उन्होंने कहा कि महिला सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है. हरियाणा में आये दिन बलात्कार और यौन हिंसा अपराध की घटनाएं बढ़ रहीं हैं
25 फ़रवरी 2019
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नया हरियाणा
साथियों,
कैप्टन अभिमन्यु ने बजट पेश करते हुए श्लोक पढ़ा कि, "प्रजा के सुख में सरकार का सुख है, प्रजा के हित में सरकार का हित है, प्रजा को जो प्रिय है, वही सरकार को प्रिय है" लेकिन खट्टर सरकार का बजट देखकर यही कहा जा सकता है, कि "प्रजा के दुख में सरकार का सुख है, प्रजा के अहित में सरकार का हित है, प्रजा को जो प्रिय है, वही सरकार को अप्रिय है" पूरी तरह से चुनावी और खोखला बजट पेश किया है इस निकम्मी सरकार ने. किसानों की वित्तीय और सामाजिक दशा ठीक करने के लिए 1500 करोड़ रुपये के प्रावधान के घोषणा तो की गयी है लेकिन यह नहीं बताया गया ये कैसे और कब होगा ? और अब किसान क़र्ज़ माफ़ी पर सरकार का रवैया भी पूरी तरह से साफ़ हो गया है.
यह सरकार का पांचवा और अंतिम चुनावी बजट है. जनता को सब समझ में आता है. खेल, स्वास्थ्य, शिक्षा के बजट में 10 फीसदी की बढोत्तरी ऊंट के मुंह में जीरा है. हरियाणा के किसान और मध्यमवर्ग परिवार को इन्हीं तीन बुनियादी चीजों की ज़रूरत है. किसानों के जोखिम को कम करने के नाम पर सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों से 406.27 करोड़ रुपये के प्रीमियम की कमाई की. असली किसानों को उनका हक नहीं मिला. कागजों पर बीमा की रकम भरी जा रही है. बीमा कंपनियों से सांठगांठ का खुला खेल चल रहा है. सरकार पांच वर्ष में चीनी मिलों का आधुनिकीकरण नहीं कर पाई अब क्या करेगी? किसान को दर-बदर की ठोकर खानी पड़ी है. 2020-21 तक चीनी मिल के आधुनिकीकरण का सपना दिखाया गया है. अच्छा है जाते-जाते सरकार की नींद टूटी है. किसानों को स्वप्न दिखाने से वे झांसे में नहीं आएंगे. किसान भाई इसका करारा जवाब खट्टर सरकार को देंगे.
महिला सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है. हरियाणा में आये दिन बलात्कार और यौन हिंसा अपराध की घटनाएं बढ़ रहीं हैं. सरकार ने अपने बजट की घोषणाओं में महिला सुरक्षा के मुद्दे को उपेक्षित माना. विजनरी होने का दावा करने वाली सरकार की यह दृष्टि है. इसका तोड़ दो कि बजट देखकर लगता है सरकार का इरादा पिछले चार वर्षों की तरह ही हवा-हवाई जुमलों का है. बजट प्रत्येक वर्ष के लिए होता है, यह 2030 का विजन डॉक्यूमेंट पूरा करने के लिए नहीं है.