जींद उपचुनाव के दौरान ओमप्रकाश चौटाला की फरलो कैंसल होने पर उन्होंने आरोप लगाया था कि उनके पोतों ने आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर उनकी फरलो कैंसल करवाई है। फरलो कैंसल होने के बाद ओपी चौटाला ने कहा था कि उनके पोते गद्दार और देशद्रोही हैं। दूसरी तरफ इन आरोपों को लेकर जेजेपी की तरफ से सोशल मीडिया पर सफाई दी गई थी कि अगर उनके हाथ में हो तो वो अजय चौटाला की सजा ना माफ करवा लें। जबकि ये बहुत ही लचर किस्म का तर्क था। जबकि ये बात सभी जानते हैं कि दिल्ली की सभी जेल दिल्ली सरकार के अंडर आती हैं और अब ओपी चौटाला की सजा माफी की याचिका पर अंतिम फैसला केजरीवाल सरकार को ही लेेना है। जेजेपी पूरी कोशिश करेगी कि ओपी चौटाला की सजा माफी की याचिका को आप पार्टी खारिज कर दे। राजनीति में सभी पार्टी और नेता अपने-अपने दांव खेलते रहे हैं। पारिवारिक रिश्तों की गरिमा सबसे ज्यादा राजनीति में ही तार-तार होती रही है।
ओमप्रकाश चौटाला ने याचिका में अनुरोध किया है कि केंद्र की कैदियों को विशेष छूट की नीति के अनुरूप उन्हें जेल से रिहा किया जाना चाहिए। चौटाला ने अपनी याचिका में दावा किया है कि बीते साल दिसंबर में उन्होंने समयपूर्व रिहाई के लिए अुनरोध पत्र दिया था जिस पर दिल्ली सरकार ने अब तक कोई फैसला नहीं किया है। इसके बाद पीठ ने चौटाला के अनुरोध पर आप सरकार को चार हफ्तों में शीघ्र फैसला करने का निर्देश दिया है। पीठ ने कहा कि कानून के अनुरूप आदेश पारित किया जाए।
आम आदमी पार्टी की सरकार के वकील राहुल मेहरा ने समयपूर्व रिहाई के चौटाला के अनुरोध का विरोध किया और कहा कि वह भ्रष्टाचार के दोषी पाए गए हैं जो गंभीर अपराध है। उन्होंने कहा कि बीते साल जुलाई में केंद्र द्वारा जारी अधिसूचना केवल परामर्श था और वह बाध्य नहीं है। मेहरा ने कहा कि चौटाला को कई बार पैरोल और फरलो मंजूर की गई है और वह अभी भी आठ फरवरी से एक मार्च तक पैरोल पर बाहर हैं। चौटाला की उम्र 83 साल है। उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि उनकी उम्र और कमजोर शरीर को देखते हुए उन्हें समय पूर्व रिहा किया जाना चाहिए और वह सात साल की सजा भी काट चुके हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी की सरकार से बुधवार को कहा कि शिक्षक भर्ती घोटाले में सजा काट रहे हरियाणा के पूर्व सीएम एंव इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला के समय पूर्व रिहाई के अनुरोध पर चार हफ्तों में फैसला करे। जस्टिस सिद्ध्ार्थ मृदुल और जस्टिस प्रतीक जालान की पीठ ने यह निर्देश दिया।