भूपेंद्र हुड्डा की ताजपोशी से दुष्यंत को हुआ दोहरा नुकसान!
कुमारी शैलजा को कांग्रेस ने हरियाणा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है.
6 सितंबर 2019
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नया हरियाणा
हरियाणा कांग्रेस में लंबे समय चली आ रही उठा-पठक का कल पटाक्षेप हो गया. कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने बताया कि कुमारी शैलजा को पार्टी प्रदेशाध्यक्ष के लिए चुना गया है. वहीं पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा को सीएलपी लीडर और इलेक्शन मैनेजमेंट कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि भूपेंद्र हुड्डा गुट के लिए अच्छी खबर आ सकती है, जिसे सोनिया गांधी के अंतरिम अध्यक्ष बनाए जाने पर पर लग गए थे. इसका एक बड़ा कारण यह भी बताया जा रहा था कि प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद के साथ पूर्व सीएम हुड्डा के घनिष्ठ संबंध बताए जाते हैं. आखिरकार कई साल से खूंटे की तरह अड़े तंवर को उखाड़ फेंकने में हुड्डा गुट सफल हो ही गया. दूसरी तरफ हुड्डा गुट की दबाव की राजनीति का असर कांग्रेस हाईकमान पर साफ दिखाई दे गया.
कांग्रेस की इस भीतरी लड़ाई का फायदा उठाकर जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला अपनी पार्टी को बीजेपी बनाम जेजेपी तक खींच ले जाते हुए साफ दिखाई दे रहे थे. हरियाणा की राजनीति के जानकार भी मानने लगे थे कि हरियाणा में भले ही नाममात्र का ही विपक्ष बचा हो, पर वो विपक्ष के तौर पर जेजेपी को मानकर चल रहे थे. परंतु कांग्रेस ने इस नैरेटिव को तोड़ते हुए एक बार में ही बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस को खड़ा कर दिया. अब हरियाणा में बीजेपी के 75 पार के नारे में कम से कम डेंट जरूर लगा है. जहां एक तरफा बीजेपी की 75 पार की यात्रा में कोई बाधा नजर नहीं आ रही थी. अब उसमें किंतु, परंतु नामक ब्रेकर कांग्रेस ने लगा दिए हैं.
हरियाणा में कांग्रेस ने बीजेपी को चैलेंज देने से पहले जेजेपी को जोर का झटका दिया है. जो जेजेपी बसपा गठबंधन के बाद दूसरी शक्ति के रूप में उभर रही थी, उसकी कमर तोड़ने का काम कांग्रेस ने किया है. खुद को दूसरे नंबर की पार्टी के रूप में खड़ा करके कांग्रेस ने पहली लड़ाई जीत ली है. अब उसे बीजेपी के अजेय रथ को रोकने के लिए आक्रामक कैंपेन की जरूरत होगी. तभी एक तरफा जीतती हुई दिख रही बीजेपी को कांग्रेस की तरफ से कोई चुनौती दी जा सकेगी. कुमारी शैलजा ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 23A के खत्म किए जाने का विरोध किया था. जिसे बीजेपी कैश करने की कोशिश करेगी. दूसरी तरफ हुड्डा ने इसका समर्थन देकर अपना बचाव पहले ही कर लिया था.
कांग्रेस ने हरियाणा में एक चाल से दुष्यंत चौटला को दोहरा नुकसान पहुंचाया है. दुष्यंत चौटाला ने जिस मकसद से बसपा से गठबंधन किया था. इस गठबंधन को कांग्रेस ने कुमारी शैलजा को अध्यक्ष बनाकर काफी कमजोर कर दिया है, क्योंकि हरियाणा के दलित वोटरों में बसपा से ज्यादा पकड़ कुमारी शैलजा की रही है. ऐसे में बसपा गठबंधन अब जेजेपी के लिए घाटे का सौदा साबित होगा. दलितों का अब रूझान कांग्रेस की तरफ रहेगा. हरियाणा में दलित वोट बैंक का रूझान बसपा के बजाय कांग्रेस की तरफ ज्यादा रहा है. कुमारी शैलजा के अध्यक्ष बनने से दलित वोटों का कांग्रेस को सीधा फायदा मिलेगा.
दूसरी तरफ दुष्यंत चौटाला जो ये चाह रहे थे कि जाट समाज उनका नेतृत्व स्वीकार कर ले, भूपेंद्र हुड्डा की ताजपोशी के बाद वो असंभव हो गया है. क्योंकि वैसे भी रोहतक बैल्ट के लोग हुड्डा परिवार को अभी छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं. वैसे भी कांग्रेस ने हुड्डा को इलैक्शन कमेटी का चेयरमैन बनाकर कांग्रेस में सबसे अहमियत वाले नेता हो गए हैं. ऐसे में साफ है कि अब हरियाणा में बीजेपी के मुकाबले में कांग्रेस आ गई है. इसीलिए जेजेपी अब स्वाभाविक तौर पर तीसरे नंबर पर पहुंच गई है. कारण साफ है कि जेजेपी का जाट सेंटीमेंट और बसपा का दलित सेंटिमेंट दोनों ही कमजोर हो गए हैं.