पूर्व मुख्यमंत्री एवं इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने कांग्रेसी नेता रणदीप सुरजेवाला को चुनाव लड़ने के लिए चुनौती दी थी. जिसका जवाब देते हुए सुरजेवाला ने बेबाकी से इस चुनौती को स्वीकार किया. ओमप्रकाश चौटाला के इस बयान के दो संदर्भ हो सकते हैं, पहला पार्टी के कार्यकर्ताओं में हौसला भरना और दूसरा विपक्षी दलों को कमजोर साबित करना.
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि अब समय गया है कि बांगर से की हुंकार से दिल्ली की सरकार हिल जाए और हमारे अधिकारों की हुंकार से मनोहर लाल खट्टर की सरकार उखड़ जाए। वह रविवार को उचाना के गांव छातर में बांगर अधिकार रैली को संबोधित कर रहे थे। इस रैली में हजारों की संख्या में लोगों ने भाग लिया।
पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला द्वारा रणदीप सुरजेवाला को दी गई चुनावी चुनौती को स्वीकार करते हुए श्री सुरजेवाला ने कहा कि बुजुर्ग होने के नाते मैं उनका सम्मान करता हूं, लेकिन उन्होंने जो चुनाव लडऩे की इच्छा व्यक्त की है, जहां से वह कहेंगे मैं लडऩे को तैयार हूं। पहले भी हम चार चुनाव लड़ चुके हैं और जहां से भी वो चुनाव लडऩा चाहेंगे मैं उसके लिए तैयार हूं। लेकिन चुनाव में उन्हें स्वयं उतरना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि जेल के बाद भी 10 साल तक चौटाला चुनाव नहीं लड़ सकते, इसलिए जनता को बरगलाने की कोशिश करना छोड़ दें। उन्होंने कहा कि इनेलो बीजेपी की बी टीम है और उनके दोनों मिल जुलकर राजनीति कर रहे हैं।
सुरजेवाला का चुनावी सफर
इन्होंने 6 बार हरियाणा विधान सभा के लिए चुनाव लड़े- 1993 उप चुनाव, 1996, 2000, 2005, 2009 व 2014 में। 1996 और 2005 चुनावों में उन्होंने ओम प्रकाश चौटाला को हराया जो कि तत्कालीन मुख्यमंत्री थे। 2014 के चुनावों में कांग्रेस प्रदेश में निराशाजनक प्रदर्शन करते हुए तीसरे स्थान पर रही किंतु रणदीप अपनी सीट से पुनः निर्वाचित होने में सफल रहे.
ओमप्रकाश चौटाला के चुनाव लड़ने में है कानूनी अड़चन
जनप्रतिनिधि अधिनियम के अनुसार, किसी अपराध में दोषी और दो साल से अधिक के कारावास की सजा पाने वाला कोई भी व्यक्ति दोषसिद्धि से सजा खत्म होने के छह साल बाद तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य रहेगा.
किस केस में हुई थी सजा
भारतीय राजनीति के इतिहास में ओम प्रकाश चौटाला ऐसे गिने चुने नेताओं में शुमार हो गए हैं जिन्होंने किसी आरोप में दोषी करार दिया गया हो. ओम प्रकाश चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला को दिल्ली की एक अदालत ने शिक्षक भर्ती घोटाले में 10 साल की सजा सुनाई है.इससे पहले चौटाला जोड़ी को हरियाणा सिविल सेवा में भी फर्जी भर्ती कराने पर मामला दर्ज है. चौटाला देश के ऐसे पहले मुख्यमंत्री हैं जिनको किसी आरोप में दोषी पाया गया है.
अदालत ने चौटाला पिता पुत्र के अलावा तत्कालीन प्राथमिक शिक्षा निदेशक संजीव कुमार, चौटाला के पूर्व विशेष ड्यूटी अधिकारी विद्या धर (दोनों आईएएस अधिकारी) और हरियाणा के मुख्यमंत्री के तत्कालीन राजनीतिक सलाहकार शेर सिंह बादशामी (विधायक) को भी दस-दस साल के कारावास की सजा सुनाई. सभी 55 दोषियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 418 (धोखाधड़ी), 467 (फर्जीवाडा), 471 (फर्जी दस्तावेजों का उपयोग) और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की धारा 13 (एक) (डी) और 13 (दो) के तहत दोषी ठहराया और सजा सुनाई. पांच मुख्य आरोपियों के अलावा एक महिला सहित चार अन्य को भी 10 साल की सजा सुनाई गई है. इसके अलावा, एक दोषी को पांच साल की जबकि बाकी बचे 45 दोषियों को चार-चार साल के कारावास की सजा दी गई.
1996 में न्यायाधीश के एन सैकिया आयोग ने चौटाला को अमीर सिंह हत्याकांड में सह अभियुक्त के तौर पर इंगित किया था. चौटाला की किस्मत कहें या उनका कर्म वो 2 जुलाई 1990 को एक बार फिर हरियाणा के तख्त पर बैठे लेकिन पांच दिन अंदर ही पार्टी के दबाव में उने सत्ता छोड़नी पड़ी. इससे पहले हरियाणा सिविल सेवा में भी उनके खिलाफ फर्जी करने का आरोप है. आय से अधिक संपत्ति के एक मामले में सीबीआई ने चौटाला परिवार के खिलाफ 1467 करोड़ रुपये की संपत्ति का चार्जशीट दायर किया और यह मुकदमा अभी चल रहा है.
ओमप्रकाश चौटाला का समलिंग से मुख्यमंत्री पद तक का सफर
हरियाणा की पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल के कर्ताकर्ता ओम प्रकाश चौटाला को उनके पिता देवी लाल ने तब उनको घर से निकाल दिया था जब वह घडि़यों की स्मकगलिंग करते हुए दिल्ली एयरपोर्ट पर पकड़े गए थे. लेकिन उसी बेटे को बाद में उसी पिता ने हरियाणा के सीएम की कुर्सी पर तब बैठा दिया जब उन्हें केंद्र में उप प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला. हालांकि 2 दिसंबर 1989 को उसी पिता का पुत्र प्रेम तब जागा जब उन्हें केंद्र में उप प्रधानमंत्री का पद मिला और तब उन्होंने अपने बेटे ओम प्रकाश चौटाला को हरियाणा के मुख्यमंत्री का पद दिया.