किसानों के हालात देखते हुए लग रहा है कि सरकार की नीयत में ही खोट है.
20 मार्च 2018
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नया हरियाणा
नीति बना देने भर से काम चल जाता तो दिक्कत कहां आनी थी. सरकार ने सरसों के दाने-दाने को खरीदने का दावा किया. जिसके लिए नीति बनाई. पर किसानों के हालात देखते हुए लग रहा है कि सरकार की नीयत में ही खोट है.
किसानों की दिक्कतें---
-फर्द के लिए पटवारी पैसे ले रहा है या देने में आना-कानी कर रहा है. सरकार की तरफ से पटवारी की डयूटी मंडी में क्यों नहीं लगाई जा रही.
-अगर किसान के पास फसल बीमा के कागज है तो फर्द की क्या जरूरत है
-25 क्विंटल एक दिन में खरीदने के नियम की जरूरत क्या है?
-हरियाणा की सभी मंडियों में खरीद नहीं हो रही है, इसके लिए जिम्मेदारी कौन लेगा, कृषि मंत्री या मुख्यमंत्री या दोनों.
-भ्रष्ट सिस्टम से किसान को दिक्कत न हो. इसके लिए सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है.
-गांव दर गांव खरीद के लिए निर्धारित किए गए हैं तो उस दिन सभी किसानों की सारी सरसों क्यों नहीं खरीद रही है सरकार?