गणतंत्र दिवस पर हरियाणा को बड़ी खुशखबरी मिली है। राज्य की पांच हस्तियों को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। पहलवान बजरंग पूनिया काे पद्मश्री सम्मान मिला है। दर्शन लाल जैन को समाज सेवा के लिए पद्म भूषण सम्मान दिया गया है। कंवल सिंह चौहान को कृषि, नरेंद्र सिंह और सुल्तान सिंह को पशुपालन क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए पद्मश्री सम्मान दिया गया है।
कंवल सिंह चौहान बीए-एलएलबी हैं हालांकि, अदालतों की तुलना में प्रशिक्षित वकील अपने खेत में ज्यादा दिखाई देते हैं। उनकी तकनीक कृषि तकनीकों के विविधीकरण में अधिक है। सोनापत में अपने छोटे गांव और्नना से भारत में बेबी मक्का की खेती को लोकप्रिय बनाने के लिए प्रसिद्ध हैं। भारतीय कृषि में अपने योगदान को महसूस करते हुए, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने 2010 में कृषि में विविधीकरण के लिए उन्हें एनजी रंगा किसान पुरस्कार दिया।
56 वर्ष पुराना ट्रेक्टर, गांव अटेरना किसान कंवल सिंह चौहान सुपत्र श्री अभय राम चौहान। जिस साल कंवल सिंह जी पैदा हुए थे उसी साल उनके पिता जी ट्रैक्टर ले कर आये थे। आज जो कुछ भी बना है सब इसी ली बदौलत।
उन्होंने बताया कि "मैंने 1997 में गेहूं और धान में खेती को एक लाभदायक व्यवसाय नहीं होने के बाद बच्चे के मक्का की खेती की थी। मुझे सोनीपत के भदाना गांव में अपने वरिष्ठ सहयोगी से पता चला कि हम 30,000 रुपये प्रति एकड़ के लिए 40,000 रुपये प्राप्त कर सकते हैं। हम गेहूं या धान बढ़ते हैं लेकिन अगर हम एक ही खेत में बच्चे के मकई का विकास करते हैं, तो हमारी आय लगभग तीन गुना होगी। " शुरू में, लोग मुझे कुछ अलग करने की कोशिश करने के लिए मुझ पर खोदना करते थे। हालांकि, जब मैंने बच्चे को मक्का की खेती के लगभग 15 वर्षों के बाद अपने गांव में लगभग 400 किसानों को ऐसा किया था और प्रतिवर्ष लगभग 4.5-5 करोड़ रुपये पैदा किए थे।
जहां देश मे आज खेती को घाटे का सौदा समझे जाने लगा है वहीं हरियाणा के कुछ किसान इस मिथक को तोड़ रहे हैं। राई के अटेरना गांव में किसान बेबी कॉर्न की खेती कर लाखों रुपए कमा रहे हैं । किसानों ने गांव में ही अपने प्रयासों से किसान समिति का भी गठन किया है और अपनी फसल की पैकेजिंग कर बेचा जाता है.
जो किसान के लिए बड़े फायदे का सौदा साबित हो रही है। राई के अटेरना गांव के किसान कॉर्न की खेती के लिए मशहूर हो चले हैं। यहां के किसान कॉर्न और बेबी कॉर्न की खेती से लाख रुपए सालाना से भी ज्यादा एक साल में कमा लेते हैं और इस पर खर्च भी सिर्फ नाम मात्र आता है। अटेरना में कॉर्न की खेती की शुरुवात किसान कंवल सिंह ने की थी और मुनाफा होता देख गांव के बाकी किसान भी इसी खेती को करने लगे और किसानों ने बड़ा मुनाफा भी कमाया है।
कंवल सिंह ने कहा कि किसानों ने अपने प्रयास से किसान समिति का गठन किया और अपनी फसल को सब्ज़ी मंडी में न बेच खुद ही पैकिंग कर सीधे कस्टमर तक पहुंचाया जाता है। किसान खुद ही अपनी फसल को डिब्बों में पैक करते हैं और दिल्ली और आस-पास के बड़े होटल्स में सप्लाई की जाती है।
किसानों का ये प्रयास वाकई काबिले तारीफ है सरकार भले ही किसानों की अनदेखी करती हो। जहां किसान फसल खराब होने, अच्छे दाम न मिलने जैसे परेशानियों से जूझ रहा है। वही इस तरह के प्रयासों ने ये साबित कर दिया है कि नई सोच और नए तरीके से किसी भी बाधा से पार पाया जा सकता है।