2009 के विधानसभा चुनाव में 32 फीसदी प्रत्याशी ऐसे थे, जो 1 करोड़ से ज्यादा के मालिक थे. जबकि 2014 में कुल प्रत्याशियों की संख्या 1343 थी, जिनमें से 42 फीसदी प्रत्याशी करोड़पति थे. यानी 1343 में से 563 प्रत्य़ाशी करोड़पति थे. जबकि इनमें से 122 ऐसे थे, जिनकी घोषित संपत्ति 10 करोड़ से ज्यादा थी. यह आंकड़ा पिछले विधानसभा के मुकाबले एक तिहाई ज्यादा है.
चुनावी भाषणों में भले की पार्टियां एक-दूसरे को अमीरों की पार्टी और खुद को गरीबों की पार्टी बताती रहें, परंतु सच्चाई यह है कि सभी दल पैसे वालों को महत्त्व देते हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव में 90 में से कांग्रेस के सबसे ज्यादा 81 करोड़पति प्रत्याशी थे. उसके बाद भाजपा के 77 प्रत्याशी, इनेलो के 88 में से 72 प्रत्याशी करोड़पति थे. बसपा जो कि घोषित तौर पर गरीबों की पार्टी मानी जाती है, उसके 87 में से 42 प्रत्याशी करोड़पति थे. हजकां के 65 में से 37 प्रत्याशी करोड़पति थे.
सबसे अमीर महेंद्रगढ़ से निर्दलीय प्रत्याशी रवि चौहान और अनीता चौहान थी, जिन्होंने अपनी-अपनी संपत्ति 212-212 करोड़ घोषित की थी. इसके बाद हरियाणा जनचेतना पार्टी के अध्यक्ष विनोद शर्मा की पत्नी जिन्होंने कालका से चुनाव लड़ा था. इसके बाद गोपाल कांडा, सावित्री जिंदल.
टॉप टेन में फरीदाबाद के विपुल गोयल, गुड़गांव के सुखबीर कटारिया, कैथल के कैलाश भगत आदि थे.
भाजपा के सबसे अमीर नेता विपुल गोयल थे, इनेलो के सबसे अमीर नेता सिरसा से विधायक माखनलाल सिंगला थे. जबकि कांग्रेस विधायक दल में किरण चौधरी सबसे अमीर विधायक थी.