि राज्यपाल जैसे पद पर बैठे व्यक्ति का मुंह काला करना गलत काम था, पर उन्हें पुरानी घटना का अब कोई अफसोस नहीं है।