प्रियंका कौशिक : हरियाणा की ऊर्जावान बेटी हरियाणवी संस्कृति को दे रही हैं नए आयाम
प्रियंका कौशिक सोशल मीडिया और लोक-सांस्कतिक मंचों पर अपनी बात बेबाकी से रखने के लिए अपनी एक अलग पहचान रखती हैं। जिसे देखकर 'कुछ' लोगों की छाती पर सांप दौड़ने लगते हैं।
26 अक्टूबर 2017
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डॉ. नवीन रमण
प्रियंका कौशिक सोशल मीडिया और लोक-सांस्कतिक मंचों पर अपनी बात बेबाकी से रखने के लिए अपनी एक अलग पहचान रखती हैं। राजनीतिक और सामाजिक आदि सभी मुद्दों पर अपने विचार रखते हुए प्रियंका कौशिक अपने सोच के स्तर पर हमेशा गतिशील रही हैं और हरियाणी के युवाओं के लिए रोल-मॉडल भी हैं। स्त्री से जुड़े मुद्दों पर उनकी लेखनी समाज को स्त्री-समस्याओं के प्रति जागरूक करती है और मनुष्य को संवेदना के स्तर पर ले जाकर एक बराबरी के समाज के सपने को साकार करने का प्रयास करती हैं।
प्रियंका कौशिक हरियाणा की जानी-मानी शख्सियत हैं। जिनकी सबसे प्रमुख पहचान हरियाणवी संस्कृति के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ समाज में भाईचारे की मिसाल कायम करना और समाज में फैली असमानताओं को जन-जागरण के माध्यम से दूर करने का प्रयास करना भी हैं। जिसके लिए उन्होंने हरियाणवी कला एवं संस्कृति को अपना अहम् हथियार बनाया है, ताकि समाज में भाईचारा कायम हो सकें और हरियाणवी संस्कृति को विकसित किया जा सकें।
एक स्त्री होने के नाते उनके लिए यह कार्य करना आसान बिल्कुल नहीं रहा है, क्योंकि समाज को तोड़ने वाली शक्तियां और समाज को रूढ़िवादियों की तरफ धकेलनी वाली शक्तियां उनके मार्ग में हमेशा बाधाएं खड़ी करती रही हैं। जबकि प्रियंका कौशिक के पूरे व्यक्तित्व की यह खासियत रही है कि उनके सामने चुनौतियां जितनी बड़ी होती हैं, उनके खिलाफ लड़ने के लिए उनका आत्मविश्वास उतनी ही प्रबलता के साथ खड़ा होता है। हमेशा सकारात्मक ऊर्जा से सराबोर उनका व्यक्तित्व नकारात्मक विचारों का लगातार खंडन करता है और समाज को एक बेहतर दिशा देने का काम करता है।
मधुरभाषी प्रियंका कौशिक अपने स्वभाव से मिलनसार तो हैं ही साथ में गलत विचारों का विरोध करने में जरा भी झिझक नहीं है। जो उनके व्यक्तित्व की अनूठी खासियत है। शिक्षक माता-पिता के संस्कारों की झलक उनके पूरे व्यक्तित्व में झलकती है। पेशे से वकील प्रियंका कौशिक ने अपनी वकालत को भी समाज सेवा में समर्पित किया हुआ है। उनका सबसे बड़ा सपना है कि समाज में स्त्रियों को किसी भी प्रकार के अत्याचार, पीड़ा और शोषण आदि का सामना न करना पड़े। इसके लिए प्रियंका कौशिक जी-जान लगाकर प्रयास कर रही हैं और वकील होने के नाते ऐसी महिलाओं को कानूनी सेवा देने के लिए हमेशा प्रयासरत रहती हैं।
स्कूली शिक्षा भिवानी में ग्रहण करने के बाद उन्होंने खानपुर विश्वविद्यालय से पांच वर्षीय एल. एल. बी. की शिक्षा ग्रहण की तथा उसके पश्चात उन्होंने जयपुर से एल. एल. एम. की पढ़ाई पूरी की। उसके बाद दिल्ली में उन्होंने पति के साथ वकालत शुरू की। जिंदगी के साथ व्यावसायिक जिंदगी में तमाम उतार-चढ़ाव भी प्रियंका कौशिक के ज़ज्बे को कमजोर नहीं कर सके, बल्कि इन बाधाओं ने उन्हें इनके खिलाफ लड़ने के लिए मजबूत ही किया। जिसकी बानगी उनकी कार्यशैली में साफ झलकती है।
कला और संस्कृति में बचपन से ही उनकी आत्मा में रची-बसी हुई थी। जिसकी नींव गांव पाणची में बनाई गई संस्था –‘कला एवं संस्कृति उत्थान प्रकोष्ठ’ में कार्यकारिणी अध्यक्ष के पद पर रहते हुए रखी गई। कला एवं संस्कृति उनके रग-रग में रची-बसी है। प्रियंका कौशिक हरियाणा के प्रसिद्ध लोककवि मांगेराम जी की पौती और नवरतन भारतीय जी की सुपुत्री हैं। हरियाणवी कला एवं संस्कृति में पं. मांगेराम जी का संपूर्ण साहित्य पारिवारिक और सामाजिक सौहार्द के संदेश का प्रतिनिधित्व करता है। उनके सांग एवं रागनियां आज भी शिक्षा के तौर पर जन-जीवन का हिस्सा बनी हुई हैं। उन्हीं के आदर्शों पर चलते हुए प्रियंका कौशिक ने हरियाणवी संस्कृति में फैली अज्ञानता, फूहड़ता और जातिगत विद्वेषों को दूर करने का बेड़ा उठाया हुआ है। तमाम आलोचनाओं और बाधाओं ने उनके मनोबल और चेतना को ठेस भी पहुंचाई है, परंतु उनके व्यक्तित्व का यह सबसे उजला पक्ष है कि उन्होंने अपने जीवन में कठिनाइयों के सामने झुकना नहीं सीखा है।
प्रियंका कौशिक अपने सांस्कृतिक कार्यक्रमों के द्वारा समाज फैळी जातिगत विद्वेष की भावना को दूर करना चाहती हैं तथा स्त्री को सभी मोर्चों पर मजबूती प्रदान करने का सपना देखती हैं। जिसके लिए वो निरंतर प्रयास करती रहती हैं। उन्होंने हरियाणा की संस्कृति की धरोहर, लोक कवियों और उभरती नई प्रतिभाओं के लिए एक संस्था का निर्माण किया है। जिसके माध्यम से वह हरियाणा की संस्कृति को विकसित करना चाहती हैं। उनकी यह संस्था करीब 10 साल से इस दिशा में कार्यरत है और पिछले कुछ वर्षों से इस दिशा में सक्रियता काफी बढ़ी है। सन् 2016 में उन्होंने महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय क टैगोर ऑडिटोरियम में एक कार्यक्रम किया था। जिसका शीर्षक था- ‘एक शाम पं. मांगेराम के नाम’। प्रियंका कौशिक अपनी इस पहल का विस्तार करते हुए हरियाणा के सभी लोक कवियों और नई प्रतिभाओं को अपने मंच के माध्यम से एक नई पहचान देना चाहती हैं। जिसका मूल ध्येय यही है कि समाज से अज्ञानता, फूहड़ता, अश्ललीलता और भेदभाव आदि को समाप्त करके आपसी भाईचारे के समाज का निर्माण हो सके। जहां प्यार, प्रेम, समानता और भाईचारा जैसे मानवीय मूल्यों को जन-जन की जीवन-शैली का हिस्सा बनाना है। ताकि एक ऐसा समाज बनें जो अपनी जड़ों को पहचान कर उन्हें मजबूती प्रदान करें तथा जिसका विकास सभी दिशाओं में हो सकें। ‘देसा’ म ‘देस’ हरियाणा को बुलंदी के शिखर पर पहुंचाने के लिए प्रियंका कौशिक विभिन्न स्तरों पर प्रयासरत हैं और हरियाणा का जागरूक समाज उनके प्रयासों में उनके साथ खड़ा है।