अभिनेता अक्षय कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बुधवार को ‘‘निष्पक्ष और पूरी तरह से गैर राजनीतिक’’ बातचीत की. प्रधानमंत्री आवास 7 लोक कल्याण मार्ग पर हुई इस बातचीत में अक्षय कुमार ने पीएम मोदी की जिंदगी से जुड़े कई पहलुओं पर चर्चा की. पीएम मोदी ने इस बातचीत में अपने परिवार, खान-पान और हंसी-मजाक से जुड़े किस्से साझा किए.
अक्षयः इंटरव्यू की शुरुआत में अक्षय ने अपने ड्राइवर की बेटी का सवाल पीएम मोदी से पूछा, क्या आप आम खाते हैं?
पीएमः पीएम मोदी ने कहा कि मैं आम खाता हूं, जब छोटा था तब मैं खेत में जाकर आम खाने चला जाता था. मुझे आम के पेड़ पर पके हुए आम खाना ज्यादा पसंद था. जैसे जैसे समय आगे बढ़ा आम रस खाने की आदत लगी. लेकिन अभी कंट्रोल करना पड़ता है.
अक्षयः कभी आपने सोचा था कि आप प्रधानमंत्री बनेंगे?
पीएमः कभी ऐसा विचार नहीं आया कि मैं कभी पीएम बनूंगा. अगर मेरी कहीं नौकरी लग जाती तो मेरी मां पूरे गांव में गुड़ बांट देती.
अक्षयः क्या आप संन्यासी बनना चाहते थे, आप सेना में भर्ती होना चाहते थे?
पीएमः 1962 की लड़ाई के दौरान मेहसाणा स्टेशन पर जब जवान जाते थे तो मैं भी चला जाता था. मन को खुशी होती थी. गुजरात में सैनिक स्कूल के बारे में जानना और उसमें भर्ती होने की मेरी इच्छा थी. हमारे मोहल्ले में एक प्रिंसिपल रहते थे. मैं उनके पास चला गया. मैं कभी भी बड़े आदमी से मिलने से पहरेज नहीं करता था. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं पीएम बनूंगा.
अक्षयःआपको कभी गुस्सा आता है, किस पर और कैसे निकालते हो?
पीएमः कभी कोई कहेगा कि मुझे गुस्सा नहीं आता है तो बहुत लोगों को हैरानी होगी. आप अच्छी चीजों पर जोर दें जिससे नकारात्मक चीजें अपने आप रुक जाएंगी. चपरासी से लेकर प्रिंसिपल सचिव तक पर मुझे गुस्सा व्यक्त करने का अवसर नहीं आया. मैं किसी को नीचा दिखाकर काम नहीं करता हूं. मैं हैल्पिंग हैंड की तरह काम करता हूं. मेरे अंदर गुस्सा होता होगा, लेकिन मैं उसे व्यक्त करने से रोक लेता हूं.
अक्षयः आपका मन करता है कि आप अपनी मां और परिवार के साथ रहें?
पीएमः मैंने बहुत छोटी आयु में घर छोड़ दिया था. कोई मोह माया नहीं रही, अब मेरी जिंदगी ऐसी ही बन गई है. मेरी मां मुझसे कहती है कि तुम मेरे पीछे क्यों समय खराब करते हो. जब वो दिल्ली आतीं हैं तो मैं भी उनको मां को समय नहीं दे पाता हूं. यहां मां रहीं थीं लेकिन मैं फील्ड में ही लगा रहता था. मैं रात को 12 बजे आता था, तो मां को दुख होता था. यहां मां का मन नहीं लगता, वो गांव के लोगों के साथ रहती है तो अच्छा लगाता है.
अक्षयः आपकी छवि बहुत कठोर प्रशासक की है?
पीएमः ये छवि सही नहीं है. काम का अनुशासन मैं अपने जीवन में खुद लेकर आया. मैं सख्त हूं, अनुशासित हूं लेकिन कभी किसी को नीचा दिखाने का काम नहीं करता. अक्सर कोशिश करता हूं कि किसी काम को कहा तो उसमें खुद इन्वॉल्व हो जाऊं. सीखता हूं और सिखाता भी हूं और टीम बनाता चला जाता हूं. मैंने पीएम वाली छवि नहीं बनाई. दोस्ताना व्यवहार रखता हूं. कई बार अफसर झिझकते हैं तो मैं चुटकले भी सुनाता हूं.
अक्षयः विपक्षी पार्टियों में आपके दोस्त हैं?
पीएमः गुलामनबी आजाद मेरे अच्छे दोस्त हैं. जब भी मिलते हैं बहुत अच्छे से मिलते हैं. ममता बनर्जी मेरे लिए खुद कुर्ते भेजतीं है. ममता दीदी साल में एक-दो कुर्ते मुझे भेज देतीं हैं. बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना मेरे लिए बंगाली मिठाई भेज देतीं हैं.
अक्षयः क्या आप सच में गुजराती हैं? आपने अपने पैसे दे दिए, प्लॉट दे दिया?
पीएमः पीएम मोदी ने चुटकला सुनाया, ट्रेन में स्टेशन आने पर ऊपर की सीट पर बैठे एक शख्स ने नीचे की सीट पर बैठे शख्स से पूछा कौन सा स्टेशन आया है? तभी खिड़की पर बैठे शख्स ने बाहर खड़े आदमी से पूछा, भैय्या कौन सा स्टेशन है? बाहर खड़े शख्स ने जवाब दिया, 1 रुपया दो तब बताउंगा. इतने में खिड़की पर बैठे शख्स से ऊपर बैठे व्यक्ति ने कहा कोई बात, अहमदाबाद ही होगा.
अक्षयः अगर आपको अलादीन का चिराग मिले और तीन चीजें मांगने को कहें तो क्या मांगेगे?
पीएमः मैं सबसे पहले ये कहूंगा कि आप नई पीढ़ी को कहूंगा कि ये अलादीन पर विश्वास करना बंद करें. इससे आलस का भाव आता है. ये हमारे यहां का चिंतन नहीं है, हमारे यहां का चिंतन परिश्रम का है.
अक्षयः आपका रिटायरमेंट प्लान क्या है?
पीएमः जिम्मेवारी ही मेरी जिंदगी है, मुझे परवाह नहीं होती है कि मुझे अपने को एंगेज करने के लिए कुछ करना पड़ेगा. शरीर का कण कण और जीवन का पल पल किसी ना किसी मिशन पर ही खपाऊंगा.
अक्षयः सीएम से पीएम बने थे तब सबसे वैल्यूबल चीज क्या लेकर आए थे?
पीएमः पीएम बनते समय मुझे ये बैनिफिट मिला है कि मैं लंबे अरसे तक सीएम रहकर आया था. मैं गुजरात का लंबे समय तक सीएम रहा. ये तजुर्बा शायद मेरे पहले के पीएम को नहीं मिला था. देवगौड़ा साहब सीएम रहे थे लेकिन बहुत अल्पकाल के लिए लेकिन मैं बहुत लंबे समय तक सीएम रहा. ये अनुभव मैं वहां से लेकर आया जो देश के काम आ रहा है.
अक्षयः आप केवल साढ़े तीन घंटे ही सोते हैं?
पीएमः राष्ट्रपति ओबामा जब मुझसे मिले तो उन्होंने भी मुझसे कहा कि तुम ऐसा क्यों करते हो? आपको नींद पूरी लेनी चाहिए. ओबामा जब भी मिलते हैं पूछते हैं मेरी बात मानी? नींद बढ़ाई? लेकिन मैं करूं मेरे जानने वाले सारे डॉक्टर कहते कि नींद बढ़ाऊं. लेकिन ये मेरे जीवन का हिस्सा बन गया है. रिटायरमेंट के बाद नींद बढ़ाने पर मैं ध्यान दूंगा.
अक्षयः अगर आपको कभी जुकाम लगता है तो आप क्या करते हैं?
पीएमः बहुत साल पहले मैं कैलाश यात्रा पर पैदल गया था. सब दर्द से परेशान थे, मुझे कुछ नहीं हुआ. मुझे आयुर्वेद पर विश्वास है. जुकाम होने पर सरसों का तेल गर्म करके नाक में डाल देता हूं. ठीक हो जाता है.
अक्षयः आपका फैशन आपने खुद ने किया है या आपको किसी ने सुझाया है?
पीएमः मेरे कपड़ों की दुनिया को लेकर छवि बनाई गई है. सीएम बना तब तक मैं कपड़े खुद धोता था. लंबी बांह वाले कुर्ते धोने में समय लगता है, बैग में जगह भी लेता है. इसलिए मैंने आधी बाजू के कुर्ते पहनना पसंद किया. बर्तन में गर्म कोयला भरकर के कपड़ों को प्रेस करके पहनता था.
अक्षयः उल्टी घड़ी पहनने के पीछे का क्या कारण है?
पीएमः ये मैं इसलिए पहनता हूं कि समय देखूं तो किसी को पता ना चले, कहीं उसे बुरा ना लग जाए. मैं मीटिंग में होता हूं, समय देखते वक्त किसी को पता ना चले इसके लिए चोरी छिपे समय देख लेता हूं.
अक्षयः क्या आप अपने वेतन में से कुछ अपनी माता जी को भेजते हैं?
पीएमः मेरी मां आज भी मेरे हाथ पर कुछ ना कुछ देती है, मां मुझे आज भी एक सवा रुपया देती है. मेरी मां को कोई जरूरत नहीं है. मेरा परिवार कोई बेनिफिट नहीं लेता है.
अक्षयः आपने बचपन में कौन सा खेल खेला है?
पीएमः मुझे टीम गेम पसंद है, ये आपके व्यक्तित्व को अलग से डेवलप करता है. टीम वाले खेल जिंदगी जीना सिखाते हैं. हम सभी को ग्रुप वाले खेल खेलना चाहिए. मैंने गुल्ली डंडा भी खेला. ज्यादातर मैं तैरने के लिए चला जाता था. तालाब में ही पानी आता था मैं कपड़े धोने वहां जाता था. मेरा बॉडी डेवलप्मेंट स्वीमिंग से हुआ है.
अक्षयः क्या मेरे पीएम यूएन में अपनी पहली स्पीच के समय नर्वस थे?
पीएमः यूएन में स्पीच से पहले मैं नर्वस बिल्कुल नहीं था. मेरी बातों के आधार पर भाषण लिखा गया था.
अक्षयः क्या फिल्म देखते हैं? कौन सी फिल्म आखिरी देखी?
पीएमः जब सीएम था तब अमिताभ बच्चन के साथ पा फिल्म देखी. सीएम था तभी अनुपम जी के साथ A Wednesday देखी. पीएम बनने के बाद कोई फिल्म नहीं देखी. टॉयलेट एक प्रेम कथा देखने के लिए काफी लोगों को कहा. मैं देख नहीं पाया. इस फिल्म की कई लोगों से तारीफ भी सुनी.
अक्षयः आप में और मुझमें एक समानता है, आप चाय बेचते थे और मैं वेटर था, हम दोनों का कोई गॉडफादर नहीं था.
पीएमः जब मैं चाय बेचता था तो मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला. मैं जब चाय बेचता था तो मेरे गांव में ट्रेन तो बहुत कम आती थी लेकिन मालगाड़ी ज्यादा आती थी. मालगाड़ी में दूधवाले होते थे उनसे बातें करते करते मैं हिंदी सीख गया. शाम को वो भजन करते थे तो मुझे नॉर्थ इंडिया के कल्चर से मिलवा दिया.
साभार-जन सरोकार ग्रुप