गुरूग्राम के महेंद्रगढ़ में मिलने से आई अहीर नेताओं के पास कमान
गुरूग्राम के महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र में शामिल करने के बाद 1977 से 2004 तक हुए 9 लोकसभा चुनाव में से 8 बार अहीर नेताओं ने जीत दर्ज की.
1 अप्रैल 2019
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नया हरियाणा
राजधानी दिल्ली से सफर की शुरुआत करें तो अहीरवाल की धरती की शुरुआत गुरुग्राम से होती है. लोकसभा चुनाव में गुरुग्राम से ज्यादातर गैर अहीर नेता सांसद चुनकर लोकसभा पहुंचे. इस सीट से ब्राह्मण, मुस्लिम व अहीर नेता संसद पहुंचे. केंद्र में राज्य मंत्री राव इंद्रजीत इस हलके का लोकसभा में दूसरी बार प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. देश की आजादी के बाद पहला लोकसभा चुनाव 1952 में करवाया गया. रेवाड़ी जिले में जन्मे ठाकुर दास भार्गव को इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर पहला सांसद बनने का गौरव मिला. 1957 में दूसरा चुनाव मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ने कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर जीता. कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी और निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर प्रकाशवीर शास्त्री जीते. वह जाती से त्यागी-ब्राह्मण थे. 1962 में पहली बार गजराज सिंह ने नेता के रूप में सीट से चुनाव जीता. कांग्रेस के टिकट पर चुने गए थे. लेकिन 1967 में हुए अगले चुनाव में उन्होंने यह सीट खो दी और निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अब्दुल गनी डार जीतकर संसद पहुंचे. इस सीट पर चुने जाने वाले वह दूसरे मुस्लिम प्रत्याशी बने. कांग्रेस ने इस सीट पर मुस्लिम नेताओं के प्रभाव को देखते हुए 1971 में तैयब हुसैन को प्रत्याशी घोषित किया. उन्होंने चुनाव जीता और सांसद बने. 2008 में सीमांकन के बाद नए सिरे से बनाई गई गुरुग्राम लोकसभा सीट पर राव इंद्रजीत सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते. 2014 का चुनाव राव इंद्रजीत ने भाजपा के टिकट पर लड़ा और वह दोबारा सांसद बने. 1973 में परिसीमन आयोग ने नए सिरे से सीमाबन्दी करके लोकसभा क्षेत्र समाप्त कर दिया. जिसके बाद गुरुग्राम को महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र में मिला दिया गया. इसके बाद ही अहीरवाल के नेताओं का दबदबा क्षेत्र में कायम हो पाया.
गुरूग्राम के महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र में शामिल करने के बाद 1977 से 2004 तक हुए 9 लोकसभा चुनाव में से 8 बार अहीर नेताओं ने जीत दर्ज की.