श्रममंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा है कि कांग्रेस शासन के दौरान हजारों जेबीटी अध्यापकों के भविष्य को अंधकारमय बना दिया था, जिसे भाजपा सरकार ने संवारते हुए उन युवाओं के भविष्य को सुधारा। आज युवाओं के हितों पर धरना-प्रदर्शन करने वाले लोग यह भूल गए कि किस प्रकार उनके शासन में योग्य युवाओं पर अयोग्य को तरहीज देते हुए प्रशासनिक व्यवस्था को धवस्त करने का काम किया गया था।
आज कांग्रेसी विधायक रणदीप सिंह सुरजेवाला द्वारा पंचकूला में युवाओं के भविष्य के नाम पर धरना-प्रदर्शन करने को नौटंकी करार देते हुए श्रममंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि हरियाणा के हित पर वो लोग बोल रहे हैं, जो खुद प्रदेश में पार्ट टाइम राजनीति करते हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा में जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र की आवाज उठाते हैं, लेकिन रणदीप सिंह सुरजेवाला विधानसभा जाते ही नहीं। जो व्यक्ति अपने क्षेत्र की आवाज उठाने में भी शर्म महसूस करता है और गांधी परिवार के रहमोकरम पर अपनी राजनीतिक बचाने की जुगत में रहते हैं, वो आज सिर्फ मीडिया की सुर्खियां पाने के लिए हरियाणा आ रहे हैं। भाजपा पर आरोप लगाने से पहले कांगे्रसियों को अपने गिरेबां में झांकना चाहिए कि उनके शासन में कैसे धांधली होती थी।
उन्होंने कहा कि हुड्डा शासन के दौरान मुख्यमंत्री आवास पर अधिकारी की नियुक्ति नौकरी की लिस्ट बनाने की थी, जहां कांग्रेसियों द्वारा दी गई पर्ची के आधार योग्य युवाओं पर अयोग्य को नौकरी देते हुए प्रदेश के लाखों युवाओं के सपने धूमिल किए गए। कांगे्रस शासन के दौरान भर्ती प्रक्रिया पूरी होने से महीना-महीना पहले भर्ती होने वालों के नाम, उनके कांगे्रसियों से संबंध समाचार पत्रों की सुर्खियां थे। रिजल्ट आने पर उन्हीं का नाम चयन होने वाले की सूची में होता था, इसके जिम्मेदार लोगों पर कांग्रेस क्यों चुप रही।
श्रममंत्री नायब सिंह सैनी ने सुरजेवाला से सवाल किया कि जब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने रोहतक के लोगों को ही रोजगार दिए और अन्य जिलों के साथ भेदभाव किया, तब सुरजेवाला क्यों चुप रहे। कांगे्रस के अंदर योग्यता से नौकरी दी जाएं, इसकी बजाय अपने-अपने कोटे से अधिक से अधिक नौकरियां हासिल करने की होड नेताओं में लगी रहती थी और यही उनके अंदर अंसतोष की वजह थी। बीते कांगे्रस शासन के दौरान सुरजेवाला के कोटे से कितनी नौकरियां लगी। कितनी चिट भेजी, कितने लोगों के नाम मुख्यमंत्री आवास पर भेजे, इसपर भी उन्हें स्पष्टीकरण देना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांगे्रस में जब भजनलाल सरकार थी, तब पुलिस भर्ती पुलिस अधीक्षक के दफतर में ही मापतोल करके नियुक्त पत्र दिए जाते थे, क्या यहीं पारदर्शिता थी। उस दौरान सुरजेवाला परिवार के मुखिया सरकार में मंत्री थे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने साहस करके शिकायत मिलने पर कार्रवाई करके ठगी करने वाले अधिकारियों को धर दबोचा, यदि सरकार कांगे्रस या इनेलो की होती तो मामलों को वहीं दफन करके भर्तियों में भ्रष्टाचार का खेल यूं ही चलता रहता।