यमुनानगर विधानसभा अपने अस्तित्व में आने के बाद से ही कांग्रेस बहुल सीट रही है
29 जुलाई 2019
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नया हरियाणा
यमुनानगर विधानसभा अपने अस्तित्व में आने के बाद से ही कांग्रेस बहुल सीट रही है. यहां हुए 13 चुनावों में से 6 बार कांग्रेस जीती है. भाजपा या जनसंघ भी 4 बार,2 बार इनेलो तथा 1 बार जनता पार्टी की जीत हुई है.
2014 में बीजेपी की टिकट पर घनश्याम अरोड़ा ने जीत दर्ज की. वे प्लाईवुड व्यापारी और किसान भी हैं. किसान के तौर वे भाजपा की गन्ना संयोजक समिति के राष्ट्रीय संयोजक भी रह चुके हैं. इनेलो के पूर्व विधायक दिलबाग सिंह कॉलेज समय से छात्र राजनीति में सक्रिय रहे हैं. वे ट्रांसपोर्ट व खनन के व्यापार से भी जुड़े रहे हैं.
2014 के विधानसभा चुनाव का परिणाम
बीजेपी घनश्याम दास अरोड़ा-79743
इनेलो दिलबाग सिंह- 51498
बसपा अरविंद शर्मा-10367
कांग्रेस कृष्ण पंडित-9603
यमुनानगर विधानसभा क्षेत्र हरियाणा निर्माण के बाद अस्तित्व में आया और 1967 में हुए पहले चुनाव में ही इस क्षेत्र के विधायक को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का अवसर भी मिला. 1967 में पंडित भगवत दयाल शर्मा कांग्रेसी विधायक के रूप में चुने गए. उन्होंने जनसंघ के प्रत्याशी को हराया था. अगले ही वर्ष मध्य अवधि में हुए चुनाव में पंडित भगवत दयाल ने यहां से चुनाव नहीं लड़ा. इस बार कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमती शन्नो देवी थी. लेकिन मुख्य मुकाबला जनसंघ प्रत्याशी मलिक चंद्र और निर्दलीय सरदार भूपेंद्र सिंह के बीच में हुआ. शन्नो देवी तीसरे स्थान पर रही. असल में भूपेंद्र सिंह को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खड़ा करके शन्नो देवी की हार पंडित भगवत दयाल ने ही सुनिश्चित की थी. जिसका बड़ा कारण पंडित जी की यह आशंका थी कि शन्नो देवी मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके मकसद में चुनौती हो सकती है.
1972 में कांग्रेस के गिरीश चंद्र जोशी जनसंघ प्रत्याशी मलिक चंद्र गंभीर को पराजित कर विधायक निर्वाचित हुए. 1977 में जनता पार्टी की डॉ. कमला वर्मा ने बाजी मार कर कांग्रेस के गंभीर चंद को परास्त किया. 1982 में कांग्रेस के राजेश शर्मा जो कि भगवत दयाल के बेटे थे, उन्होंने भाजपा की कमला वर्मा को हराया. जिसका बदला 1987 में कमला वर्मा ने राजेश शर्मा को परास्त कर लिया. 1991 में राजेश शर्मा एक बार फिर कमला वर्मा को हराकर विधायक बने. 1996 में भाजपा की कमला वर्मा एक बार फिर से जीती. इस बार उन्होंने निर्दलीय मलिक चंद्र गंभीर को पराजित किया. वर्ष 2000 में कांग्रेस के डॉ. जय प्रकाश शर्मा ने भाजपा की कमला वर्मा को करारी शिकस्त दी. बसपा के रणधीर सिंह तीसरे और हविपा के साहिब सिंह चौथे स्थान पर रहे. डॉ. जयप्रकाश शर्मा के निधन के कारण फरवरी 2000 में उपचुनाव हुआ. जिसमें मलिक गंभीर चंद्र विजयी हुए. पंडित भगवत दयाल के बेटे राजेश शर्मा उपचुनाव में कांग्रेस के टिकट के लिए हाथ-पैर मारतें रह गए. टिकट न मिलने से नाराज राजेश शर्मा कांग्रेस को छोड़कर इनेलो में शामिल हो गए. तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने शर्मा को योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया.
2005 में कांग्रेस प्रत्याशी डॉ कृष्णा पंडित ने भाजपा के घनश्याम दास को हराया. इनेलो के साहिब सिंह तीसरे स्थान पर रहे. 2009 में इनेलो के दिलबाग सिंह ने कांग्रेस के देवेंद्र चावला को परास्त किया. भाजपा के घनश्याम दास तीसरे और बसपा के रोशनलाल चौथे स्थान पर रहे. 2014 में भाजपा के घनश्याम दास अरोड़ा ने इनेलो के दिलबाग सिंह को पराजित किया. इस चुनाव का मुख्य बिंदु डॉ. अरविंद शर्मा थे, जो बसपा के हाथी पर चढ़कर यमुना नगर पहुंचे थे. शर्मा लगभग 10000 वोट लेकर तीसरे स्थान पर बने रहे. कांग्रेस की डॉ कृष्णा पंडित को महज 9500 वोट ही मिल पाए.