मणिपुर की मीराबाई चानू : कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को जिताया पहला गोल्ड मेडल
21 वें राष्ट्रमंडल खेल की शुरुआत भारत के लिए ख़ुशी की खबर लेकर आयी है, वर्ल्ड चैंपियन मीराबाई चानू ने 21वें कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को पहला गोल्ड मेडल जितवाया है।
5 अप्रैल 2018
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नया हरियाणा
21 वें राष्ट्रमंडल खेल की शुरुआत भारत के लिए ख़ुशी की खबर लेकर आयी है, वर्ल्ड चैंपियन मीराबाई चानू ने 21वें कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को पहला गोल्ड मेडल जितवाया है। वर्ल्ड चैंपियन मीराबाई चानू ने 21वें कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को पहला गोल्ड मेडल जितवाया है। चानू ने महिलाओं के 48 किलोग्राम भार उठाकर भारत को शानदार जीत दिलाई। मीराबाई चानू ने स्नैच में 86 किलोग्राम भार उठाकर कॉमनवेल्थ में नया रिकॉर्ड बनाया है। उन्होंने पहले प्रयास में 80 किलोग्राम का वेट उठाया;जो कॉमनवेल्थ गेम्स का रिकॉर्ड है। इसके बाद 84 किलोग्राम भार उठाया। उसके बाद उन्होंने 86 किलोग्राम भार उठाकर अपना 85 किलो का रिकाॅर्ड तोड़ दिया। तो वहीं क्लीन ऐंड जर्क के पहले प्रयास में उन्होंने 103 किलोग्राम भार उठाया और दूसरे प्रयास में 107 किलोग्राम का भार उठाया और तीसरे प्रयास में 110 किलोग्राम भार उठाया।
चानू भारत की ऐसी दूसरी खिलाड़ी हैं, जिन्होंने यूएसए में आयोजित विश्व स्तर के भारोत्तोलन प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता है। साल 2017 में चानू ने 48 किग्रा भार वर्ग में हिस्सा लेते हुए 194 किग्रा का भार उठाया था। उन्होंने पहले 85 किग्रा (स्नैच में) और फिर 109 किग्रा भार (क्लीन और जर्क में) उठाया आैर भारत को स्वर्ण पदक लाकर दिया। आपको बता दें कि इससे पहले 22 साल पहले 1994 और 1995 में कर्नाम मालेश्वरी ने स्वर्ण पदक जीता था। साथ ही चानू को फरवरी में महिंद्रा स्कॉर्पियो टाइम्स ऑफ इंडिया अवॉर्ड्स को वेटलिफ्टर ऑफ द ईयर का खिताब दिया गया था। यह खिलाब उनके पिछले साल के वर्ल्ड वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने के उपलक्ष्य में दिया गया था।
पद्मश्री से सम्मानित हुईं मीराबाई चानू
भारोत्तोलन खिलाड़ी साईखोम मीराबाई चानू को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री से सम्मानित किया। बता दें कि गणतंत्र दिवस के मौके पर खेल जगत में उल्लेखनीय प्रदर्शन के लिए चानू को पद्मश्री सम्मान देने की घोषणा की गई थी। चानू के लिए ये मुकाम हासिल करना नहीं था आसान। इसके लिए उन्होंने दिन रात मेहनत की थी। चानू रियो आेलिम्पिक के तीन प्रयासों में भी नाकाम रही थीं। मीराबार्इ के गांव में बेटलिफ्टिंग के लिए काेर्इ सेंटर नहीं था इस वजह से वे ट्रेन से 60 किमी दूर ट्रेनिंग लेने जाया करती थी। 2007 में जब मीराबार्इ चानू तेरह साल की थी तभी से उन्होंने इंफाल में प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था। 2011 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय यूथ चैंपियनशिप और दक्षिण एशियाई जूनियर खेलों में स्वर्ण जीता। दो साल बाद उन्हें जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में सर्वश्रेष्ठ भारोत्तोलक का खिताब मिला, लेकिन जब उन्होंनें सीनियर स्तर पर खेलना शुरू किया तब से उनके लिए चुनौतियां बढ़ती गईं। 2014 में ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों में रजत जीतने के बाद मीराबार्इ चानू के आत्मविश्वास को नई ऊंचाई मिली।