आर्थिक आधार पर 10% आरक्षण के मामले में हरियाणा के वकील ने दी चुनौती
हिसार के राकेश ढूंढाना ने एडवोकेट एसके वर्मा के माध्यम से याचिका दायर कर संविधान के 124 में संशोधन को चुनौती दी है.
7 फ़रवरी 2019
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नया हरियाणा
आर्थिक आधार पर 10% आरक्षण के प्रावधान के केंद्र के इस निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है. हिसार के राकेश ढूंढाना ने एडवोकेट एसके वर्मा के माध्यम से याचिका दायर कर संविधान के 124 में संशोधन को चुनौती दी है. याची ने बताया है कि इस संशोधन के चलते सामान्य वर्ग के आर्थिक पिछड़ों को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 10% आरक्षण का प्रावधान किया गया है. यह सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा इंदिरा साहनी और केशवानंद भारती के केस में जारी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है. केशवानंद भारती के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 1973 में ही तय कर लिया था कि संसद के पास संविधान के संशोधन का अधिकार तो है लेकिन वह संविधान के मूल ढांचे में बदलाव नहीं कर सकता. 124 वां संशोधन मूल ढांचे का उल्लंघन है क्योंकि संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण का कोई जिक्र नहीं है. याचिकाकर्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी मामले में स्पष्ट कर चुका है कि आरक्षण किसी भी सूरत में 50% से अधिक नहीं हो सकता. इस संशोधन के चलते आरक्षण 50 से भी अधिक हो गया है. इसके अलावा यह भी बताया गया है कि केंद्र सरकार ने जो 10% आरक्षण दिया उसे सरकारी व निजी दोनों तरह के संस्थानों में लागू किया गया है. जबकि एससी, एसटी व बीसी वर्ग को निजी संस्थानों में आज भी यह लाभ नहीं मिल रहा है. याची ने कहा कि क्रीमी लेयर 8 लाख निर्धारित की गई है जो बिल्कुल गलत है. क्योंकि यदि प्रावधान करना ही था, तो ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए थी कि इसका लाभ सभी तरह के कामगरों को मिलता.