हरियाणा में जुलाना विधानसभा की जब भी बात होगी तो बातचीत का पहला सिरा दल सिंह ढुल से शुरू होगा. हरियाणा बनने से पहले ही दल सिंह ढुल जींद के 1952, 1954, 1964, व 1972 में चार बार विधायक रहे. 1967 और 1970 में वे जुलाना से विधायक रहे. दल सिंह ढुल ने ये सभी चुनाव कांग्रेस की टिकट पर जीते थे. हरियाणा की राजनीति में दल सिंह की गिनती कद्दावर नेताओं में होती है. वे एक बार सरकार में मंत्री भी रहे.
दल सिंह ढुल के बेटे परमिंदर ढुल ने अपना पहला चुनाव कांग्रेस की टिकट 1991 में लड़ा पर वो हार गए. 1996 में कांग्रेस तिवारी के निशान पर चुनाव लड़ा और वो चुनाव हार गए. 2005 में उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा परंतु जीत तब भी हासिल नहीं हुई. 2009 के चुनाव से पहले वे इनेलो में शामिल हो गए और इनेलो के निशान पर पहली बार एमएलए बने. 2014 के चुनाव में इनेलो के निशान पर एमएलए बने.
2018 में चौटाला परिवार की आपसी लड़ाई में इनेलो दो हिस्सों में बंट गई. इनेलो अभय चौटाला के पास रह गई और अजय चौटाला व उनके बेटों(दुष्यंत व दिग्विजय चौटाला) ने जननायक जनता दल के नाम से नई पार्टी बना ली. 2019 के लोकसभा चुनाव के परिणामों ने यह साफ कर दिया कि इस फूट से न तो इनेलो को फायदा मिला और न ही जेजेपी को. दोनों दल कमजोर और हासिए पर पहुंच गए हैं.
इस अंदरूनी फूट और पारिवारिक लड़ाई ने इनेलो वर्करों के हौसलों को कमजोर किया तो दूसरी तरफ इनेलो के एमएलए व हारे हुए नेताओं को यह साफ दिखने लगा कि आपसी लड़ाई में दोनों पार्टियों का वजूद खतरे में है. ऐसे में उनकी पारिवारिक लड़ाई के साथ चिपके रहने का कोई औचित्य नहीं है. जिसके कारण धीरे-धीरे बहुत से नेता वर्तमान बीजेपी सरकार के साथ जाने लगे.
15 साल से सत्ता से दूर होने के बावजूद वर्कर व नेताओं में जो उम्मीद की किरणें थी, वो इस आपसी लड़ाई ने चकनाचूर कर दी. नेताओं और हताश वर्करों के साथ नेताओं ने इनेलो व जेजेपी से पलायन शुरू कर दिया. इसी कड़ी में जुलाना से विधायक परमिंदर ढुल भी जल्द बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला 14 दिन की फरलो पर आए हुए हैं. शायद उनकी फरलो खत्म होने के बाद परमिंदर ढुल बीजेपी में शामिल हो जाएंगे.
परमिंदर ढुल जुलाना हलके के लोकप्रिय नेता हैं और जमीन से जुड़े हुए नेता के रूप में उन्हें ख्याति प्राप्त है. खासकर किसानों से जुड़े मुद्दों को लेकर उनकी भागीदारी जगजाहिर है. अनुमान लगाया जा रहा है कि इसी महीने परमिंदर ढुल बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. ऐसे में इनेलो को एक और तगड़ा झटका लगना तय लग रहा है. इनेलो और जेजेपी दो पार्टी बनने के बाद वर्करों व नेताओं में मायूसी बढ़ती जा रही है. जिसके कारण पार्टी से पलायन तेज हो गया है.
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