1952 में कांग्रेस के गुरुदत्त सिंह भाटी पलवल के पहले विधायक चुने गए थे.
7 अगस्त 2019
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नया हरियाणा
1952 में कांग्रेस के गुरुदत्त सिंह भाटी पलवल के पहले विधायक चुने गए थे. 1957 में भी गुरुदत्त कांग्रेस के विधायक बने लेकिन साथ ही डबल सीट होने के कारण भूले राम भी विधायक निर्वाचित हुए.
गुरुदत्त सिंह भाटी के निधन के बाद उनकी पत्नी शारदा रानी बल्लभगढ़ से विधायक चुनी गई और मंत्री भी रहीं. 1962 में स्वतंत्रता सेनानी कांग्रेस के रूपलाल मेहता जनसंघ के मूल चंद जैन को हराकर विधायक बने. 1967 में निर्दलीय धन सिंह जैन जनसंघ के मूल चंद जैन को पराजित कर विधायक बने. 1967 में कांग्रेस के रूपलाल मेहता तीसरे स्थान पर रहे. 1968 में रूपलाल मेहता ने फिर से बाजी मार ली तथा इस बार उन्होंने निवर्तमान विधायक धन सिंह (स्वतंत्र पार्टी) को हराया. 1972 में भारतीय आर्य सभा के चौधरी श्याम सिंह तेवतिया कांग्रेस के कल्याण सिंह को परास्त कर विधायक बने. बाद में तेवतिया चौधरी देवीलाल की प्रोग्रेसिव इंडिपेंडेंट पार्टी में शामिल हो गए. 1977 में जनता पार्टी के मूलचंद मंगला कांग्रेस के कल्याण सिंह को पराजित कर विधायक बने. 1982 में कल्याण सिंह (कांग्रेस) निर्दलीय सुभाष चंद को पराजित कर विजयी रहे. 1987 में सुभाष चंद्र कात्याल लोकदल से लड़े और कांग्रेस के किशन चंद को मात देकर विधानसभा पहुंचने में सफल रहे. 1991 में हरियाणा विकास पार्टी के करण सिंह दलाल ने यहां से जीत दर्ज की. उन्होंने कांग्रेस के नित्यानंद शर्मा को पराजित किया. 1996 व 2000 में भी करण सिंह दलाल ने यहां अपना कब्जा बरकरार रखा. पहली बार वे हविपा से लड़े और बसपा के सुभाष चौधरी को शिकस्त दी और दूसरे चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के प्रत्याशी के रूप में उन्होंने इनेलो के देवेंद्र चौहान को पराजित किया. इस चुनाव में बसपा के सुभाष चौधरी तीसरे और कांग्रेस के योगेश गौड चौथे स्थान पर रहे. 2005 में करण सिंह दलाल कांग्रेस के प्रत्याशी थे और उन्होंने इनेलो के देवेंद्र सिंह को परास्त कर पलवल से लगातार चौथी जीत दर्ज की. 2009 में इनेलो के सुभाष चौधरी ने करण सिंह दलाल की पांचवीं जीत पर ब्रेक लगा दिया. 2014 में कांग्रेस के विपरीत माहौल में भी करण सिंह दलाल ने यह सीट जीतकर कांग्रेस की झोली में डाल दी. उन्होंने भाजपा के दीपक मंगला को परास्त किया. इनेलो के सुभाष चौधरी तीसरे स्थान पर रहे.