मोदी को रोकने के लिए कांग्रेस और इनेलो तक साथ आ गए, पर दिल्ली अभी दूर है : डीपी वत्स
राज्यसभा सांसद जर्नल वत्स ने कर्नाटक में मुख्यमंत्री के सपथ ग्रहण समाहरोह में विपक्ष के एक मंच पर आने पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सभी दल सामाजिक हित मे नहीं बल्कि मोदी को घेरने के लिए एक साथ आए है।
24 मई 2018
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नया हरियाणा
राज्यसभा सांसद जर्नल वत्स ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि मोदी को घेरने के लिए सभी दल एक साथ आ गए है लेकिन विपक्ष के लिए दिल्ली अभी दूर है। उन्होंने कहा बीजेपी को 2024 तक का समय दे जनता तो भ्रष्टाचार जड़ से खत्म होगा। जर्नल वत्स ने कहा कर्नाटक शपथ ग्रहण समाहरोह में सभी दलों का इकठ्ठा होना समाज हित में नहीं है।
राज्यसभा सांसद जर्नल वत्स ने कर्नाटक में मुख्यमंत्री के सपथ ग्रहण समाहरोह में विपक्ष के एक मंच पर आने पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सभी दल सामाजिक हित मे नहीं बल्कि मोदी को घेरने के लिए एक साथ आए हैं। उन्होंने कहा कि शपथ ग्रहण समारोह एक शैरेमनी कि तरह होता है। उन्होंने कहा कि हमने तो पाकिस्तान से नवाज शरीफ को भी बुला लिया था, जो एक दुश्मन देश है. इसलिए इसमें कोई बड़ी बात नहीं. इस तरह के समारोह में आ सकते हैं।लेकिन जर्नल वत्स ने 2019 के चुनाव को लेकर ये भी कहा कि विपक्ष के लिए दिल्ली अभी दूर है।
राज्यसभा सांसद जरनल वत्स आज एमडीयू की फैकल्टी हाउस में कुछ देर के लिए रुके थे। बाद में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी को 2024 तक का समय चाहिए ताकि वो भ्रस्टाचार को जड़ से समाप्त कर सके।उन्होंने कहा कि देश मे भ्रष्टाचार नेहरू जी के समय से ही है, हालांकि उन्होंने कहा नेहरू जी अच्छे आदमी थे, लेकिन उन्हें सलाह देने वाले सही व्यक्ति नहीं थे. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की विदेशो में वाह वाही फैली हुई है लेकिन विपक्ष को भी ज़िम्मेदार होना चाहिये. उन्हें भी साथ देना चाहिए।
जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री द्वारा केंद्र सरकार को सीजफायर लागू करने पर कहा कि पाकिस्तान सरकार के कहने में वहां की सेना नहीं है। उनकी सोच केवल भारत विरोधी है इसलिए पाकिस्तान की सेना इन मुद्दों को हमेशा ज़िंदा रखना चाहती है।
कुल मिलाकर उनकी बातों का सार यही था कि मोदी को घेरने के लिए सारे विपक्षी दल एक हो गए हैं. इधर हरियाणा से इनेलो के नेता अभय सिंह चौटाला भी इस समारोह में शामिल हुए थे. इसका अर्थ यही निकलता है कि भाजपा सरकार के खिलाफ इनेलो और कांग्रेस भी हाथ मिला सकती है. वैसे भी इनेलो को भूपेंद्र हुड्डा से ही परेशानी है. कांग्रेस के साथ जाने में उसे कोई परेशानी नहीं होगी.