मानेसर भूमि घोटाला: सीबीआई की चार्जशीट में पूर्व सीएम भूपेन्द्र हुड्डा मुख्य साजिशकर्ता
मानेसर जमीन अधिग्रहण घोटाले में करीब 1500 करोड़ रु के घोटाले में सीबीआई ने पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा को मुख्य साजिशकर्ता बताया है।
20 फ़रवरी 2018
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नया हरियाणा
मानेसर जमीन अधिग्रहण घोटाले में करीब 1500 करोड़ रु के घोटाले में सीबीआई ने पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा को मुख्य साजिशकर्ता बताया है। हालांकि आरोप पत्र में उनके अलावा 33 अन्य लोग आरोपित हैं, मगर हुड्डा पर फोकस रखते हुए सात बिंदुओं पर उन्हें आरोपित किया है। सीबीआई ने आरोप पत्र में कहा है कि एक कंपनी में उनके भतीजे मोनू हुड्डा निदेशक थे इसलिए इस जमीन को अधिग्रहण से मुक्त करने और लाइसेंस, सीएलयू देने के पीछे पूर्व सीएम के परिवार के व्यापारिक हित थे। वहीं अधिग्रहण रद करने के फैसले को सही ठहराने के लिए कमेटी भी बनाई। आरोप पत्र में केंद्रीय जांच एजेंसी ने गिनाए ये बिंदू
हुड्डा 5 मार्च, 2005 से 26 अक्टूबर 2014 तक सीएम रहे। वे टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के मंत्री इंचार्ज भी थे। उनका रोल मुख्य साजिशकर्ता के तौर पर रहा।
2. एबीडब्ल्यू कंपनी ने 190 एकड़ पर लाइसेंस लेने के लिए आवेदन किया था। लाइसेंस की फाइल टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के तत्कालीन सीएम को वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव ने तत्कालीन सीएम को 2 अप्रैल 2007 को आवेदन रद करने को प्रस्तुत की थी, क्योंकि जमीन अधिग्रहण प्रक्रियाधीन थी। मगर उन्होंने यह फाइल अपने पास साढ़े तीन माह तक लंबित रखी। फाइल को रद करने के बजाय 19 जुलाई 2007 को आदेश दिया कि जमीन अधिग्रहण से संबंधित एचएस आई आई डीसी से परख ली जाए और फाइल उसी अनुसार प्रस्तुत की जाए। यह आदेश जारी करने की जरूरत नहीं थी, क्योंकि पहले से स्पष्ट सिफारिशें थी कि जमीन अधिग्रहण प्रक्रियाधीन है। लाइसेंस रद हो।
3. बिल्डर्स में एक नवीन राव का प्रतिवेदन 24 अगस्त 2007 को प्रस्तुत किया गया। साथ में यह सिफारिश थी कि सरकार अपने स्तर पर इस पर निर्णय ले मगर ध्यान रखे कि आवेदकों ने भू अर्जन कलेक्टर गुरुग्राम के सामने अधिग्रहण अधिनियम की धारा 5 ए के तहत आपत्ति दायर नहीं की थी। अधिग्रहण का अवार्ड अभी तक नहीं सुनाया गया है मगर 24 अगस्त 2007 को देय है। सरकार से प्राप्त प्रतिवेदन को टिप्प्णी के लिए 6 जुलाई 2007 को एचएसआईआईडीसी के पास भेजा था मगर अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। यह भी सिफारिश की गई थी कि भू अर्जन कलेक्टर से कहा जाए कि अवार्ड 24 अगस्त 2007 को घोषित कर दें। हुड्डा ने राव के प्रतिवेदन पर निर्णय के बजाय 24 अगस्त 2007 को आदेश दिया कि अधिग्रहण खत्म कर नई अधिसूचना जारी की जाए।
4. तत्कालीन सीएम हुड्डा ने यह आदेश पारित करने के बाद 15 लाइसेंसों व तीन सीएलयू देने की मंजूरी दी।
5. इस कार्रवाई को ढकने को 12 नवंबर 2007 को कमेटी गठित करने के आदेश दिए जो उस क्षेत्र का सर्वेक्षण करे, जिसका अधिग्रहण हो सकेय.
6. इस कमेटी ने 26 मार्च 2008 को जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया के खिलाफ इस आधार पर रिपोर्ट दी कि कई व्यावसायियों और कंपनियों ने लाइसेंस लेने के लिए आवेदन कर रखे हैं और फीस, स्कूटनी चार्जेज आदि भर रखे थे। परंतु जिस कंपनी को लाइसेंस दिया गया उस कंपी में हुड्डा का भतीजा निदेशक था।