रतनलाल कटारिया पुराने भाजपाई और संघ पृष्ठभूमि से आते हैं. 2014 में सांसद सांसद बने थे. पत्नी बंतो कटारिया भी सक्रिय राजनीति में हैं. चुनाव से पूर्व इनकी पत्नी को टिकट मिलने की चर्चाएं थी.
कुमारी शैलजा पुराने राजनीतिक परिवार से हैं. दिवंगत पिता चौ. दलबीर सिंह सिरसा से सांसद रही हैं. अंबाला से भी सांसद रह चुकी हैं. यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री थी. वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं.
रामपाल बाल्मीकि लंबे समय से इनेलो में सक्रिय रहे हैं. पहली बार पार्टी ने लोकसभा में उतारा है. इनेलो सुप्रीमो ओपी चौटाला के साथ जुड़े हुए हैं. इनेलो में कई पदों पर रह चुके हैं. बाल्मीकि समाज से ताल्लुक रखते हैं. इनेलो से जेजेपी के अलग होने के बाद और बसपा से गठबंधन टूटने के बाद पार्टी बुरे दौर से गुजर रही है.
पृथ्वीराज भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी रहे हैं. मूल रूप से यमुनानगर के रहने वाले हैं. पुलिस की अधिकांश नौकरी हिमाचल प्रदेश में की. हिमाचल प्रदेश में पुलिस महानिदेशक पद से रिटायरमेंट के बाद अब आदमी पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं. हरियाणा में आम आदमी पार्टी और जेजेपी का गठबंधन है. यह सीट आप पार्टी के हिस्से में आई है. करनाल, अंबाला और फरीदाबाद आप पार्टी के हिस्से आई हैं. 7 लोकसभा पर जेजेपी चुनाव लड़ रही है.
अंबाला लोकसभा में 9 विधानसभा सीटों पर 2014 में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. कालका, पंचकूला, नारायणगढ़, अंबाला कैंट, अंबाला शहर, मुलाना, सढ़ौरा, जगाधरी और यमुनानगर.
9 विधानसभाओं पर बीजेपी के विधायक हैं. जो लोकसभा में बीजेपी प्रत्याशी के मेहनत कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि अंबाला लोकसभा हारने का मतलब साफ है कि विधानसभा में उनका पत्ता साफ हो सकता है.
2014 में रतनलाल कटारिया को 612121 वोट मिले थे और कांग्रेस के राजकुमार बाल्मीकि को 272047 वोट मिले थे.
अंबाला लोकसभा के शहरी मतदाता रतनलाल कटारिया से नाराज नजर आ रहे हैं. खासकर अंबाला कैंट और अंबाला शहर. हालांकि गांव में उतना ज्यादा विरोध नहीं है.
2009 में कुमारी शैलजा और रतनलाल कटारिया के बीच तगड़ मुकाबला हुआ था. शैलजा को 322258 वोट मिले थे और कटारिया को 307688 वोट मिले थे.
रतनलाल कटारिया जनता से जुड़े नेता नहीं है तो दूसरी तरफ शैलजा भी जनता से जुड़ी हुई नेता नहीं है. ऐसे में मुकाबला बीजेपी बनाम कांग्रेस होता तो बीजेपी की जीत एक तरफा होती. पर मुकाबला दो तरह से हो रहा है एक कटारिया और शैलजा के बीच, तो एक पार्टियों के बीच. व्यक्तिगत स्तर पर शैलजा कटारिया से आगे हैं और पार्टी के स्तर पर कटारिया आगे हैं.
कुल मिलाकर अंत तक जाते-जाते कटारिया और शैलजा की जीत का मार्जन कम होगा, पर जीत के चांस कटारिया के ज्यादा बन रहे हैं.