या बीजेपी भी कांग्रेस की बाप आगी।
कांग्रेस ने अपनी चलती में लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। भजनलाल, जगदम्बा पाल, शंकर सिंह वाघेला जैसे मुख्यमंत्री बनाये रहे लोकतंत्र की गर्दन पर पैर रख कर। रोमेश भंडारी जैसे राज्यपालों द्वारा इस संवैधानिक पद की गरिमा गिराई थी।
कांग्रेस ने जो किया ये बीजेपी उनका भी अढाई गुणा कर रही है लोकतंत्र को तार तार करने में।
गोआ मणिपुर मेघालय में सबसे बड़ी पार्टी को दरकिनार करके पैसे और राज्यपालों के बूते सरकार बनाई। उस समय कहा कि सबसे बड़े दल से क्या होता है जुगाड़ का बहुमत तो हमारे पास है तो सरकार हम ही बनाएंगे।
आज जब कर्नाटक में जब जुगाड़ का बहुमत एक पार्टी दिखा रही है तो सबसे बड़ी पार्टी का अलाप ले रहे हैं। उस पर बेशर्मी इतनी कि विधानसभा में बहुमत साबित करने को इतना ज्यादा समय देना की "टट्टूवो" की ख़रीदो फ़रोख़्त आसानी से की जा सके।
कांग्रेस ने सविंधान और संवैधानिक पदों का बलात्कार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी लेकिन ये बीजेपी तो सामुहिक और सरे आम बलात्कार कर रही है।
कांग्रेस और उसके समर्थक घटिया काम करके चुप तो रहते थे लेकिन आज बीजेपी और इसके अंधभक्त तो बात करने पर "बावली कुतिया" की तरह पाड़ने को आते हैं। बेशर्मी इतणी कि बस पूछो मत।
वास्तविकता में ही लोकतंत्र खतरे में है। एमरजेंसी के समय जनता की आवाज बंद करने का जो काम कांग्रेस पुलिस से करवाती थी आज वही काम बीजेपी के अंधभक्त कर रहे हैं।
लगता है 2014 में जनता से गलती से "बटेऊ के कान पाटगे"।