यमुनानगर जिले के रादौर विधान सभा सीट की जब हम बात करते हैं तो यहां के मतदाता असमंजस में दिखाई देते हैं और कहते हैं कि विधानसभा चुनाव में दूसरी पार्टियां मैदान में अपना प्रत्याशी उतारेगी भी या नहीं। इस तरह के स्वर से साफ लगता है यहां बीजेपी की एकतरफा जीत लगभग तय है।
वर्ष 1966 में पंजाब से अलग होकर अस्तित्व में हरियाणा प्रदेश में शुरू में कुल 7 जिले बनाए गए थे। इस दौरान वर्ष 1967 में अस्तित्व में आई रादौर विधानसभा सीट को करनाल जिले के अंतर्गत रखा गया था। करनाल जिले के अंतर्गत रहते हुए रादौर विधानसभा सीट पर वर्ष 1968 व 1972 में 2 विधानसभा चुनाव हुए। इसके बाद रादौर विधानसभा सीट को वर्ष 1973 में नए बनाए गए कुरुक्षेत्र जिले के साथ जोड़ दिया गया। कुरुक्षेत्र जिले के अंतर्गत रहते हुए रादौर विधानसभा सीट पर 3 विधानसभा चुनाव हुए। इसके बाद एक बार फिर रादौर विधानसभा सीट को एक नवंबर 1989 में कुरुक्षेत्र से स्थानांतरित कर के नए बने यमुनानगर जिले के साथ जोड़ दिया गया। यमुनानगर जिले के अंतर्गत आने के बाद रादौर विधानसभा सीट पर 1991 से लेकर वर्ष 2014 तक 6 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। अब देखना यह है कि भविष्य में कितने वर्षों तक रादौर विधानसभा को यमुनानगर जिले के अंतर्गत रखा जाता है। इस विधानसभा सीट की खासियत यह है कि यह वर्ष 1967 से लेकर वर्ष 2005 तक यह विधानसभा एससी समुदाय के लिए आरक्षित रही।
वर्ष 2009 में नए परिसीमन के तहत पहली बार रादौर विधानसभा सीट सामान्य श्रेणी के लिए घोषित की गई थी। जिस पर अब तक सामान्य श्रेणी के तहत 2 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। खास बात यह है कि रादौर विधानसभा सीट के पूर्वी छोर पर जहां यमुना नदी की पवित्र धारा बह रही है। वहीं गांव टोपरा में प्रसिद्ध बौद्ध स्तूप स्थित है, जबकि गांव धौलरा में प्राचीन शक्तिपीठ बलभद्र का मंदिर और खुर्दबन में बाबा धारीवाल की समाधि लोगों की आस्था का केंद्र बनी हुई है।
क्या हुआ है मनोहर सरकार में
करोड़ों रु के विकास कार्य हुए हैं, जिनमें रादौर का बस स्टैंड का निर्माण प्रमुक्ष है। रादौर को उपमंडल का दर्जा मिला। रादौरी में राजकीय कॉलेज और नाचरौन गांव में आईटीआई की स्थापना करवाई गई। यमुना नदी के नगली घाट पर हरियाणा और यूपी को जोड़ने के लिए करोड़ों रुपये की लागत से पुल का निर्माण कार्य शुरू करवाया है।
विधायक की खूबी
रादौर विधानसभा सीट पर 1968 से लेकर अब तक बने विधायक किसी न किसी बात को लेकर चर्चा में रहे हैं। वर्तमान विधायक श्याम सिंह राणा लोगों के बीच अपने विधानसभा क्षेत्र के गांवों में रोजाना की जाने वाली प्रातः कालीन सैर के लिए चर्चा में बने हुए हैं।
2019 में क्या रहेगा
लोकसभा चुनाव में बीजेपी को रादौर से 84 हजार की जीत मिली थी, जिसके बाद दूसरे दल सुस्त हो गए हैं। वहीं श्याम सिंह राणा और इंद्री के विधायक कर्णदेव कम्बोज के बीच टिकट की दावेदारी को लेकर संघर्ष दिख रहा है। श्याम सिंह राणा ने इस खतरे को भांपते हुए मतदाताओं के बीच अपना सम्पर्क अभियान तेज कर दिया है। जबकि अन्य पार्टियां मौन धारण किये हुए हैं। 2014 में भी कर्णदेव कम्बोज यही से टिकट मांग रहे थे, परन्तु बीजेपी ने उन्हें इंद्री से टिकट थमा दी थी।
चर्चित चेहरे
बीजेपी- श्याम सिंह राणा (वर्तमान विधायक), कल्याण सिंह कम्बोज, कर्णदेव कम्बोज( वर्तमान में इंद्री से विधायक), ऋषिपाल सैनी
कांग्रेस- डॉ. बिशनलाल, कैलाशो सैनी
बसपा- रणधीर सिंह
जजपा- राजकुमार बुबका
विधान सभा का इतिहास
1968 चांदराम कांग्रेस
1972 चांदराम कांग्रेस
1977 चौ. लहरी जनता पार्टी
1982 मा. राम सिंह आजाद
1987 कटारिया भाजपा
1991 चौ. लहरी हविपा
1996 बंता राम इनेलो
2000 ईश्वर इनेलो
2009 बिशनलाल इनेलो
2014 श्याम सिंह राणा बीजेपी