जिले राम शर्मा बसपा से, असंध में बढ़ा देंगे भाजपा की मुश्किलें
इनेलो-बसपा गठबंधन भाजपा पर पड़ सकता है भारी.
3 मई 2018
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नया हरियाणा
2009 में हजंका से चुनाव जीतकर बाद में कांग्रेस में शामिल होने वाले जिले राम शर्मा जल्द ही बसपा का दामन थाम सकते हैं और इनेलो-बसपा के गठबंधन को ओर मजबूती प्रदान कर सकते हैं. इनेलो की मजबूत वर्कर, बसपा का अपनी वोट बैंक और जिले राम शर्मा का अपना जनाधार, ये सभी फैक्टर उन्हें दूसरों के मुकाबले ज्यादा मजबूती प्रदान करते हैं. वैसे भी 2014 में अंसध से बने विधायक बख्शीश सिंह विर्क की वर्तमान में कोई अच्छी स्थिति नहीं है. अगर भाजपा ने इन्हीं पर दांव लगाया और दूसरी तरफ कांग्रेस में फूट यूं ही जारी रही तो यह सीट बसपा आसानी से जीत जाएगी. यह देखना दिलचस्प होगा कि यहां से कांग्रेस और भाजपा फिर किसे टिकट देती है.
दूसरी तरफ दबाव इनेलो पर भी बढ़ेगा, हालांकि वर्तमान समय में इनेलो इसे अपने हिस्से की सीट मान रही होगी. पर बसपा में जिले राम शर्मा के आने पर बसपा की दावेदारी बढ़ जाएगी.
असंध विधानसभा सीट हरियाणा की दिलचस्प सीटों में से एक है. यहां मुकाबला अक्सर कांटे का होता है. 2009 में तो जीतने वाले जिले राम शर्मा तक की जमानत जब्त हो गई थी. चुनाव जीतने के बाद जमानत जब्त होने वाले जिले राम शर्मा हरियाणा के पहले नेता थे. दरअसल चुनाव आयोग के नियमानुसार जमानत बचाने के लिए प्रत्याशी को 16.66 प्रतिशत से ज्यादा वोट लेने होते हैं, जबकि जिले राम शर्मा को 15.80 प्रतिशत वोट मिले थे. अब खबरें आ रही हैं कि जिले राम शर्मा बसपा में जल्द शामिल हो सकते हैं.
दूसरी तरफ बसपा को 3 लोकसभा सीट गठबंधन के तौर पर मिलने की संभावना है, जिनमें से एक करनाल लोक सभा सीट है. जाहिर है कि लोकसभा सीट बसपा के हिस्से में आएगी तो बसपा लोकसभा के अंतर्गत आने वाली विधानसभा सीटों पर फोकस करेगी. उसी कड़ी में असंध सीट से जिले राम शर्मा बसपा शामिल हो सकते हैं. ऐसे में देखना यह होगा कि पिछली बार बसपा की सीट से चुनाव लड़ने वाले विरेंद्र सिंह मराठा किस पार्टी से टिकट लेते हैं या आजाद चुनाव लड़ते हैं.
जीटी रोड बैल्ट पर भाजपा अपनी टक्कर सीधे तौर पर कांग्रेस से मानकर चल रही है, जबकि इनेलो-बसपा गठबंधन के बाद अब भाजपा को सीधे चुनौती गठबंधन से मिलेगी. दूसरी तरफ कांग्रेस की आपसी फूट और कन्फ्यूज नेतृत्व कांग्रेसी की सबसे बड़ी कमजोरी साबित होगी. कांग्रेस में एक दूसरे खेमे की टिकट कटवाने की होड़ भी घातक सिद्ध हो सकती है.
गौरतलब है कि जिले राम शर्मा का नाम आत्महत्या के लिए उकसाने में भी आया था. करनाल के गांव कंबोपुरा के पूर्व सरपंच एवं सैन समाज एकता मंच के पूर्व जिला अध्यक्ष कर्म सिंह को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में हरियाणा के पूर्व मुख्य संसदीय सचिव जिले राम शर्मा को भी आरोपी बनाया गया था. बाद में उन्हें इस मामले में राहत मिल गई थी, परंतु उस समय हुड्डा ने उनका मुख्य संसदीय सचिव का पद छीन लिया गया था.