बांगर की धरती से विख्यात उचाना हलका 1977 में अस्तित्व में आने के बाद से सुर्खियों में रहा है। उचाना हल्के की राजनीति पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के इर्द-गिर्द घूमती रही है। बीरेंद्र सिंह राजनीतिक कैरियर में सीएम पद के दावेदार भी रहें, जिसके लिए लगातार लड़ाई लड़ते रहे। मुख्यमंत्री ने बन पाने की टीस उनके भाषणों में आज भी गाहे-बगाहे दस्तक देती रहती है।
पिछले विधानसभा चुनाव में जींद जिले में कमल खिलाने का श्रेय बीरेंद्र सिंह को जाता है। भले ही पहले भाजपा के लिए प्रत्याशी ढूंढना मुश्किल रहा हो, लेकिन अब बीरेंद्र परिवार के अलावा दर्जनभर ऐसे भाजपा कार्यकर्ता हैं। जो टिकट की दौड़ में शामिल हैं। जिनमें बलकार डाहौला, देवेंद्र अत्री व ओमप्रकाश थुआ शामिल हैं। प्रदेश में विधानसभा चुनाव में उचाना हल्के पर सबकी नजर रहती है। आने वाले 2019 के विधानसभा चुनाव में जजपा पार्टी के अध्यक्ष एवं हिसार के पूर्व सांसद दुष्यंत चौटाला यहां से चुनाव लड़ने का विचार कर रहे हैं।
उचाना हलका इसलिए वे सुर्खियों में रहता है क्योंकि यहां से वीरेंद्र सिंह और चौटाला परिवार के बीच लगातार कई रोचक मुकाबले हुए हैं। यहां पर मुख्य रूप से मुकाबला जब भी हुआ वह किसी पार्टी को लेकर नहीं बल्कि बीरेंद्र सिंह के साथ दूसरी पार्टी के उम्मीदवार का रहा है। चाहे वह कांग्रेस हो या इनेलो, लोकदल या जजपा।
1985 को छोड़कर आठ विधानसभा चुनाव बीरेंद्र सिंह ने और एक चुनाव उनकी पत्नी प्रेमलता ने लड़ा है। बीरेंद्र सिंह चाहे कांग्रेसमें रहे हो या तिवारी कांग्रेस में या अब भाजपा में। उन्होंने यह साबित किया है कि उनका खुद का वोट बैंक यहां पर है। जब वह कांग्रेस में थे तो यहां से कांग्रेस के विधायक बने। जब तिवारी कांग्रेस में गए तो पूरे प्रदेश में गिनती के विधायक तिवारी कांग्रेस के आए थे। उनमें से बीरेंद्र सिंह एक थे। अब तक उचाना हल्के में कभी भी भाजपा का कमल नहीं खिला था। लेकिन वर्ष 2014 में बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता ने पूर्व सांसद दुष्यंत चौटाला को हराकर कमल खिलाया।
साल 2009 में बीरेंद्र सिंह का मुकाबला इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला से हुआ था। जिसमें ओम प्रकाश चौटाला ने कड़े मुकाबले में बिरेंद्र सिंह को 621 मतों से हराया था। इसके अलावा रोचक बात यह भी है सबसे कम वोटों से हारने का रिकार्ड भी बीरेंद्र सिंह के नाम है तो सबसे ज्यादा वोटों से जीतने का रिकार्ड भी। साल 1987 में लोक दल के देशराज के नाम है जिन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी सुबे सिंह को 39248 मतों से पराजित किया था। साल 2014 में जब विधानसभा चुनाव हुए उस समय सिर्फ जींद जिले में एक ही सीट भाजपा को सीट मिली। वह उचाना हल्के की थी।
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी और बीरेंद्र के बेटे बृजेंद्र सिंह ने जीत हासिल की। जिसके बाद से भाजपा के हौसले बुलंद हैं। इन्हीं हौसलों के सहारे भाजपा जींद जिले की सभी सीटों पर जीत का दावा कर रही है।
मनोहर सरकार में क्या मिला
अब तक विकास के मामले में पिछड़ा नजर आने वाला हल्का उचाना भाजपा के शासनकाल में विकास की नई छलांग मार रहा है। विधायक प्रेमलता द्वारा यहां पर विकास कार्य को लेकर रुचि लेते हुए तहसील को उपमंडल का दर्जा दिलाने का काम किया। अस्पताल की नई बिल्डिंग, केंद्रीय विद्यालय बुडायन, अलेवा में बस स्टैंड, सीएचसी, अलेवा को तहसील, बड़ौदा में रेलवे हॉल्ट, कई गांवों में बिजलीघर, जल घर, अनेक गांव में सिरसा ब्रांच नहर से जल घरों में सीधा पानी। गांव से गांव जोड़ने के लिए नई सड़कों का निर्माण एवं चौड़ीकरण का कार्य हुआ है। हल्के की बुजुर्ग हो चुकी लहरों को नया रूप दिया है। पिंगा गांव में ड्राइविंग स्कूल की मंजूरी के अलावा शहीद लेफ्टिनेंट पवन कुमार के नाम से होल्टी कल्चर यूनिवर्सिटी का रीजनल सेंटर का निर्माण हो चुका है। इसके अलावा बिजली व्यवस्था में भी काफी सुधार हुआ है।
चर्चित चेहरे
बीजेपी- प्रेमलता, बलकार डाहौला, देवेंद्र अत्री, ओमप्रकाश थुआ
जजपा- दुष्यंत चौटाला
इनेलो- सूबे सिंह लोहान
कांग्रेस- बलराम कटवाल
2019 में क्या होगा
जजपा से दुष्यंत चौटाला चुनावी मैदान में उतरते हैं तो यहां मुकाबला रोचक और टक्कर का होगा। अन्यथा बीजेपी की एक तरफा जीत तय है। कांग्रेस व इनेलो यहां न के बराबर ही रहेंगी। जजपा में भी दुष्यंत चौटाला ही मुकाबला रोचक बना सकते हैं बाकी किसी में दम नहीं है।
विधान सभा का इतिहास
1977 बीरेंद्र सिंह कांग्रेस
1982 बीरेंद्र सिंह कांग्रेस
1985 सूबे सिंह पुनिया कांग्रेस
1987 देशराज कांग्रेस
1991 बीरेंद्र सिंह कांग्रेस
1996 बीरेंद्र सिंह तिवारी कांग्रेस
2000 भाग सिंह इनेलो
2005 बीरेंद्र सिंह कांग्रेस
2009 ओपी चौटाला इनेलो
2014 प्रेमलता बीजेपी
1977 में उचाना हलका बनने के बाद यहां से सबसे पहले विधायक बीरेंद्र सिंह बने थे। 1977 में जब पूरे प्रदेश में कांग्रेस की 5 सीट आई थी तो बीरेंद्र सिंह ने यहां से जीतकर अपने आप को साबित करने का काम किया था। इस जीत ने बीरेंद्र सिंह की पहचान को कांग्रेस हाईकमान में बढ़ाने का काम किया था। यहां पर एक उपचुनाव सहित 10 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। सबसे अधिक बार बिरेंड सिंह यहां से पांच बार विधायक बने। बीरेंद्र सिंह को छोड़कर कोई एक बार विधायक बनने के बाद दूसरी बार विधायक नहीं बन पाया है। सबसे अधिक अधिक सात बार विधानसभा चुनाव भी बीरेंद्र सिंह ने हल्के से लड़े हैं।
2019 विधानसभा परिणाम
Haryana-Uchana kalan |
Result Status |
O.S.N. |
Candidate |
Party |
EVM Votes |
Postal Votes |
Total Votes |
% of Votes |
1 |
PREM LATA |
Bharatiya Janata Party |
44890 |
162 |
45052 |
28.44 |
2 |
BAL RAM |
Indian National Congress |
4952 |
20 |
4972 |
3.14 |
3 |
SATPAL |
Indian National Lok Dal |
764 |
4 |
768 |
0.48 |
4 |
SAMARJIT |
Bahujan Samaj Party |
6253 |
11 |
6264 |
3.95 |
5 |
ANIL GALVE |
Republican Party of India |
108 |
0 |
108 |
0.07 |
6 |
KARMBIR |
Peoples Party of India (Democratic) |
176 |
0 |
176 |
0.11 |
7 |
KRISHAN KUMAR |
Swaraj India |
459 |
0 |
459 |
0.29 |
8 |
DUSHYANT CHAUTALA |
Jannayak Janta Party |
92243 |
261 |
92504 |
58.39 |
9 |
ROHTASH |
Aam Aadmi Party |
1099 |
2 |
1101 |
0.7 |
10 |
SURENDER SINGH |
Jai Maha Bharath Party |
76 |
1 |
77 |
0.05 |
11 |
JAI PARKASH |
Independent |
70 |
0 |
70 |
0.04 |
12 |
DILBAG SINGH |
Independent |
334 |
0 |
334 |
0.21 |
13 |
PAWAN KUMAR |
Independent |
114 |
0 |
114 |
0.07 |
14 |
RAGHVIR |
Independent |
5700 |
5 |
5705 |
3.6 |
15 |
RAJ KUMAR |
Independent |
187 |
0 |
187 |
0.12 |
16 |
NOTA |
None of the Above |
520 |
2 |
522 |
0.33 |
|
Total |
|
157945 |
468 |
158413 |
|
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